निवेश-निजी खपत से बढ़ेगी आर्थिकी
- डा. जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में एक नवंबर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट ‘एशिया प्रशांत के लिए क्षेत्रीय आर्थिक अनुमान 2024’ में कहा गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है तथा निवेश और निजी खपत इसकी वृद्धि को गति दे रहे हैं। रिपोर्ट में भारत की विकास दर को पहले के 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया है। गौरतलब है कि दिवाली के बाद एक नवंबर से शुरू हुए नए संवत 2081 में भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती संबंधी शुभ संकेत उभरकर सामने आ रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि आर्थिक परिदृश्य सकारात्मक है। देश कृषि, उद्योग-कारोबार, बैंकिंग क्षेत्र और गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र प्रणाली के स्तर पर काफी मजबूत बना हुआ है। विकास और मुद्रास्फीति का संतुलन बेहतर है। उन्होंने यह भी कहा कि यद्यपि भू-राजनीतिक संकट, भू-आर्थिक बिखराव और किसी तरह की चरम मौसमी घटनाएं, जो बाहरी मांग को प्रभावित कर सकती हैं और ये भारत की वृद्धि के लिए एक तरह की बड़ी जोखिम होंगी, लेकिन भारत अपने मजबूत आर्थिक घटकों से उनके मुकाबले में सक्षम होगा। उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई में नरमी आएगी और वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की अर्थव्यवस्था 7.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी। यह भी उल्लेखनीय है कि इस समय ग्लोबल फंड का भारतीय बांड में किया जा रहा निवेश उभरते बाजारों में ऊंचाई पर रेखांकित हो रहा है। पिछले वर्ष 2023 में भारतीय बांड में जो विदेश निवेश 70627 करोड़ रुपए का था, वह इस वर्ष 2024 में करीब 88 प्रतिशत बढक़र अक्टूबर तक 1.33 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।
निश्चित रूप से नए संवत 2081 में भारत की विकास दर उभरते हुए देशों की तुलना में ऊंचाई पर होगी। नए संवत 2081 में स्थानीय और घरेलू बाजार की मजबूती अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद होगी। पिछले 10 साल में देश जिस तेजी से आत्मनिर्भरता की नीति और वोकल फॉर लोकल के मंत्र के साथ आगे बढ़ा है, उससे हमारे स्थानीय और घरेलू बाजार मजबूत हुए हैं। इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था में चमकते हुए सितारे के रूप में रेखांकित हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में भारत के घरेलू बाजार की अहम भूमिका है। इस वर्ष दीपावली और इससे जुड़े त्योहारों पर देशभर के घरेलू और स्थानीय बाजारों में भारी मांग देखी गई है। चीनी उत्पादों की जगह घरेलू उत्पादों को प्रोत्साहन मिला है। दिवाली त्योहार के बाजारों में 4.25 लाख करोड़ रुपए के कारोबार का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि डेलॉइट इंडिया की इंडियाज होम एंड हाउसहोल्ड मार्केट रिपोर्ट 2024 में कहा गया है कि भारत का घरेलू बाजार 10 फीसदी से अधिक की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है और इस तेज गति से वर्ष 2030 तक भारत का घरेलू बाजार लगभग 237 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच सकता है। नि:संदेह नए संवत 2081 में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। देश में कृषि उन्नयन, खेती में नवाचार को प्रोत्साहन देने, लागत को कम करते हुए उत्पादन के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने का अभूतपूर्व अभियान आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे सकेगा। इसमें कोई दोमत नहीं है कि सरकार को इस वर्ष जो बेहतर मानसून विरासत में मिला है, उससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था रफ्तार से बढ़ रही है। बेहतर मानसून से ग्रामीण इलाकों में खपत बढ़ रही है। नए संवत में देश के कोने-कोने में घरेलू बाजार को मेक इन इंडिया अभियान से मिल रही शक्ति बढ़ेगी। देश को इस सेक्टर में तेजी से आगे बढ़ाने और चीन से आयात किए जाने वाले दवाई, रसायन और अन्य कच्चे माल का विकल्प तैयार करने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेटिव (पीएलआई) स्कीम लागू करने के और अधिक अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। इस समय जब दुनिया में वैश्विक संघर्षों से उथल-पुथल मची हुई है, तब भारत नए संवत 2081 में दुनिया के लिए उम्मीद की एक किरण के रूप में दिखाई दे रहा है।
जहां भारत गरीबी जैसी चुनौतियों को कम करते हुए हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई देगा, वहीं दुनिया की मदद करते हुए दुनिया में आशा का संचार भी करेगा। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि वैश्विक संघर्ष की अनिश्चितता के बीच भी दुनिया का भारत पर असाधारण आर्थिक विश्वास बना हुआ है। दुनिया की नजरों में यह युग भारत का युग है। नए संवत 2081 में यह भी दिखाई दे सकेगा कि एक ओर भारत अपने भरपूर खाद्यान्न भंडारों से देश के लोगों की खाद्य सुरक्षा निश्चित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर दुनिया की खाद्य सुरक्षा में मददगार बना हुआ है। कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय से भारत में 80 करोड़ से अधिक कमजोर वर्ग के लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत मुफ्त खाद्यान्न दिए जाने का बेमिसाल अभियान चलाया जा रहा है और इससे देश में अत्यधिक गरीबी में कमी आ रही है। हाल ही में विश्व बैंक ने गरीबी अवलोकन और विकास रिपोर्ट 2024 में बताया है कि भारत में अत्यधिक गरीबी में कमी आई है। इस समय वैश्विक आबादी के करीब 70 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी यानी 181 रुपए (करीब 2.15 डॉलर) प्रतिदिन से कम पर जीवनयापन कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अत्यधिक गरीबों की संख्या 2021 में 16.74 करोड़ थी, वह इस वर्ष 2024 में करीब 12.9 करोड़ रह गई है। नए संवत 2081 में देश में गरीबी में और कमी आने की संभावनाएं हैं। निश्चित रूप से वैश्विक खाद्यान्न संकट के बीच भारत की वैश्विक खाद्य सुरक्षा में मददगार देश की भूमिका बढ़ते हुए दिखाई दे सकती है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के वल्र्ड फूड प्रोग्राम तथा कई देशों के अनुरोध पर भारत ने गैर बासमती चावल यानी सफेद चावल के निर्यात पर जुलाई 2023 से लगाई गई रोक को हटा लिया है। भारत के इस निर्णय से दुनिया के कोने-कोने में चावल आयातक देशों के करोड़ों चावल उपभोक्ताओं को राहत मिली है। जहां भारत दुनिया के 150 से अधिक देशों के लोगों की खाद्य जरूरतों के लिए खाद्य निर्यात करता है, वहीं दुनिया के 185 से अधिक देशों के करोड़ों लोगों के लिए सस्ती व गुणवत्तापूर्ण दवाइयों की आपूर्ति करने वाला विश्वसनीय देश भी है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि नए संवत 2081 में पश्चिम एशिया में युद्ध के बढऩे पर शेयर बाजार में तेज गिरावट और महंगाई की चुनौतियों के बीच भी भारत अपने मजबूत आर्थिक घटकों और ऊंचाई पर स्थित 700 अरब डॉलर से अधिक के मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार से किसी भी आर्थिक जोखिम का सरलतापूर्वक सामना करने में सक्षम होगा।
हम उम्मीद करें कि नए संवत 2081 में भारतीय शेयर बाजार की राह कठिन नहीं होगी, कारपोरेट आय को बढ़ावा मिलेगा और शेयर बाजार को सर्वोच्च ऊंचाई पर पहुंचाने में घरेलू फंडों की अहम भूमिका होगी। हम उम्मीद करें कि नए संवत 2081 में सरकार के द्वारा कृषि सुधारों, मेक इन इंडिया, निर्यात बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों की आमदनी बढ़ाने के रणनीतिक प्रयासों से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तथा देश का आम आदमी भी विकास की डगर पर आगे बढ़ेगा।
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