कश्मीर में ‘आतंक’
इलमा अजीम 
कश्मीर घाटी में इधर जितने भी हमले हुए हैं, वे सभी बाहरी आतंकियों ने किए हैं। श्रीनगर के हमले स्पष्ट करते हैं कि आतंकी सरहद से घनी आबादी के बीच आसानी से पहुंच रहे हैं, लिहाजा सुरक्षा बलों और सेना को घुसपैठ रोकने के लिए कड़ी प्रहारात्मक कार्रवाई करनी होगी। बाहरी आतंकियों की पहचान पुख्ता कर उन्हें ढेर करना होगा। अनुच्छेद 370 और 35-ए निरस्त करने के बाद से श्रीनगर शांत था। कोई आंदोलन नहीं, कोई बहिष्कार नहीं था। यहां आखिरी आतंकी हमला अप्रैल, 2022 में हुआ था। तब 2 आतंकी मारे गए थे। इधर चुनाव होने और लोकतांत्रिक सरकार बनने के बाद आतंकी हमलों की निरंतरता बढ़ी है। बीती 18 अक्तूबर को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के चुनाव क्षेत्र गांदरबल जिले में जो आतंकी हमला किया गया था, उसके बाद 9 आतंकी हमले किए जा चुके हैं। 



हमारे जांबाज जवान ‘शहीद’ हुए हैं और घायल भी हुए हैं, लेकिन 9-10 आतंकियों को भी ढेर कर दिया गया है। हमलों की निरंतरता पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सवाल किए हैं कि ये आतंकी हमले बढ़ क्यों रहे हैं? सरकार बनने से पहले हमलों में तेजी क्यों नहीं आई? इसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फल-फूल रहा था, लेकिन यह सबसे निचले स्तर पर था, लिहाजा मैं जांच की मांग कर रहा हूं। श्रीनगर के खानयार में आतंकी को मारा नहीं जाना चाहिए था। आतंकियों को जिंदा पकड़ें, ताकि पता चल सके कि क्या उमर सरकार को अस्थिर करने का काम किसी एजेंसी को सौंपा गया है? फारूक किस एजेंसी की बात कर रहे हैं? यदि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर संदेह है, तो कश्मीर के आतंकवाद में उसकी भूमिका तय है। 


हम महसूस कर चुके हैं। यदि भारत की किसी एजेंसी पर फारूक को शक है, तो उसके नाम का खुलासा करें। ऐसे आरोप बेमानी हैं। जब गांदरबल जिले में आतंकी हमला किया गया था, तब फारूक ने पाकिस्तान के खिलाफ बेहद तल्ख टिप्पणियां की थीं और कहा था-कश्मीर पाकिस्तान नहीं बनेगा, नहीं बनेगा। लेकिन अब फारूक अब्दुल्ला का स्वर बदला हुआ है। उमर सरकार के खिलाफ साजिश कौन करेगा? नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है, लिहाजा सरकार उसी के नेतृत्व में बननी थी। दरअसल कश्मीर में आतंकवाद कहां समाप्त हुआ है? बेशक आतंकियों की संख्या मुठठी भर है, लेकिन पूरे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद सक्रिय रहा है। बेशक नया कश्मीर उभर रहा है। कई हजार करोड़ रुपए का निवेश आया है। 


स्कूल-कॉलेज, स्टेडियम, बाजार, डल लेक आदि सभी आकर्षक स्थल खुले हैं। सर्दियां आरंभ हो गई हैं, लिहाजा औसतन हर सप्ताह करीब 1200 वेंडर्स श्रीनगर के साप्ताहिक बाजार में आते हैं और अपने गर्म कपड़े बेचते हैं। उसी भीड़ पर वह ग्रेनेड फटा था। सैलानियों की अच्छी-खासी संख्या भी कश्मीर में दस्तक दे रही है। राजस्व की आमद शुरू हो चुकी है, लेकिन अभी भारत सरकार या मुख्यमंत्री किसी भी तरह का दावा नहीं कर सकते कि आतंकवाद मृतप्राय हो गया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी कहा है कि नागरिकों को निशाना बनाने का कोई औचित्य नहीं है। सुरक्षा तंत्र को जल्द ही इन हमलों को नेस्तनाबूद करने की कोशिश करनी चाहिए।

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