विश्व गुर्दा दिवस पर गुर्दा दान करने वालाें के किया सम्मानित 

290 लाेगों को  गुर्दा प्रत्यारोपण से मिली नयी जिदंगी 

 मेरठ। विश्व गुर्दा दिवस के उपलक्ष्य में  न्यूटिमा हॉस्पिटल के तत्तवावधान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान गुर्दा देने वाले महारथियों को अस्पताल की ओर से सम्मानित किया गया। चिकित्सकों ने ऐसे महारथियों को सैल्यूट किया गया। 

अस्पताल के निदेशक  डा संदीप गर्ग ने बताया विशेषज्ञ टीम द्वारा अभी तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्दा प्रत्यारोपण (रेनल ट्रांसप्लांट) जैसे HLA (छोटे बच्चों के गुर्दा प्रत्यारोपण), गुर्दा प्रत्यारोपण टीम ने कई HLA गुर्दा प्रत्यारोपण कर रोगी बच्चों को एक नया जीवन प्रदान किया है। ABO-INCOMPATIBLE, स्वैप ट्रांसप्लांट और अतियाधुनिक तकनीक से जितने तरह के भी ट्रांसप्लांट संभव है को सफलतापूर्वक पूर्ण कर लगभग 290 से भी अधिक गुर्दा मरीजों को एक नयी जिंदगी प्रदान की है। कुछ गुर्दा मरीजों गुर्दा प्राप्तकर्ता एवं गुर्दा दाता का अलग अलग ब्लड ग्रुप होता है इस प्रकार के प्रत्यारोपण को (ABO-Incompatible Transplant) कहते है। इस तरह के गुर्दा प्रत्यारोपण न्यूटिमा हॉस्पिटल में अब तक कुल 7 प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक कर चुके है।

क्या होता है रेनल ट्रांसप्लांट (गुर्दा प्रत्यारोपण) ?

जब किसी मरीज के गुर्दे पूर्ण रूप से अपना काम करना बंद कर देते है तो मरीज के पास केवल दो विकल्प ही शेष बचते है पहला गुर्दा रोग विशेषज्ञ के निर्देशानुसार मरीज लगातार डायलिसिस कराये दूसरा वह गुर्दा प्रत्यारोपण करा कर सामान्य जीवन व्यतीत करे। यदि मरीज दूसरा विकल्प चुनता है तो उसको घर में से कोई सदस्य अथवा रिश्तेदार या दोस्त गुर्दा दान कर सकता है इसी को रेनल ट्रांसप्लांट (गुर्दा प्रत्यारोपण) कहते है।

रेनल ट्रांसप्लांट (गुर्दा प्रत्यारोपण) के लिए क्या जरुरी है ?

रेनल ट्रांसप्लांट के लिए डोनर (गुर्दा दाता) होना जरुरी है डोनर का ब्लड ग्रुप आमतौर पर रिसीवर (गुर्दा आदाता) से मैच (मिलान) होना चाहिए। यदि दोनों डोनर और रिसीवर का ब्लड ग्रुप मैच नहीं करता है तो इस परिस्थिति में मरीज का स्वैप ट्रांसप्लांट या ABO-incompatible (ABOi) ट्रांसप्लांट कर सकते है।

स्वैप ट्रांसप्लांट क्या होता है ?

ट्रांसप्लांट में आमतौर पर दो परिवारों के बीच अंगों का आदानप्रदान होता है-, जो ब्लड ग्रुप मैच नहीं करने वरन  अपने ही परिवार के किसी सदस्य को अंगदान नहीं कर सकते। हॉनर और रिसीवर  होने पर दो अथवा चार मरीजों के परिवायुरी वारीसमसार पारिवारिक सदस्यों की आपसी सहमती से एक परिवार दुसरे परिवार को और दूसरा परिवार पहले परिवार को गुर्दा दान कर देता है। हाल ही में किये गए मरीज के गुर्दा प्रत्यारोपण में इसी विधि का प्रयोग किया गया है। उपरोक्त विधि से न्यूटीमा हॉस्पिटल में अब तक कुल 3 गुर्दा प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किये जा चुके है।

 ट्रांसप्लांट

जब किसी डोनर और रिसीवर का ब्लड ग्रुप मैच नहीं करता है तब हम शरीर में एंटीबाडीज चेक करते है। एंटीबाडीज का स्तर अनुकूलतम होने पर रेनल ट्रांसप्लांट कर सकते है परन्तु इसमें अतिरिक्त (Immunosuppressant's) प्रतिरक्षा दमनकारी दवाइयों की आवश्यकता पड़ती है जोकि बहुत खर्चीला है।

इस मौके न्यूटीमा अस्पताल की गुर्दा प्रत्यारोपण टीम डॉ. संदीप कुमार गर्ग, डा. श्वेता गर्ग, डा. शालीन शर्मा, डा. शरत चन्द गर्ग, डॉ. अवनीत राणा एवं अन्य चिकित्सक डॉ. अनुपमा उपाध्याय, डा. अमित उपाध्याय, डा.प्रियांक गर्ग, डॉ. एच. के. डोगरा, डॉ० विश्वजीत बेम्बी, डॉ० विनोद कुमार शर्मा, डॉ0 रोहित सिंह काम्बोज, डॉ० सुधि अग्रवाल काम्बोज, डॉ० प्रियंका गर्ग, डॉ० दीप्ती डोगरा, कैप्टन राजीव रस्तोगी, और न्यूटीमा अस्पताल के अन्य डाक्टर्स व गुर्दा प्रत्यारोपण कोडिनेटर अमित कुमार उपस्थित रहे। 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts