आवाज की सही अदायगी करा सकती है लाखों की कमाई
तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में जरीन नाज ने छात्रों को सिखाईं रेडियो जॉकी की बारीकियां
मेरठ। जो युवा रेडियो के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें भाषा पर अपनी पकड़, सही उच्चारण, सामान्य ज्ञान का दायरा बढ़ाने और परिस्थिति के अनुसार आवाज के उतार-चढ़ाव पर विशेष ध्यान देना होगा। इसी के साथ आवाज की सही अदायगी को भी सीखना होगा। युवाओं को यह सलाह दी एफएम रेनबो की रेडियो जॉकी जरीन नाज ने, जो मंगलवार 12 मार्च को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय स्थित तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में रेडियो जॉकी की विद्या पर आयोजित एक दिवसीय वर्कशॉप में बोल रही थीं।
जरीन नाज ने रेडियो जॉकी से संबंधित हर पक्ष पर छात्र-छात्राओं से बात की और बताया कि विषय के अनुसार किस प्रकार वॉइस मॉड्यूलेशन यानी अपनी आवाज में उतार-चढ़ाव लाया जाना चाहिए। उन्होंने स्वयं तरह-तरह की संवाद अदायगी करके बताया कि रेडियो के विभिन्न कार्यक्रमों के अनुसार अपनी आवाज का कैसे प्रयोग किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि अगर कोई युवा अपनी आवाज और उच्चारण पर मेहनत करता है तो केवल रेडियो जॉकी ही एकमात्र क्षेत्र नहीं हैं, जिसमें उसे रोजगार मिल सकता है, बल्कि अपनी आवाज का प्रयोग करके वह वॉइस ओवर आर्टिस्ट, डबिंग आर्टिस्ट, एनाउंसर, प्रजेंटर आदि के रूप में अपना करियर बना सकता है और बहुत अच्छी कमाई कर सकता है। लेकिन कोई भी एक दिन में आरजे नहीं बन सकता है। इसके लिए मेहनत करनी होगी। भाषा को जानने के साथ ही उसे सुगमता और रवानगी से बोलना भी सीखना होगा। नुक्ते वाले शब्दों का सही उच्चारण जानना होगा। विषय और मौके की नजाकत के अनुसार शब्दों का चयन करना सीखना होगा।
जरीन नाज ने बताया कि आकाशवाणी में जहां हर रेडियो आर्टिस्ट को बारी-बारी से मौका दिया जाता है, वहीं निजी एफएम चैनल में कुछ ही रेडियो जॉकी से काम चलाया जाता है। आरजे या वॉइस ओवर आर्टिस्ट की कोई वैकेंसी नहीं निकलती है, बल्कि ये नियुक्तियां संपर्क और नेटवर्क के जरिये ज्यादा होती हैं। इसलिए जो भी युवा इस क्षेत्र में जाना चाहते हैं वे अपने बेसिक्स पर मेहनत करके सबसे पहले ऑडिशन दें। अगर उनकी आवाज में दम हुआ तो शुरू में उन्हें छोटे प्रोग्राम या वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में कुछ लाइनें बोलने को मिल सकती है। यदि उनका काम बेहतर हुआ तो धीरे-धीरे यह यात्रा आगे बढ़ती है और फिर ज्यादा काम भी मिलना शुरू हो जाता है। इसके अतिरिक्त आप स्वयं सोशल मीडिया पर अपना पॉडकास्टिंग प्लेटफार्म बनाकर अपनी प्रतिभा से न्याय कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि दिल्ली, मुंबई और अन्य बड़े शहरों में अपनी आवाज से कमाई के बहुत अवसर हैं। कितना पैसा मिलेगा यह आपकी प्रतिभा और प्रोडक्शन हाउस पर निर्भर होता है। अच्छी आवाज और अदायगी के धनी दिनभर एक स्टूडियो से दूसरे स्डूडियो दौड़ते रहते हैं और लाखों की कमाई करते हैं।
वर्कशॉप के दौरान जरीन नाज ने आवाज के उतार-चढ़ाव के अनेक प्रत्यक्ष उदाहरण देककर युवाओं को रोमांचित कर दिया। उन्होंने कार्टून कैरेक्टर, कई फिल्म अभिनेत्रियों की डॉयलॉग डिलीवरी, डिस्कवरी चैनल की डॉक्यूमेंटरी और विज्ञापनों में किए जाने वाले वॉइस ओवर एवं आरजे के रूप में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों के प्रस्तुतिकरण का नजारा प्रस्तुत किया। वर्कशाप में छात्र-छात्राओं ने प्रश्न पूछकर न केवल अपनी जिज्ञासा शांत की, बल्कि जरीन नाज के समक्ष अपनी आवाज की प्रस्तुति भी दी और फिर उनसे उसे बेहतर करने के टिप्स लिए।
इससे पहले वर्कशाप की शुरुआत में तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के निदेशक प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने जरीन नाज का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि यह वर्कशॉप छात्र-छात्राओं के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मी चौधरी ने किया। इस दौरान दीपिका वर्मा, लव कुमार सिंह, बीनम यादव, मितेंद्र गुप्ता, राकेश शर्मा, ज्योति भी मौजूद रहीं।
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