पानी के लिए जन भागीदारी जरूरी
इलमा अज़ीम
भारत आबादी के हिसाब से सबसे बड़ा देश है। दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी हमारे देश में रहती है। वहीं जब हम साफ पानी की बात करते हैं तो पानी को लेकर स्थिति उतनी अनुकूल नहीं, जितनी नजर आती हैं। इस प्रसंग में बता दें कि ब्राजील में दुनिया में सबसे ज्यादा साफ पानी मौजूद है। जबकि खाड़ी के मुल्क कुवैत में सबसे कम साफ पानी है। जबकि भारत साफ पानी को लेकर आठवें स्थान पर है जहां 1911 अरब क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध है।
पानी की कमी से सबसे ज्यादा प्रभावित दुनिया के 20 शहरों की सूची में पांच शहर भारत के हैं। दूसरे स्थान पर दिल्ली, छठे स्थान पर कोलकाता, 18वें स्थान पर चेन्नई, 19वें में स्थान पर बेंगलुरु और 20वें में स्थान पर हैदराबाद है। जल संकट से निपटने के लिए भारत में जल जीवन मिशन एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका लक्ष्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल के माध्यम से स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना है। इस मिशन की सफलता जनभागीदारी पर निर्भर करती है, क्योंकि केवल सरकार के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। यदि लोग जल संरक्षण को अपनी जिम्मेदारी समझें, तो इस अभियान की सफलता सुनिश्चित की जा सकती है। जल जीवन मिशन के तहत जल गुणवत्ता की निगरानी, सामुदायिक भागीदारी, प्रशिक्षण और सूचना प्रसार जैसी पहल की गई हैं। गांव जल एवं सीवरेज समितियों को जल आपूर्ति योजनाओं के संचालन और प्रबंधन में विशेष भूमिका दी गई है। यह पहल केवल जल आपूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि जल संरक्षण को लेकर एक सामूहिक सोच विकसित करने की दिशा में भी कार्य कर रही है।
इसके अलावा, अमृत सरोवर योजना जल संरक्षण की दिशा में एक और प्रभावी कदम है, जिसके तहत देशभर में 50,000 से अधिक जलाशयों का निर्माण और पुनर्जीवन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भूजल स्तर को पुनः भरना, कृषि क्षेत्र को जल आपूर्ति सुनिश्चित करना और स्थानीय समुदायों को जल संरक्षण में भागीदार बनाना है। यदि प्रत्येक गांव-कस्बे में लोग अपने क्षेत्र के जल स्रोतों की देखभाल के लिए आगे आएं, तो यह योजना जल संकट से निपटने में कारगर हो सकती है।
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