विवि के छात्रों ने देहरादून के एफआरआई का भ्रमण कर प्राप्त की जानकारी 

मेरठ। चौधरी चरण सिंह विवि के प्लांट प्रोटेक्शन विभाग द्वारा आयोजित शैक्षिक भ्रमण के लिये  छात्रों को फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, एफआरआई देहरादून का दौरा कराया गया। यह भ्रमण वन विज्ञान, जैव विविधता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और वानस्पतिक रोग नियंत्रण पर छात्रों की समझ को विकसित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। 

देहरादून स्थित एफआरआई  परिसर में आगमन हुआ। संस्थान के प्रचार एवं संपर्क अधिकारीें डॉ. के.पी. सिंह ने छात्रों का स्वागत किया और उन्हें संस्थान के ऐतिहासिक महत्व, अनुसंधान गतिविधियों और आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी दी। फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ;थ्त्प्द्ध भारत का एक प्रमुख वानिकी अनुसंधान संस्थान है, जिसकी स्थापना 1906 में ब्रिटिश शासन के दौरान की गई थी। यह संस्थान वन अनुसंधान, पर्यावरणीय अध्ययन, जैव विविधता संरक्षण और सतत वानिकी के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाता है। विशाल परिसर में स्थित इसका मुख्य भवन ग्रीक-रोमन शैली में निर्मित है, जो इसकी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। संस्थान में कई संग्रहालय, प्रयोगशालाएँ और अनुसंधान केंद्र स्थित हैं, जो वन विज्ञान से संबंधित नवीनतम अनुसंधानों पर केंद्रित हैं। भ्रमण के दौरान छात्रों को विभिन्न अनुसंधान विभागों और प्रयोगशालाओं का दौरा कराया गया। सबसे पहले, छात्रों ने लकड़ी विज्ञान एवं उत्पाद तकनीकी विभाग का भ्रमण किया, जहाँ उन्हें विभिन्न प्रकार की लकड़ियों, उनके भौतिक एवं रासायनिक गुणों, संरक्षित करने की तकनीकों और औद्योगिक उपयोगों के बारे में जानकारी दी गई। इसके बाद, वृक्षारोपण एवं औषधीय पौधों के अध्ययन विभाग में छात्रों ने औषधीय और सुगंधित पौधों की पहचान, उनके उपयोग और पारंपरिक एवं आधुनिक चिकित्सा में उनकी भूमिका को समझा।

 इस दौरान, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. किशन कुमार, ने बताया कि कैसे इन पौधों का व्यावसायिक उत्पादन और संरक्षण किया जा सकता है। इसके पश्चात, छात्रों ने वनस्पति रोग एवं कीट नियंत्रण अनुसंधान केंद्र का दौरा किया, डॉ शैलेश पांडे, प्रधान वैज्ञानिक, वन रोगविज्ञान ने उन्हें वनों में पाए जाने वाले प्रमुख कीटों और रोगों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। डॉ पांडे ने बताया कि कैसे जैविक नियंत्रण तकनीकों, रोग प्रतिरोधी प्रजातियों और पर्यावरण-अनुकूल कीटनाशकों का उपयोग करके वनों को स्वस्थ रखा जा सकता है। प्रयोगशाला में छात्रों ने विभिन्न प्रकार के फंगस, बैक्टीरिया और वायरस जनित रोगों के प्रभावों का अध्ययन किया और उनके नियंत्रण के आधुनिक तरीकों पर चर्चा की। 

इसके बाद, पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र का भ्रमण किया गया, जहाँ छात्रों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उसके कारण होने वाले पर्यावरणीय परिवर्तनों के बारे में बताया गया। वैज्ञानिकों ने समझाया कि वनों की कटाई, औद्योगिकीकरण और वैश्विक तापमान वृद्धि किस प्रकार जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सतत वानिकी रणनीतियों को अपनाकर इन समस्याओं को कैसे कम किया जा सकता है। इसके अलावा, वन्य जीव संरक्षण एवं पर्यावरण जागरूकता केंद्र में छात्रों ने वन्य जीवों के संरक्षण के लिए अपनाई जा रही आधुनिक तकनीकों का अवलोकन किया। उन्हें कैमरा ट्रैपिंग, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस (ळप्ैद्ध आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम के बारे में बताया गया, जिनका उपयोग वन्य जीवों की निगरानी और उनके संरक्षण के लिए किया जाता है। इस दौरान, छात्रों ने वन्यजीव संरक्षण परियोजनाओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त की, जिनमें हाथी, बाघ और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण प्रयास शामिल हैं। इसके बाद, छात्रों ने संस्थान के विशाल वन संग्रहालय का भ्रमण किया, जहाँ दुर्लभ वृक्षों, औषधीय पौधों, कीटों और रोगों के वास्तविक नमूने प्रदर्शित किए गए थे। यहाँ छात्रों ने विभिन्न प्रकार की लकड़ियों के नमूने, उनके व्यावसायिक उपयोग, वनस्पतियों के संरक्षण के प्रयासों, और वन्य जीवों के संरक्षण से जुड़े शोध कार्यों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। इसके अतिरिक्त, उन्हें वनों में पाए जाने वाले प्रमुख कीटों और उनके प्रभावों के बारे में भी बताया गया, जिससे उनकी व्यावहारिक समझ और गहरी हुई। इस पूरे भ्रमण के दौरान छात्रों को संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. दिनेश कुमार से संवाद करने का अवसर मिला, जिससे उन्होंने अपने शैक्षिक और शोध संबंधी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। डॉ. कुमार ने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे वन अनुसंधान, पर्यावरण विज्ञान और सतत कृषि में अपने करियर के अवसरों का विस्तार करें। इसके अलावा, उन्होंने जलवायु परिवर्तन और वन संरक्षण से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर भी गहन चर्चा की, जिससे छात्रों की सोच और परिप्रेक्ष्य को व्यापक बनाने में मदद मिली। इस शैक्षिक भ्रमण के अंत में, छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए और इसे एक अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायक यात्रा बताया। उन्होंने कहा कि इस भ्रमण ने उन्हें न केवल वन विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण की व्यावहारिक समझ दी, बल्कि उन्हें भविष्य में अनुसंधान और नवाचार की दिशा में आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित किया। यह भ्रमण न केवल शैक्षणिक दृष्टि से लाभकारी रहा, बल्कि छात्रों को वन एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह अनुभव निश्चित रूप से उनके अध्ययन और शोध को नई दिशा प्रदान करेगा, जिससे वे भविष्य में पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान में योगदान दे सकें।



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