प्राचीन ज्ञान के भंडार का द्वार है संस्कृत 

 मेरठ।  चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग एवं संस्कृत भारती के संयुक्त तत्त्वावधन में 10 दिवसीय संस्कृत भाषा संवर्धन कार्यशाला का शुभारंभ इतिहास विभाग के वीर बंदा वैरागी सभागार में हुआ।

 इस कार्यशाला का उद्घाटन इतिहास विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा ने सरस्वती माता के समक्ष दीप प्रज्वलन करके किया। उन्होंने भारत के प्राचीन इतिहास में शोध करने के लिए संस्कृत की अनिवार्यता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि प्राचीन काल के सभी शिलालेखों को पढ़ने के लिए संस्कृत की आवश्यकता है जिससे इतिहास की समझ विकसित होती है। इतिहास विभाग की आचार्या प्रोफेसर ए वी कौर ने कहा कि संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है जो अंतरिक्ष अनुसंधान एवं कंप्यूटर के लिए बहुत उपयोगी है इसी कारण हमें संस्कृत का ज्ञान अवश्य करना चाहिए। संस्कृत भारती के प्रांत सह मंत्री डॉ संदीप कुमार ने संस्कृत भारती का परिचय देते हुए संस्कृत भाषा के महत्व को प्रतिपादित करते हुए प्राचीन भारत के ज्ञान रूपी रत्न भंडार का द्वार संस्कृत को बताया जिसके द्वारा ही विज्ञान रूपी रत्नों को पाया जा सकता है। कार्यशाला की मुख्य शिक्षिका डॉक्टर रक्षिता ने संस्कृत भाषा कार्यशाला के प्रारंभ बिंदुओं का प्रशिक्षण दिया।  कार्यक्रम का संचालन श्री नीलकमल ने किया । कार्यक्रम में डॉ मनीषा , डॉ कुलदीप त्यागी , श्रीमती प्रज्ञा , श्री अजय , प्रदीप , डॉ योगेश , डॉ शालिनी आदि शिक्षक तथा बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे ।

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