हिंदी दुनिया की बड़ी भाषा - डा लोहानी
हिंदी विभाग में आशु भाषण प्रतियोगिता का आयोजन
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में हिंदी दिवस समारोह 2024 के अवसर पर समारोह के पूर्व दिवस पर निबंध लेखन एवं आशु भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। निबंध प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के 17 विभागों से 33 विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की और आशु भाषण में 12 विभागों के 22 विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि हिंदी दुनिया की बड़ी भाषा है। हम सभी को हिंदी अपनी मातृभाषा की भांति अपनाना चाहिए। हिंदी दिवस हिंदी के संवैधानिक अधिकार का स्मरण दिवस है। संविधान समिति में शामिल सदस्यों ने हिंदी को उसका उचित सम्मान प्रदान किया। अब हमारा और नवीन पीढ़ी का कर्तव्य है कि व्यवहार में भी हिंदी के प्रयोग को सुनिश्चित करें और भारतीय संस्कृति और साहित्य के विकास की परंपरा से खुद को जोड़ें। नई पीढ़ी के लिए विरासत में हिंदी को मजबूत भाषा की तरह आगे भेजें ताकि भारत की नवीन पीढ़ी हिंदी में अपना भविष्य देख सके। शुद्धता किसी भी भाषा का पैमाना नहीं होती।
मुख्य अतिथि राम किशोर उपाध्याय ने कहा कि इस प्रकार के प्रतियोगी कार्यक्रमों से हमारी अपनी भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ती है। अभिव्यक्ति की भाषा सरल होनी चाहिए। कोई भी भाषा तब तक समृद्ध नहीं होती जब तक उसमें अन्य भाषाओं के शब्दों को शामिल नहीं किया जाता। इससे अभिव्यक्ति की व्यापकता का विस्तार होता है। हिंदी में बोलने वालों की संख्या अरबों में है लेकिन हिंदी भाषा में अभी तक कोई नोबेल पुरस्कार नहीं मिल पाया है; ऐसे उत्कृष्ट साहित्य लेखन की संभावना अभी भी हिंदी में है। हिंदी के लिए कथनी से अधिक करनी की आवश्यकता है। निर्णायक मंडल में प्रोo कविता त्यागी ने कहा कि सर्वप्रथम जिन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित किया उनमें अहिंदी भाषी लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही इसलिए हिंदी किसी क्षेत्र का मुद्दा नहीं है बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान है। विद्यार्थियों ने विभिन्न विषयों पर गंभीर रूप से विचार अभिव्यक्ति की। विद्यार्थियों को लोक भाषा का प्रयोग भी अपने विचार अभिव्यक्ति में करना चाहिए।
प्रो. रविंद्र प्रताप राणा ने कहा कि हमें अपनी बात करते समय छोटे-छोटे वाक्य में अपनी बात को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करना चाहिए। लंबे वाक्य से विचार में अस्पष्टता और बोझिलता आती है। सोशल मीडिया में क्षेत्रीय बोलियों को अपार सफलता मिली है। विभिन्न व्यवसायों से जुड़े लोग क्षेत्रीय भाषाओं में सोशल मीडिया पर सफल हो रहे हैं। हिंदी अन्य भाषाओं से भी शब्द ग्रहण करती रही है। देश की स्थानीय बोलीयों के शब्दकोष को भी हिंदी में शामिल किया जाना चाहिए। साहित्य जटिल, परिष्कृत और बोझिल शब्दों की ओर झुक रहा है हमें देशज बोलियों के शब्दों और साहित्य को भी अपनाना चाहिए।
डॉ कविश्री ने कहा की प्रतियोगिता में तत्काल विषय चयन होने के बावजूद भी विद्यार्थियों की अभिव्यक्ति क्षमता मजबूत रही। विद्यार्थियों को अपनी भाषा मे शब्दकोश को बढ़ाना चाहिए जिससे उनकी अभिव्यक्ति और अधिक मजबूत बन सके। प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों के कौशल और योग्यताओं को निखारने का काम करती हैं।
स्टेट बैंक के पूर्व सहायक महाप्रबंधक भारत भूषण ने कहा कि हमें अपनी हिंदी को अपनाना है। अपनी बोली कौरवी का मान करना है। हिंदी को बोलने में शर्म नहीं करनी चाहिए हिंदी हमारा गर्व है और इसे गर्व के साथ ही अपनी भाव अभिव्यक्ति और विचार अभिव्यक्ति के लिए माध्यम बनाएं।
इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ आचार्य एवम विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी रहे। मुख्य अतिथि श्री राम किशोर उपाध्याय पूर्व आई.आर.ए.एस अधिकारी और निर्णायक मंडल में प्रोफेसर कविता त्यागी, मेरठ कॉलेज, डॉक्टर कविश्री, एन.ए.एस कॉलेज, मेरठ और वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर रविंद्र प्रताप राणा रहे। कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डॉक्टर यज्ञेश कुमार ने किया।
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