हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान पर संगोष्ठी का आयोजन
मेरठ। साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद एवं विधि अध्ययन संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में “हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन सेमिनार हॉल, विधि अध्ययन संस्थान, चौ. चरण सिंह विवि में किया गया।
संगोष्ठी का शुभारम्भ मुख्य अतिथि अश्वनी त्यागी , मुख्य वक्ता प्रो. पवन कुमार शर्मा , प्रो. बीर पाल सिंह एवं समन्वयक डा. विवेक कुमार ने माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रो. पवन कुमार शर्मा, परीक्षा नियंत्रक जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली ने “संविधान पर गर्व क्यों करना चाहिए” विषय पर भारतीय संदर्भ में विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने संविधान की पृष्ठभूमि को स्पष्ट करते हुए अरस्तु और शुक्रनीति का तुलनात्मक दृष्टांत प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि भारत में शासन की अवधारणा बहुत प्राचीन रही है और संघ राज्य की भावना नन्द वंश के उदाहरण से प्रतिपादित की जा सकती है। प्रो. शर्मा ने सर विलियम जोन्स के उदाहरण से स्पष्ट किया कि भारतीय विधि प्रणाली अत्यंत सुसंगत और समृद्ध रही है, जिसके कारण विदेशी विद्वानों को भी यहाँ की विधियों का अध्ययन कर प्रेरणा प्राप्त करनी पड़ी। उन्होंने भारतीय न्याय दर्शन, योग दर्शन, श्रीभगवत गीता, मीमांसा, मानव धर्म शास्त्र आदि को पढ़ने और समझने की प्रेरणा दी।
मुख्य अतिथि अश्वनी त्यागी सदस्य, विधान परिषद्, ने संगोष्ठी की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय संविधान पर विद्यार्थियों द्वारा किए गए शोध कार्य अत्यंत सराहनीय हैं। उन्होंने भारत की ऐतिहासिक महानता और स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के योगदान की चर्चा की। श्री त्यागी ने संविधान की महत्ता को जन-जन तक पहुँचाने की आवश्यकता पर बल दिया और बताया कि भारत का संविधान आज विश्व के लिए एक मॉडल बन चुका है। उन्होंने कहा कि उज्जवला योजना, शौचालय योजना जैसे प्रयास संविधान में उल्लिखित जनकल्याणकारी राज्य की अवधारणा को साकार कर रहे हैं।
कार्यक्रम का शुभारम्भ डा. विवेक कुमार, समन्वयक, विधि अध्ययन संस्थान द्वारा किया गया। उन्होंने संविधान की ऐतिहासिकता, हड़प्पा, रामराज्य व बौद्ध कालीन परंपराओं से जुड़ी व्याख्या की। साथ ही ‘आईल ऑफ इण्डियन कॉन्स्टिट्यूशन’ की मूल प्रतियों की प्रदर्शनी की जानकारी दी। प्रो0 बीर पाल सिंह, निदेशक, शोध एवं विकास, चौ0 चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि ऐसे कार्यक्रम देश को दिशा देने वाले हैं। उन्होंने शिक्षा के भारतीयकरण की आवश्यकता पर बल दिया और विद्यार्थियों से संविधान कथा के माध्यम से जागरूकता फैलाने का आह्वान किया। कार्यक्रम में विधि संकाय के विद्यार्थियों दीपक सिरोही, भव्य जैन, अस्मिता, प्रियांश शर्मा, कलम प्रताप सिंह, अरिशा, विधि, अंकित आशुतोष, रोहन स्वरूप, यश गुप्ता, सिन्धुजा, प्रज्ञा जिन्दल आदि ने संविधान विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम का संचालन छात्रा नेहा एवं मोहनी साहनी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. नीलू जैन, अध्यक्ष, साहित्यिक-सांस्कृतिक परिषद द्वारा किया गया। प्रो. मुकेश कुमार शर्मा, डा. वैशाली पाटिल, डा. सौरभ गौढ़, डा. सुदेशना, आशीष कौशिक, डा. विकास कुमार, डा. अपेक्षा चौधरी, डा. धनपाल, डा. महिपाल सिंह, डा. सुशील कुमार शर्मा, डा. मीनाक्षी एवं संस्थान के अनेक छात्र-छात्राएं व शोधार्थी उपस्थित रहे।
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