भारत-तिब्बत भू-सांस्कृतिक संबंध’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन
मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्विद्यालय में ‘भारत-तिब्बत भू-सांस्कृतिक संबंध’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन सुभारती बुद्धिस्ट स्टडीज, सुभारती लॉ कॉलेज एवं राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि सुशील कुमार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यकारणी सदस्य, पश्चिम उत्तर प्रदेश थे। जबकि कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेविका निधि बहुगुणा, डॉ. रविंद्र कुमार, प्रधान वैज्ञानिक, भारत सरकार आदि शामिल रहे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक सुशील कुमार ने कहा कि भारत और तिब्बत के बीच भू-सांस्कृतिक सम्बन्ध घनिष्ठ रहे हैं। इन दोनों क्षेत्रों के बीच ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की लंबी परंपरा रही है।उन्होंने कहा कि भारत और तिब्बत के ऐतिहासिक संबंधों की शुरुआत गुप्त वंश के समय से ही है।बौद्ध और हिन्दू धर्म का तिब्बत पर गहरा प्रभाव रहा है। गौतम बुद्ध के शिक्षाओं का प्रसार तिब्बत में हुआ और वहां बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना।
गुरु-शिष्य परंपरा ने तिब्बती धर्म और संस्कृति को प्रभावित किया है। तिब्बत में भारतीय गुरुओं के आगमन के बाद धर्म, विज्ञान, कला, और साहित्य में वृद्धि हुई। सुशील कुमार ने कहा कि भारत और तिब्बत के बीच सीमा विवाद होने के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार, पर्यटन, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए नेतृत्व के स्तर पर समझौते होते रहे हैं। उन्होंने अपने वक्तव्य में इस बात पर ज़ोर दिया कि हम सबको तिब्बत को उसका हक़ दिलाना होगा।
इस अवसर पर सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज़ के सलाहकार डॉ. हीरो हितो ने अपने संदेश में कहा कि आज तिब्बत के लोगों के साथ भारतवासियों को खड़ा होने की जरूरत है क्योंकि सांस्कृतिक व धार्मिक रूप से दोनों क्षेत्रों में गहरा संबंध रहा है और आगे भी रहेगा।
विशिष्ट अतिथि जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र मेरठ की निधि बहुगुणा ने लदाख एवं तिब्बत सम्बंधित सीमाओं का इतिहास बताया। उन्होंने मिंसर वैली पर विस्तार से प्रकाश डाला।कार्यक्रम में स्वागत संबोधन करते हुए पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष व एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक प्रो.(डॉ.)एस. सी. थलेड़ी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत और तिब्बत के सांस्कृतिक संबंधों का विद्यार्थियों को ज्ञान होना जरूरी है। इस दृष्टि से यह व्याख्यान महत्वपूर्ण है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुभारती लॉ कॉलेज के संकायाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) वैभव गोयल भारतीय ने कहा कि इतिहास की सही जानकारी समाज में दी जानी चाहिए तथा यह व्याख्यान इस दृष्टि से ज्ञानवर्धक रहा है।
इस दौरान डॉ. रविंद्र कुमार ने एनएसएस के स्वयसेवकों तथा उपस्थित प्राध्यापकों को मतदाता शपथ दिलवाई। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. सीमा शर्मा ने किया। इसके अतिरिक्त डॉ. मनीषा त्यागी, समीर सिंह, डॉ. श्रीधा झा, डॉ. प्रवीण, डॉ. विवेक, डॉ. संजय, विमल बोधी, डॉ. प्रीति सिंह, राम प्रकाश तिवारी, मधुर शर्मा, शैली शर्मा, डॉ. अजय, डॉ. विशाल कुमार, डॉ. धनंजय श्रीवास्तव, धर्मेंद्र कुमार, शिवानी भदौरिया, प्रो. दयानंद द्विवेदी, प्रो. मंजू रानी एवं शैलेंद्र प्रसाद गोदियाल, सह संयोजक लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र मेरठ चैप्टर के अतिरिक्त वियतनाम एवं बर्मा के बौद्ध भिक्खु व एनएसएस के सैकडों स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
No comments:
Post a Comment