चुनावी बिसात में चारो खाने चित हुए नौकरशाह
चुनाव में उतरे सभी छह अफसरों की हुई हारलखनऊ (एजेंसी)।सियासत की जमीन पर जड़ें जमाने के लिए चुनावी मैदान में उतरे नौकरशाह चारों खाने चित हो गए। अगर हम केवल एक को छोड़ दें तो बाकी पांच तो मुख्य मुकाबले के भी आसपास नहीं दिखाई दिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट सेक्रेटरी रहे नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा भाजपा के टिकट पर श्रावस्ती से खड़े हुए थे लेकिन सपा के राम शिरोमणि वर्मा ने उन्हें 76,673 मतों से पराजित कर दिया।
पूर्व आईपीएस अरविंद सेन भाकपा के टिकट पर फैजाबाद से उतरे लेकिन हार कर बाहर हो गए। डिप्टी एसपी रहे शुभ नरायन गौतम को बसपा ने कौशांबी से प्रत्याशी बनाया था। मुख्य मुकाबले में भी नहीं आ सके।
बसपा ने मथुरा से रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी सुरेंद्र सिंह को प्रत्याशी घोषित किया लेकिन यहां भी मुख्य लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच रही। इंजीनियरिंग संवर्ग के रिटायर्ड अफसर सुरेश गौतम को जालौन से टिकट दिया गया।
यहां भी सपा और भाजपा में मुख्य मुकाबला रहा। सपा ने रिटायर्ड एडीजे मनोज कुमार को नगीना से टिकट दिया था। आजाद समाज पार्टी और भाजपा के बीच ही जीत का संघर्ष चला, जिसमें चंद्रशेखर रावण विजयी रहे।
हालांकि नौकरशाही के माहिर अफसर राजनीति के दांव-पेच भी खूब जानते हैं। मौका पड़ने पर नेताओं की तरह पाला बदलने से नहीं चूकते। बसपा सरकार में सबसे कद्दावर अफसरों में शुमार आईएएस कुंवर फतेह बहादुर सिंह और रामबहादुर ने सेवानिवृत्ति के बाद बसपा का दामन थाम लिया था।
फतेह बहादुर बाद में सपा, तो रामबहादुर भाजपा में चले गए। इसी तरह बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी अफसर रहे पीएल पुनिया ने कांग्रेस से राजनीति की। पूर्व आईएएस अफसर नीरा यादव के पति पूर्व आईपीएस महेंद्र सिंह यादव सपा सरकार में मंत्री बने, लेकिन बाद में भाजपा का दामन थाम लिया।


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