चंद्रशेखर आजाद को अधिवक्ताओं ने दी श्रद्धांजलि
क्रांतिकारी का सपना था शिक्षित और समर्थ भारत
मेरठ। जनवादी लेखक संघ की अगुवाई में महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। चंद्रशेखर आजाद हिंदुस्तान समाजवादी गणतांत्रिक संघ (एचएसआरए) के कमांडर इन चीफ थे। वे भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों से सशस्त्र संघर्ष कर रहे थे।
जनवादी लेखक संघ के जिला सचिव मुनेश त्यागी ने कहा कि आज की सरकारों ने चंद्रशेखर आजाद और उनके साथियों के सपनों को पूरा नहीं किया। उन्होंने बताया कि एचएसआरए का मुख्य उद्देश्य था कि सभी को रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें। साथ ही समाज में बराबरी हो और देश के संसाधनों का उपयोग जनता के विकास के लिए हो।एचएसआरए ने ही भारत में 'इंकलाब जिंदाबाद' और 'साम्राज्यवाद मुर्दाबाद' के नारे दिए। 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों से मुठभेड़ में चंद्रशेखर आजाद शहीद हो गए। संगठन के एक सदस्य वीरभद्र तिवारी की मुखबिरी से यह घटना हुई। अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार वे जिंदा अंग्रेजों के हाथ नहीं आए और आजाद ही रहे।चंद्रशेखर आजाद अपने साथियों के कपड़े, जूते, भोजन और हथियारों का प्रबंध स्वयं करते थे। वे और उनके साथी भारत में क्रांतिकारी समाजवादी व्यवस्था स्थापित करना चाहते थे। त्यागी ने कहा कि आज हमारा मुख्य कार्य है कि जनता को शिक्षित करें और उस भारत के निर्माण में लगाएं, जिसका सपना चंद्रशेखर आजाद ने देखा था।
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