जीआई सर्वे का होगा सत्यापन , नगर निगम बोर्ड की बैठक में दिया गया फैसला
कर्मचारियों के पटल परिवर्तन के मुद्दे पर कर्मचारियों का हंगामा
मेरठ। सोमवार को चौधरी चरण विवि के अटल सभागार में बहुत प्रतीक्षित नगर निगम बोर्ड की बैठक सोमवार को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गई। हालांकि बैठक हंगामे पूर्ण होने के पूरे आसार थे लेकिन बैठक स्थल के बाहर सिर्फ कर्मचारियों के पटल परिवर्तन के मुद्दे पर ही थोड़ा बहुत हंगामा हुआ।
सोमवार सुबह 11 बजे नगर निगम बोर्ड की बैठक हुई। बैठक में हंगामे की आशंका को देखते हुए सुरक्षा के बंदोबस्त भी किए गए थे। बैठक में जीआई सर्वे का मुद्दा सबसे ज्यादा हावी रहा। हालांकि पार्षद खेमे से जुड़े सूत्रों के अनुसार इस मुद्दे पर भाजपा पार्षदों को मैनेज करने की कोशिश की गई। बाद में तय किया गया कि जो गृह कर का सर्वे हुआ है उसका वेरिफिकेशन (सत्यापन) किया जाएगा। सत्यापन के बाद ही इस पर अंतिम निर्णय होगा। बन चुके गृह कर के बिलों को भी होल्ड पर रख दिया गया है उनका वितरण भी नहीं होगा।
पार्षद और निगम कार्यकारिणी सदस्य फजल करीम ने 15वें वित्तीय आयोग के संदर्भ में बोर्ड के समक्ष यह मांग रखी कि पिछड़े वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक बहुल वार्डों में नाली और सड़क निर्माण के साथ-साथ अन्य विकास कार्य कराए जाएं। इसी बीच कुछ नगर निगम कर्मचारियों ने बैठक स्थल के बाहर पटल परिवर्तन के मुद्दे पर हंगामा करना शुरु कर दिया। हालांकि पुलिस फोर्स की मौजूदगी के चलते यह कर्मचारी बैठक के अंदर नहीं जा पाए। स्ट्रीट लाइट के मुद्दे पर भी काफी बहस हुई। पार्षदों की ओर से प्रस्ताव लाया गया कि प्रत्येक वार्ड में सौ सौ स्ट्रीट लाइटों का इंतजाम कराया जाए। होर्डिंग के मुद्दे पर दी काफी बहस की गई। पार्षद राजीव काले गुप्ता और अनुज वशिष्ठ ने कहा कि शहर में जहां 360 होर्डिंग लगने चाहिए वहीं उससे 10 गुना अधिक 36 सौ होर्डिंग लगे हुए हैं। पार्षद शाहिद अब्बासी ने मांग की कि शहर के विकास के लिए प्रस्तावित 100 करोड़ के बजट में से प्रत्येक वार्ड के लिए 80-80 लाख रुपए आरक्षित की जाएं। बैठक में सफाई कर्मचारियों के खाली पड़े पदों को भरने का मुद्दा भी उठा। बैठक में महापौर हरिकांत आहलूवालिया के अलावा नगर आयुक्त, अपर आयुक्त ममता मालवीय, प्रमोद कुमार और पंकज कुमार बैठक में मौजूद रहे।
नगर निगम बोर्ड बैठक में एआईएमआईएम पार्षद द्वारा रखे गए प्रस्ताव -
(1)15 वे वित्त आयोग मद से दलित, मालिन, अल्पसंख्यक बस्तियों में भी आरसीसी नाले, ग्रीन बेल्ट, सीसी रोड आदि विकास कार्य कराए जाएं जिससे कि उन बस्तियों में रहने वाले नागरिको को सुविधा मिल सके(2) नगर निगम क्षेत्र में डेयरियो द्वारा नाला नालियों में गोबर बहाया जा रहा है जिस कारण नाला नालिया चोक हो रहती है तथा वार्डों में गंदगी के अंबार लग जाते हैं। उन डेयरियों को चिन्हित कर पूर्व की भांति स्वास्थ्य विभाग एफआईआर दर्ज कराएं, जो गोबर बहा रहे हैं और प्रत्येक महीने के हिसाब से 5000 रुपए का चालान किया जाए
(3) पानी की लीकेज ठीक होने के बाद टूटे हुए रास्ते रिपेयर नहीं किए जाते हैं जिस कारण लोग दुर्घटनाग्रस्त होते हैं लीकेज ठीक होने के बाद जल निगम या निर्माण निगम उस रास्ते को रिपेयर कराए
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