सेंसेक्स और आर्थिक अहमियत की ऊंचाई
- डा. जयंतीलाल भंडारी
इन दिनों प्रकाशित हो रही दुनिया की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों और आर्थिक संगठनों की रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई गठबंधन सरकार के द्वारा आर्थिक नीतियों, आर्थिक सुधारों और विकास की डगर पर तेजी से आगे बढऩे के रणनीतिक कदमों से भारत की विकास दर में वृद्धि, शेयर बाजार की नई ऊंचाई तथा वैश्विक परिदृश्य पर भारत की आर्थिक अहमियत बढ़ते हुए दिखाई दे रही है। जहां एक ओर हाल ही में 18 जून को वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत के विकास दर अनुमान को 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है और 20 जून को बीएसई सेंसेक्स 77479 अंकों की सर्वकालिक नई ऊंचाई पर बंद हुआ है और अब कुछ घट-बढ़ के साथ शेयर बाजार की अच्छी संभावनाएं बनी हुई हैं, वहीं दूसरी ओर पिछले दिनों 13 से 15 जून के बीच इटली में आयोजित जी-7 के शिखर सम्मेलन में विशेष रूप से आमंत्रित भारत की प्रभावी अहमियत दिखाई दी है और यूरोपीय देशों ने भारत को प्राथमिकता दिए जाने के संकेत दिए हैं।
गौरतलब है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी भारत के शेयर बाजार और भारत की विकास दर के बढ़ते नए अनुमान प्रस्तुत किए हैं। कहा गया है कि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की जीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि नीतिगत सुधार जारी रहेंगे। इससे अगले पांच वर्षों के दौरान विकास और इक्विटी रिटर्न प्रभावित होगी। रेटिंग एजेंसी का मानना है कि सरकार महंगाई की आक्रामकता पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगी। मूडीज ने अगले एक वर्ष में भारतीय शेयर बाजारों का प्रदर्शन सकारात्मक रहने का अनुमान जताया है और कहा है कि अगले 12 महीनों के दौरान बीएसई का मानक सूचकांक सेंसेक्स 82 हजार के स्तर के पार जा सकता है और इसमें मौजूदा स्तर से 14 प्रतिशत की वृद्धि होगी।


इन सबके साथ-साथ रिपोर्ट में आने वाले दिनों में और अधिक संरचनात्मक सुधारों की उम्मीद की गई है। कहा गया है कि 2025-26 तक आय वृद्धि पूर्वानुमान के साथ कंपनियां बेहतर प्रदर्शन करेंगी, जो आम सहमति से 500 आधार अंक या पांच प्रतिशत अधिक है। इतना ही नहीं, दुनिया में अगला दशक भारत का होगा। वैश्विक वृद्धि में भारत की भागीदारी करीब 20 प्रतिशत होगी। दुनिया भर में भारत की सेवाओं और वस्तुओं की बढ़ती मांग से इसमें मदद मिलेगी। इससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि होगी। साथ ही देश के उन्नत डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि भारतीय शेयर बाजार की ऊंचाई का लाभप्रद नया रिकॉर्ड बना है। जहां भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण अब बढक़र 5.21 ट्रिलियन डॉलर हो गया है, वहीं हांगकांग के शेयर बाजार का पूंजीकरण घटकर 5.17 ट्रिलियन डॉलर रह गया है। ऐसे में भारत ने बाजार पूंजीकरण के मामले में हांगकांग को एक बार फिर पछाड़ दिया है और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है। स्थिति यह है कि देश की नई सरकार से देश और दुनिया में विकास व सुधारों की उम्मीद बढ़ी है। पिछले दिनों दुनिया की प्रसिद्ध क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ने भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि, तेज आर्थिक सुधार और बढ़ती राजकोषीय मजबूती के मद्देनजर भारत की रेटिंग को स्थिर यानी स्टेबल से बदलकर पॉजिटिव कर दिया है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि पिछले तीन साल में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत वास्तविक वृद्धि दर 8.1 फीसदी सालाना रही है और अब यह विकास दर अगले तीन साल में लगातार 7 फीसदी के करीब होगी।
निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई एनडीए गठबंधन सरकार की वैश्विक आर्थिक अहमियत पिछले दिनों 13 से 15 जून के बीच एक बार फिर दुनिया के सात प्रमुख विकसित देशों के समूह जी-7 के शिखर सम्मेलन में दिखाई दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इटली में आयोजित जी-7 देशों की 50वीं शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया। भारत उन 12 देशों और पांच संगठनों में शामिल था जिन्हें इटली में जी-7 कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में जी-7 बैठक एक बेहतर वैश्विक मंच साबित हुई है। इस सम्मेलन के दौरान मोदी ने कई प्रभावी बातें कहीं।
उन्होंने तकनीकी क्षेत्र में एकाधिकार खत्म करने की भी मांग की, साथ ही हरित युग को अपनाने की अपील की है। इस मौके पर उन्होंने दुनिया के प्रमुख नेताओं से जो द्विपक्षीय बातचीत की, उसके भी अच्छे परिणाम दिखे हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर जेलेंस्की के साथ मुलाकात करके मोदी ने कहा कि यूक्रेन के द्वारा रूस के साथ युद्ध को बातचीत और कूटनीति के जरिए हल करना ही बेहतर है। इस सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली, फ्रांस, जापान और इंग्लैंड के राष्ट्र प्रमुखों से द्विपक्षीय वार्ताएं भी की। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि भारत के लिए सबसे ठोस लाभ जी-7 की उस प्रतिबद्धता से उपजा, जिसमें कहा गया कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) को बढ़ावा दिया जाएगा। इस गलियारे के निर्माण की घोषणा गत वर्ष भारत में जी-20 शिखर बैठक के समय की गई थी। जी-7 सम्मेलन में कहा गया है कि खास तौर पर आईएमईसी को मूर्तरूप देने के लिए समन्वय और वित्तपोषण पर जोर दिया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) परियोजना के तहत सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक विशाल सडक़, रेलमार्ग और पोत परिवहन तंत्र की परिकल्पना की गई है, ताकि एशिया, पश्चिम एशिया और पश्चिम के बीच जुड़ाव सुनिश्चित किया जा सके। आईएमईसी को समान विचारधारा वाले देशों ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के समक्ष रणनीतिक प्रभाव हासिल करने की पहल के रूप में पेश किया है। यह बात महत्वपूर्ण है कि जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की बढ़ी अहमियत से चीन के प्रति बढ़ती नकारात्मकता के मद्देनजर भारत नए वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश के रूप में और अधिक उभरकर सामने आएगा।
अब नई गठबंधन सरकार निर्यात बढ़ाने और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने की अच्छी संभावनाएं रखती है। निश्चित रूप से इस समय घटते हुए वैश्विक निर्यात और घटते हुए वैश्विक व्यापार के बीच भारत से माल एवं सेवाओं का कुल निर्यात पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में उच्चतम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 776.68 अरब डॉलर रहा है। यह वित्त वर्ष 2022-23 में 776.40 अरब डॉलर रहा था। इस समय दुनिया में कृषि निर्यात में भारत का स्थान सातवां है। भारत से करीब 50 हजार डॉलर से अधिक मूल्य का कृषि निर्यात होता है। हम उम्मीद करें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल के दौरान गठबंधन सरकार के सभी दलों के साथ समन्वय व सामंजस्य के नए प्रतिमान स्थापित करने के साथ आर्थिक सुधारों को जारी रखते हुए देश को आगे बढ़ाएंगे।


हम उम्मीद करें कि प्रधानमंत्री मोदी महंगाई नियंत्रण और रोजगार वृद्धि को अधिक प्राथमिकता देते हुए एक ऐसी मजबूत सरकार को आगे बढ़ाते हुए दिखाई देंगे जो गरीब कल्याण व सामाजिक न्याय के ऊंचे प्रतिमानों से आम आदमी की मुस्कुराहट बढ़ा सकेगी। हम उम्मीद करें कि मोदी एक दृढ़तापूर्वक रणनीतिक प्रशासनिक निर्णय लेते हुए उन्हें कार्यान्वित करने वाली ऐसी क्षमतावान सरकार को आगे बढ़ाएंगे, जो भारत को 2027 में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा सकेगी।

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