भारत को कमजोर आंकने की पाकिस्तान ने की बड़ी गलती
- संजीव ठाकुर
पहलगाम में पाक समर्थित आतंक वादियों ने भारतीयों की विनम्रता और सज्जनता को कमजोरी समझ 28 निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी पर उन्हें इस बात का कतई भान नही है कि अब भारत इतना ताकतवर और सशक्त है कि आतंकवादियों और उनके आकाओं को आकाश से पाताल तक खोज कर पूरी तरह नष्ट करने की क्षमता रखता है इसके अलावा उसे अमेरिका, रूस, इजरायल, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन, सऊदी अरब तथा खाड़ी के अधिकांश देशों के साथ पूरी दुनिया का आतंकवाद के खिलाफ खुला समर्थन प्राप्त है। आज भारत आर्थिक रूप से पाकिस्तान से कई गुना शक्तिशाली होकर विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ तीसरी बड़ी सामरिक ताकत भी है।
ताजा जानकारियों के अनुसार पहलगाम हत्याकांड में शामिल आतंकवादी लश्कर का कश्मीर का लोकल लीडर आसिफ शेख और उसके साथी का घर सेना द्वारा बम से उड़ा दिया गया है भारत देश की सेना अब आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर तत्पर है आगे  भारतीय सेना आतंकियों के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई लड़ने जा रही है जिसमें आतंकवादी और उनकी आतंकवादी सोच के लिए उनके पीछे खड़े तथाकथित ताकतवर आकाओं को के ठिकानों को समूल नष्ट कर दिया जाएगा। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान आई एसआई समर्थित लश्कर ए तैयबा, जैस ए मोहम्मद और दी रेसिस्टेंट फ्रंट जैसे आतंकवादी संगठन को पाकिस्तान में घुसकर तहस-नहस कर दिया जाएगा।
पाकिस्तान और उसके समर्थित आतंकवादी संगठनों ने भारत की विनम्रता को कमजोरी समझने की जो भूल की है इसका खामियाजा न सिर्फ आतंकवादी संगठनों को भुगतना पड़ेगा बल्कि पाकिस्तान भी भारत और भारतीय सेवा का निशान बनेगा। कूटनीतिक तौर पर भी भारत में चार बड़े फैसले करके पाकिस्तान को अधमरा कर दिया है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण 1964 में हुये सिंधु जल समझौते के करार को रद्द कर दिया गया है सिंधु नदी का 80% जल का उपयोग पाकिस्तान अपने लिए करता है अब पाकिस्तान एक-एक बूंद पानी के लिए तरसेगा और उसका उत्पादन एवं आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी इसके अलावा पाकिस्तान दूतावास को भी भारत में बंद कर दिया गया है साथ ही पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने के आदेश दे दिए गए हैं एवं भविष्य में पाकिस्तानियों के लिए भारत का वीजा अमान्य कर दिया गया है। भारत और पाकिस्तान की सीमा में बाघा बॉर्डर के रास्ते को भी बंद कर दिया गया जिससे पाकिस्तान को भारी आर्थिक नुकसान होने की संभावना है और पाकिस्तान का आर्थिक ढांचा पूरी तरह से चरमरा जाएगा। भारत के इस कड़े फैसले से पाकिस्तान का मनोबल वैसे ही आधा टूट चुका है अब यदि भारतीय सेना पाकिस्तान पर सामरिक हमला करती है तो पाकिस्तान दर-दर का भिखारी होकर पूरी तरह टूटने की कगार पर आकर खड़ा हो जाएगा।


समाजीकरण की प्रक्रिया में मानवता का प्रथम कदम विनम्रता के साथ शुरू हो तो सफलता उसके कदम चूमना शुरु करती है। विनम्रता मनुष्य के जीवन का वह सद्गुण है जो उसे हर मुसीबत से विजयी होना सिखाता है। सदाशयता भी यदि विनम्रता के साथ जुड़ जाए तो मनुष्य को ऊंचाइयों पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता है। प्रत्येक मनुष्य जीवन में उस ऊंचाई को अर्जित करना चाहता है, जिसका उसने जीवन में कभी स्वप्न देखा हो, यह जीवन का आवश्यक अंग भी है क्योंकि जीवन की सफलता और सार्थकता एक दूसरे पर आश्रित आवश्यक अंग है। मनुष्य मूल प्रवृत्ति से स्वार्थी, अंहकारी होता है, किंतु जैसे जैसे अपने आसपास के वर्तमान संपर्क में आता है उसकी मूल प्रवृत्ति का लोप होते जाता है तथा नए विचारों का प्रभाव उस पर ज्यादा से ज्यादा होने लगता है। समाज के सामाजिक ढांचे को मजबूती प्रदान करने के लिए सहिष्णुता, करुणा ,सदाशयता आदि गुणों का विकास होता है और इन्हीं गुणों के मिश्रण से विनम्रता रूपी सद्गुण का समन्वय के साथ विकास होता है।
विनम्रता के मामले में हम यह कह सकते हैं कि यह वह गुण है जिसे प्रकृति में महान लोगों को ही नवाजा है,या यह कहना चाहिए कि विनम्रता, संयम,सहजता आदि गुणों से ही सामान्य व्यक्ति महानता की ओर अग्रसर होता है। तुच्छ और अंहकारी व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण नहीं कर सकता और कूप मंडूक ही बना रहता है। थोड़ा ज्ञान लेकर व्यक्ति 'अधजल गगरी छलकत जाए' की भांति विनम्रता को त्याग देता है ऐसे में वह ना आधा रह पाता है ना ही पूरा हो पाता है। क्योंकि बड़ा और महान व्यक्ति अपनी प्रशंसा को भी सामान्य ढंग से अंगीकृत करता है और प्रशंसा सुनकर फूल कर कुप्पा नहीं हो जाता है। महान सुकरात ज्ञानी होकर भी कहते थे कि मैं अभी कुछ नहीं जानता मैं अज्ञानी हूं, इस संदर्भ में कबीर ने बहुत अच्छी सूक्ति कही
"बड़ा भया तो क्या भया जैसे पेड़ खजूर,
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर"
यदि व्यक्ति कोई उपलब्धि हासिल कर ले तो उसका अंहकार करने की बजाय समाज के हित में उसका उपयोग करना चाहिए ना कि केवल अपने तक सीमित रखना चाहिए क्योंकि बिना सार्वजनिक हित व उपलब्धि निरर्थक है। फ़ल आने पर वृक्ष झुक जाते हैं उसी प्रकार उपलब्धि पाने पर व्यक्ति को विनम्र हो जाना चाहिए। विनम्रता,सदाशयता वह गुण हैं जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारती है और अहंकार व्यक्तित्व को रसातल पर ले जाता है, क्योंकि अहंकारी व्यक्ति की किसी ज्ञान के प्रति स्वीकारोक्ति लगभग शून्य होती है। विनम्रता को आत्मसात करने वाला व्यक्ति सदा नए विचारों के प्रति आकर्षित रहता है और विनम्रता के साथ नए ज्ञान को आत्मसात करते हुए उसके व्यक्तित्व में स्वतः निखार आने लगता है।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम राष्ट्रपति होने के बाद भी विद्यार्थियों के संपर्क में रहकर उनसे संवाद करते थे जो उनकी महानता को सदैव पुनीत करता रहा और उसी विनम्रता सहृदयता के कारण उन्हें भारत रत्न की उपाधि देकर सम्मानित भी किया गया। ज्ञान का पिपासु व्यक्ति केवल सूचनाओं का भंडारण नहीं करता बल्कि वह उन्हें विनयशील भी बनाने का प्रयास करता है और यही विनम्रता विशाल हृदयता व्यक्ति को जीवन पथ पर अग्रसर होने का मार्ग प्रशस्त करती है। विनम्रता से ही व्यक्ति पात्रता ग्रहण करता है और विनम्रता ही व्यक्ति को सामाजिक व्यवस्था में महान बनाती है ताकि उसका जीवन लोकहित में समर्पित रहे। विनम्रता व्यक्तित्व में नेतृत्व क्षमता के विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक पहलु है। यदि नेतृत्व करता विनम्र हो उसके नेतृत्व को जनता स्वीकार करती है तो उससे अच्छा एवं समर्थ नायक राष्ट्र में नहीं पैदा हो सकता है। विनम्र शील व्यक्ति जनता के विचारों को आत्मसात कर अपने आप को परिपक्व बनाता है तथा अपने नेतृत्व को एक सही दिशा देने का कार्य करता है।
विनम्रता का सबसे बड़ा उदाहरण महात्मा गांधी थे राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान सत्य और अहिंसा को अपना साधन घोषित करते हुए स्वतंत्रता रूपी एक लक्ष्य को प्राप्ति के लिए चुना था और अहिंसा महात्मा गांधी के दो आभूषण की तरह थे जो विनम्रता को और भी मजबूत करते थे। यही कारण है कि हमने उनके नेतृत्व में स्वतंत्रता प्राप्त की थी। विनम्र व्यक्ति सदा सुखी एवं संतुष्ट रहता है क्योंकि उसकी ना तो महत्वाकांक्षा होती है, ना प्रतिस्पर्धा,ना द्वेष,ईर्ष्या ना लोभ ही होता है। सभी सद्गुणों से संपन्न व्यक्ति न सिर्फ अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। महात्मा बुद्ध के संदर्भ में एक बड़ा ही अनुकरणीय प्रसंग है कि जब वह ज्ञान प्राप्ति के लिए देशाटन में इधर-उधर वितरण कर रहे थे, तब लोगों ने उन पर पत्थर बरसाए उन्हें गालियां दी एवं उनको प्रताड़ित भी किया किंतु महात्मा बुद्ध इससे बिना विचलित हुए अपने कार्य तथा साधना की ओर अग्रसर होते हुए उन्होंने अंततः मां निर्वाण प्राप्त किया। और उनका ज्ञान का भंडार आज भी करोड़ों लोगों के लिए मार्गदर्शक बना हुआ है।


 समाज का कुछ वर्ग विनम्रता को व्यक्ति की कमजोरी समझने का मुगालता पाल लेता है और इसी विनम्रता से ओतप्रोत व्यक्ति का आकार से दमन करने का प्रयास करता है किंतु यह एक सत्य बात है कि सत्य को कभी दबाया नहीं जा सकता ना ही प्राप्त किया जा सकता है, उसी तरह विनम्रता की शक्ति इतनी व्यापक होती है के पर्वत के समान कठोर बाधा भी दूर किसके सामने हो जाती है। हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने विनम्रता के साथ ब्रिटिश बाधा को नेस्तनाबूद कर दिया था। विनम्रता और सहिष्णुता ही है जिसने हमारी भारतीय संस्कृति को हजारों वर्षों से शाश्वत बना के रखा है। किसी व्यक्ति समाज और किसी राष्ट्र के लिए विनम्रता सहिष्णुता और विचार शीलता ऐसे महान गुण उसे विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर कर सकते हैं।
(स्तंभकार, चिंतक, रायपुर छत्तीसगढ़)

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