शांति विरोधी उत्तर कोरिया, लगातार मिसाइल परीक्षण
- संजीव ठाकुर
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने को ही हैं अमेरिका में चुनाव के दौरान ईरान तथा इजरायल विरोधी ताकते अमेरिका पर हमले की लगातार धमकियां दे रहे हैं इन परिस्थितियों में वैश्विक शांति का माहौल डगमगाया हुआ है। ताजा खबरों के अनुसार अमेरिका को दक्षिण कोरिया की मदद करने के कारण उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि वह अपने विरोधियों को किसी भी तरह बक्सेगा नहीं।।उत्तर कोरिया में 2011 के बाद किम जोंग उन ने अपने को तानाशाह घोषित कर दिया है। वह किम जोंग इल तानाशाह का बेटा है जो 2011 से पहले सनकी तानाशाह थे। विगत दिनों रूस के समकक्ष राष्ट्रपति पुतिन से मिलकर गुप्त मिसाइल समझौते करके और खतरनाक हो गया है ।अब उत्तर कोरिया रूस की यूक्रेन के विरुद्ध युद्ध में मदद भी करने वाला है रस से मिसाइल समझौते करने के बाद उसने कई मिसाइल परीक्षण भी किएं है, इधर यूक्रेन के बाद युद्ध के लिए शास्त्रों की कमी हो चुकी है नाटो और अमेरिकी मदद के बावजूद यूक्रेन आर्थिक संकट में है, परिणाम स्वरूप अमेरिका तथा नाटो देश की नींद उड़ चुकी है।
पिछले कई वर्षों से एशिया का सबसे विवादास्पद राष्ट्र उत्तर कोरिया रहा है। यह देश विवादों में इसलिए भी रहा है कि इसमें लगातार पिछले एक दशक से परमाणु परीक्षण कर अमेरिका तथा यूरोप के देशों की नींद उड़ा कर रखी है,पूरे विश्व में उत्तर कोरिया के किम जोंग को एक तानाशाह प्रशासक के रूप है जाना जाने लगा है,किंम जोंग की गिनती विश्व में क्रूर तानाशाह की मानी जाती है, यूरोप तथा अधिकांश एशियाई देशों के मीडिया ने किंग जॉन को एक खतरनाक तथा विश्व की शांति के खतरे के रूप में निरूपित किया है। वह अमेरिका तथा यूरोपीय देशों का घनघोर विरोधी तानाशाह है और अपने देश में सिर्फ कोरियाई भाषा को ही पढ़ने लिखने और बोलने की भाषा के रूप स्वतंत्रता प्रदान की है। दिसंबर 2011 को उसने अपने आप को उत्तर कोरिया का सर्वोच्च तानाशाह घोषित कर दिया था। उत्तर कोरिया में मीडिया इंटरनेट पर वीडियो पर इसी तानाशाह का पूरी तरह नियंत्रण है।
वैश्विक स्तर पर तानाशाहों की गिनती में चीन के शी जिनपिंग, रूस के व्लादिमीर पुतिन और उसके बाद किम जोंग का तीसरा नंबर है। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो कोरिया बहुत सालों तक चीन का हिस्सा रहा है फिर उन्नीस सौ चार तथा पांच में रूस जापान युद्ध के बाद यह जापान का एक सुरक्षित क्षेत्र बन गया था। 1910 के बाद जापान ने से अपना अंग बना लिया था। 1945 के विश्वयुद्ध के बाद जब जापान ने आत्मसमर्पण किया था तब कोरिया को स्वतंत्र राष्ट्र बना कर उसे दो भागों में विभक्त कर दिया गया। उत्तर दक्षिण कोरिया, 1948 में दक्षिण भाग में कोरिया गणतंत्र और उत्तरी कोरिया में कोरियन पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक की स्थापना की गई। 1953 में इसका विभाजन विधिवत रूप मे उत्तर उत्तर अक्षांश की विभाजन रेखा से उत्तर तथा दक्षिण कोरिया बनाया गया। भारत की तरह यह भी कृषि प्रधान राज्य है। यहां पर शिक्षा और स्वास्थ्य एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की सेवाएं पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में रखी गई है। दक्षिण कोरिया में खाद्य पदार्थों में अनुदान दिया जाता है तथा शिक्षा स्वास्थ्य एवं अन्य आवश्यक सेवाएं नागरिकों को निशुल्क प्रदान की जाती है। इसके बावजूद भी वहां कुपोषण की दर 30% से बहुत अधिक है।
उत्तर कोरिया ऐसा देश है जहां इंटरनेट, मीडिया,1 रेडियो तथा संचार माध्यमों पर इस तानाशाह का पूरी तरह नियंत्रण है, इंटरनेट भी बहुत ही गिने चुने लोग कोरियाई भाषा में इस्तेमाल कर पाते हैं। नागरिकों को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तथा देश के बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है। इसके लिए विशेष अनुमति लेना अनिवार्य होती है। किम जोंग इतना खतरनाक तानाशाह है कि उसने अपने कई सगे रिश्तेदारों की सरेआम छोटे-छोटे कारणों के कारण हत्या करवा दी, इसने अपनी ही सरकार के कई मंत्रियों तथा पदाधिकारियों की हत्या करवा कर तानाशाही का बहुत क्रूर उदाहरण प्रस्तुत किया है ताकि जनता में उसका भय सदैव बना रहे। उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग को ईश्वर पर विश्वास नहीं है वह नास्तिक है एवं राज्य को भी नास्तिक वादी बना कर रखा है। इस देश में किसी भी धर्म या जाति या ईश्वर को मानने की किसी तरह की आजादी भी नहीं दी गई है। धर्म का पालन करने वाले को बड़ी बुरी तरह से दंडित किया जाता है। तानाशाह किम जोंग के अनुसार वही जनता का ईश्वर है और वह देश की सर्वोच्च सत्ता का मालिक है। यह बहुत अचरज वाली बात है कि उत्तर कोरिया का समाज शासकीय नियंत्रण वाला समाज है। यहां किसी भी व्यक्ति को कोई भी व्यक्तिगत आजादी का कोई हक नहीं दिया गया है। इस तानाशाह ने अपने आप को भगवान घोषित कर जनता को भी मजबूर कर दिया है कि उसे ईश्वर माना जाए। यह कतई विश्वास करने वाला सत्य नहीं है कि इस युग में भी ऐसा देश है जहां जनता पर इतनी व्यक्तिगत पाबंदियां लगाई गई है।
उत्तर कोरिया में मानव अधिकार हनन, निजी स्वतंत्रता को चुनौती एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा कानूनी चुनौतियां जैसा कोई शब्द ही नहीं है तानाशाही के नीचे सारे कानून, कायदे और नियम दफन होकर रह गए हैं।
उत्तर कोरिया विश्व शांति के लिए इसलिए भी बहुत ज्यादा खतरनाक हैं कि इसने लगातार 2006, 2009, 2013 में भूमिगत परमाणु परीक्षण किए और किम जोंग के दावे के अनुसार उसने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल जो लंबी दूरी की परमाणु मिसाइलें होती हैं का भी सफल परीक्षण किया है। उत्तर कोरिया और अमेरिका के संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं। अमेरिका और यूरोपीय देश उत्तर कोरिया द्वारा किए गए भूमिगत परमाणु परीक्षण तथा इंटरनेशनल बैलेस्टिक मिसाइल के सफल परीक्षण को मानव जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा मानते हैं, और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग की मानसिक स्थिति देखते हुए यह परमाणु हथियार किसी भी देश के लिए खतरा बन सकते हैं क्योंकि वह न तो संयुक्त राष्ट्र संघ परिषद की परवाह करता है और ना ही किसी देश के शासक प्रशासक का आदेश ही मानता है।
अमेरिका के जितने भी राष्ट्रपति रहे हैं किम जोंग उन से सीधा टकराने की इच्छा रखता रहा है, और यही कारण है कि यूरोपीय देश तथा अमेरिका ,ब्रिटेन हमेशा उत्तर कोरिया के इस पागल प्रशासक को अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए एक बड़ा खतरा मानते है। उत्तर कोरिया के इस तानाशाह की तुलना में शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिनसे की गई है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पूर्व में सदैव शांत रहने वाले और किसी समस्या का बातचीत से एवं कूटनीति से हल निकालने का प्रयास करने वाली माने जाते हैं। पर व्लादीमीर पुतिन ने भी यूक्रेन पर हमला करके अपनी तानाशाही का सबूत पूरे विश्व के सामने रख दिया है। यूक्रेन के बाद चीन और ताइवान के संघर्ष के शुरुआत होने की संभावना दिखाई दे रही है।
इस तरह यह तीनों तानाशाह आज की स्थिति में बेलगाम हो चुके हैं क्योंकि रूस, चीन, उत्तर कोरिया तीनों परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र हैं और अमेरिका के लिए हमेशा खतरे की घंटी बने रहते हैं। अमेरिका,नेटो तथा यूरोपीय देशों की लाख धमकियों के बावजूद पुतिन ने यूक्रेन पर सीधा आक्रमण कर ने दिखा दिया कि अमेरिका अब कमजोर पड़ चुका है और रूस उसकी परवाह नहीं करता है,।अब वह महाशक्ति भी नहीं रहा। अफगानिस्तान में भी अमेरिका को अपने सैनिकों को मजबूरी में वापस बुलाना पड़ा, इस तरह अमेरिका की स्थिति इन तीनों देशों के सामने काफी कमजोर साबित हो रही है।
(स्तंभकार, रायपुर, छत्तीसगढ़)
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