कोतवाली तिहरा हत्याकांड के दस आरोपियों को कोर्ट ने किया दोषी करार
5 अगस्त को सजा सुनाई जाएगी , हत्याकांड में शामिल शीबा सिरोही दोषी करार
9 को पुलिस ने लिया हिरायत में ,कडी सुरक्षा में भेजा गया जेल
मेरठ। 16 साल पूर्व कोतवाली क्षेत्र में हुए तिरहे हत्याकांड का फैसला आखिरकार गुरूवार को आ ही गयी। इस हत्याकांड में शामिल दस आराेपियों को कोर्ट के स्पेशल जज पवन कुमार शुक्ला ने दोषी करार दिया है। जिसमें एक महिला शीबा सिंरोही भी शामिल है। आगामी 5 अगस्त को कोर्ट सभी को सजा सुनाएगी। दोषी करार शीबा सिरोही, अफजाल, इजलाल, वसीम, रिजवान, बदरुद़दीन, महराज, इजहार और अब्दुल रहमान उर्फ कलुवा को पुलिस ने हिरासत में ले लिध है। जिन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच जेल भेजा गया। वही इस मामले में आरोपी कांवड़ लाने के चलते कोर्ट में पेश नहीं हो सका। कोर्ट ने शीबा सिरोही को धारा- 109 और 302 में दोषी करार दिया है। वहीं, इजलाल को धारा- 302, 364, 304 और 325 में दोषी करार दिया है। इजलाल और शीबा के अलावा अन्य आरोपियों को कोर्ट ने धारा- 302, 364, 304 में दोषी करार दिया है। सभी को 147, 148, 364, 302, 149, 201, 404 इन धाराओं में हत्या का दोषी करार दिया है।
गुंरूवार को चर्चित गुदड़ी बाजार हत्याकांड में आज फैसले की घड़ी आ गई । अदालत के फैसले पर दिन भर हर किसी की निगाहें टिकी रहीं। 16 साल पहले तीन दोस्तों की बेरहमी और क्रूरता से हत्या की गई थी। कोर्ट परिसर में भारी पुलिस-फोर्स तैनात किया गया है। अदालत ने युवती समेत सभी आरोपियों को दोषी करार दिया है। तिहरे हत्याकांड का फैसला आने के चलते कोर्ट रूम के बाहर पुलिस के साथ पीएसी के जवान तैनात किए गए। रस्से से घेरा बनाया गया। एसओजी टीम भी लगाई गई है। सीओ, इंस्पेक्टर गेट पर तैनात रहे। एलआईयू की पूरी टीम और डॉग स्क्वायड तैनात रही। अदालत ने फैसला सुनाते हुए युवती समेत सभी आरोपियों को जुर्म का दोषी माना है।
शीबा को ले जाने के लिए पुलिस ने विशेष सुरक्षा बरती। सीओ सिविल लाइंस ने खुद खड़े होकर शीबा सिरोही को कोर्ट से जेल तक ले जाने के लिए महिला पुलिसकर्मियों का घेरा बनवाया। ट्रिपल लेयर सिक्योरिटी केवल शीबा सिरोही को कोर्ट से जेलवैन तक ले जाने के लिए लगाई गई।शीबा की सिक्योरिटी की फर्स्ट लेयर में महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया। इसके बाद पुरुष पुलिसकर्मियों की डबल लेयर सिक्योरिटी दी गई। जेलवैन में भी शीबा को सबसे आगे बैठाया गया।
तिरहे हत्याकांड में 14 पर चार्जशीटलगी थी, 33 गवाहों ने गवाही दी थी।। इसमें 2 आरोपियों की पहले ही मौत हो चुकी है। 1 आरोपी जुवेनाइल में छूट गया था। 1 आरोपी की फाइल अभी विचाराधीन है। बाकी 10 को दोषसिद्ध कर दिया है। सजा सुनाने के लिए 5 अगस्त तय की है। इन धाराओं में सजा-ए-मौत और आजीवन कारावास का प्रावधान है।। मुख्य आरोपी इजलाल को घोषित किया गया है। कोर्ट का फैसला आते हुए सभी आरोपियों की हवाइया उड़ गयी।
बतादें 16 साल पुरानी वारदात में 14 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। 7 आरोपी अभी जेल में हैं। एक की मौत हो चुकी है। 6 आरोपी जमानत पर हैं। हत्यारों ने घर बुलाकर तीनों युवकों को पहले गोली मारी, फिर तलवार से गला काटा गया। लाठी-डंडों से पीटा।आंखें भी फोड़ दी। रातभर टॉर्चर और मौत का खूनी खेल खेला। पूरी रात हत्यारे युवकों को काटते रहे और सुबह हो गई। फिर जीने के पास लाशें फेंक दी। मोहल्ले में शोर मचा तो कार में लाशें भरकर भागा। गाड़ी में तेल खत्म हुआ तो नहर किनारे छोड़कर भाग गए।23 मई 2008 को बागपत और मेरठ जिले के बॉर्डर पर बालैनी नदी के किनारे तीन युवकों के शव मिले। मृतकों की पहचान सुनील ढाका (27) निवासी जागृति विहार मेरठ, पुनीत गिरि (22) निवासी परीक्षितगढ़ रोड मेरठ और सुधीर उज्जवल (23) निवासी गांव सिरसली, बागपत के रूप में हुई।
हत्या की वजह शीबा बनी
22 मई की रात तीनों की हत्या कोतवाली के गुदड़ी बाजार में हाजी इजलाल कुरैशी ने अपने भाइयों और दोस्तों के साथ मिलकर की। इजलाल की दोस्ती मेरठ कॉलेज में पढ़ने वाली शीबा सिरोही से थी। वह एकतरफा प्यार करता था। वहीं, सुनील ढाका भी शीबा को चाहने लगा था। शीबा को इजलाल से तीनों युवकों का मिलना पसंद नहीं था। उसने इजलाल को तीनों के खिलाफ उकसाया था। तीनों को गुदड़ी बाजार में आरोपी इजलाल ने घर बुलाया। जहां हत्या कर दी।यह हत्याकांड इतना नृशंस था कि प्रदेशभर में चर्चा में रहा। तीनों युवकों को पहले गोली मारी, फिर तलवार से गला काटा गया। लाठी-डंडों से पीटा। आंखें भी फोड़ दी। घटना को देख और सुनकर हर कोई हैरान था। आनन-फानन मेरठ के साथ ही बागपत पुलिस को अलर्ट किया गया। तत्काल एक आरोपी की गिरफ्तारी भी की गई। मुख्य आरोपी इजलाल से पूछताछ हुई तो हैरान करने वाले खुलासे हुए।
ऐसे दिया हत्याकांड को अंजाम
दरअसल इजलाल को पता चला कि शीबा सुनील ढाका को चाहती है। सुनील भी उसे प्यार करता है। ये बात इजलाल को खटक गई। उसने तय कर लिया कि सुनील ढाका को छोड़ेगा नहीं, ठिकाने लगाएगा। सुनील को ठिकाने लगाने के लिए इजलाल ने अपने तीन दोस्तों सुनील, पुनीत गिरी, सुधीर उज्जवल को अपने ठिकाने पर बुलाया।इसके बाद जमकर शराब पिलाई। जब तीनों लड़के नशे में बेसुध हो गए तो इजलाल ने तीनों को अपने ही घर में कैद कर लिया। इसके बाद इजलाल ने अपने दूसरे साथियों को घर बुलाया। तीनों युवकों को बुरी तरह पीटा। इजलाल इतना आक्रोशित था कि तीनों लड़कों को बुरी तरह पीटने के बाद भी उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसने तीनों लड़कों की आंखें फोड़ डाली। फिर उनको गोली मार दी। इसके बाद तलवार से उनके गले काटे। रातभर इजलाल के टॉर्चर और मौत का खूनी खेल चलता रहा। पूरी रात इजलाल युवकों को काटता रहा और सुबह हो गई।आरोपी इजलाल और दोस्तों ने तीनों लाशों को घर में ही सड़क की तरफ बने एक छोटे से जीने के पास डाल दिया। लेकिन, थोड़ी ही देर लाशों से खून बह कर सड़क पर आने लगा। आसपास के लोगों ने खून बहता देखा तो शोर मचाया। इसके बाद उस हिस्से को खोला गया तो भयानक मंजर नजर आया। इतने में इजलाल का नशा भी उतर गया।उसने आनन-फानन गाड़ियां मंगाई और तीनों शवों को एक गाड़ी की डिक्गी में डालकर गंग नहर की ओर भागा। कोई सही जगह नजर नहीं आई तो आरोपी इन शवों को लेकर बागपत बॉर्डर पर हिंडन किनारे पहुंचा। इस दौरान गाड़ी का तेल खत्म हो गया तो आरोपी गाड़ी में ही शव छोड़कर फरार हो गया।
शवों को गाड़ी में बुरी तरह ठूंसा
स्थानीय लोग बताते हैं- जीने से शवों को निकाल कर ठिकाने लगाने का दृष्य भी भयावह था। दरअसल, आरोपी जब अपने घर से शव निकाल रहा था तो सड़क पर गाड़ियों का काफिला था। इसमें एक गाड़ी पर नीली बत्ती लगी थी। एक गाड़ी में शव ठूंस कर भरे जा रहे थे।मकान के अंदर से लेकर सड़क तक खून ही खून फैला था। बावजूद इसके किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि आरोपी को रोक या टोक सके। बागपत पुलिस ने इस संबंध में केस दर्ज कर आरोपी इजलाल को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन कोर्ट में पेशी के दौरान गुस्साए लोगों ने हिरासत में उसकी पिटाई कर दी।
गवाह संदीप पर हो चुका है जानलेवा हमला
मेरठ से लेकर दिल्ली तक सैकड़ों छात्रों ने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया था। इसी प्रकार व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर खराब कानून व्यवस्था का विरोध किया। मुकदमे के वादी अनिल ढाका स्वतंत्र गवाह के रूप में दुष्यंत तोमर उर्फ अमित राणा, संदीप ढ़डरा, अमित उज्जवल, राजेश कुमार कोर्ट में पेश हुए हैं।इनके अलावा विवेचक पंकज कुमार गौतम, डीके बालियान, नागेश मिश्रा, हरीश भदौरिया पंचनामे का गवाह दरोगा सोमपाल पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉ. कृष्ण कुमार, मुकदमा लिखने वाले एएसआई हरी सिंह, आरोपियों से बरामदगी करने वाले एसआई सुशील कुमार व नरेश चंद वर्मा सिपाही अनुराग पाठक फिंगर प्रिंट लेने वाले जयवीर सिंह नक्शा-नजरी बनाने वाले राज सिंह आर्म्स एक्ट के गवाह राजेश कुमार, दरोगा रघुनंदन सिंह भदौरिया सिपाही अरविन्द मौजूद रहे। वहीं आरोपी पक्ष से पांच गवाह नफीस, अमित शर्मा, इस्माइल, शरीफ और आबिद पेश किये गये। गवाह संदीप पर जानलेवा हमला हो चुका है।
कांवड़ के चलते नहीं सुनाई गयी सजा
दरअसल कांवड़ के कारण पूरा कांवड़ में लगा हुआ है। इन सब चीजों को देखते हुए कोर्ट ने सजा का फैसले की तारीख आगामी 5 अगस्त रखी है। क्यों कि तब कांवड़ यात्रा समाप्त हो चुकी होगी। कांवड़ में लगा फाेर्स भी लैाट आएगा।
मृतकों के परिजनेां ने ली राहत की सांस
जिस समय कोर्ट में इस मामले में बहस चल रही थी। उस वक्त कोर्ट में तीनों मृतकों के परिजन भी मौजूद थे। सजा सुनाते वक्त उन्होंने राहत की सांस ली। उनके चेहरे के हाव भांव साफ दिखाई दे रहे थे।
No comments:
Post a Comment