स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के लिए सौर रूफटॉप अपनाए -पूर्व कुलपति
अर्थशास्त्र विभाग में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विवि के अर्थशास्त्र विभाग में शुकवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आईसीएसआर द्वारा प्रायोजित "विकसित भारत@2047 के तहत भविष्य के स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के लिए सौर रूफटॉप अपनाने की भूमिका" का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया।
संगोष्ठी का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ हुआ, जिसके पश्चात कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए सौर ऊर्जा की महत्ता और इसकी नीतिगत आवश्यकताओं पर बल दिया। उन्होंने कहा कि रिन्यूअल एनर्जी न केवल ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करेगी, बल्कि भारत के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगी।इसके बाद विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति प्रो. एन.के. तनेजा ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की और बताया कि इस वर्ष बजट में रिन्यूअल एनर्जी क्षेत्र के लिए 53% की वृद्धि दर्शाती है कि भारत स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण की ओर तेजी से बढ़ रहा है। मुख्य अतिथि डॉ. मोहम्मद रिहान (महानिदेशक, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान, गुरुग्राम) ने सौर ऊर्जा की वर्तमान स्थिति, तकनीकी विकास और नीति निर्माण पर चर्चा करते हुए बताया कि भारत ने 2011 में 10 गीगावाट से अपनी सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता को 2025 तक 100 गीगावाट तक बढ़ा दिया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अपनाने से जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहायता मिलेगी।
कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत प्रो. रविंद्र कुमार शर्मा (अध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग) के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व और ऊर्जा संकट से निपटने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। इसके बाद संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ. संजीव कुमार ने संगोष्ठी के विषय और इससे जुड़े आईसीएसएसआर प्रायोजित शोध परियोजना के उद्देश्यों पर चर्चा की। कला संकायाध्यक्ष प्रो. अतवीर सिंह ने अपने संबोधन में सौर ऊर्जा के ऐतिहासिक और वैज्ञानिक महत्व को रेखांकित करते हुए इसे "प्रकाश और जीवन का शाश्वत स्रोत" बताया। उन्होंने कहा कि तकनीकी चुनौतियों के बावजूद, सौर ऊर्जा जो कभी केवल एक कल्पना थी, अब एक सशक्त वास्तविकता बन चुकी है और स्वच्छ ऊर्जा भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
इसके बाद एक विशेष पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें प्रो. निधि शर्मा ने सौर ऊर्जा अपनाने से श्रम बाजार पर पड़ने वाले प्रभाव और रोजगार के नए अवसरों पर चर्चा की, डॉ. सुरेंद्र मोर ने रोजगार सृजन, कौशल विकास, और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में रिन्यूअल एनर्जी के योगदान की व्याख्या की, तथा डॉ. भोला खान ने स्वच्छ ऊर्जा पर हो रहे शोध की भूमिका और संभावित अध्ययन क्षेत्रों की जानकारी दी।
संगोष्ठी में चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें 35 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। विषयों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता और वहनीयता, सौर अपनाने में व्यवहारिक अंतर्दृष्टि, और सतत सौर रूफटॉप समाधानों के लिए नीतियां और प्रौद्योगिकियां शामिल थीं।
संगोष्ठी का समापन समारोह पूर्व कुलपति प्रो. अशोक मित्तल (डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा) की अध्यक्षता में हुआ। उन्होंने शोधकर्ताओं और आयोजकों के प्रयासों की सराहना की और रिन्यूअल एनर्जी के क्षेत्र में निरंतर शोध और नीति निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि इस क्षेत्र में और अधिक शोध एवं विकास के लिए संयुक्त प्रयास किए जाएंगे।


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