बाॅम्बे हाई कोर्ट ने ने म्युज़िक लाइसेंसिंग ऑथॉरिटी की पुष्टि की 

पीपीएल ने कानूनी लड़ाई में ऐतिहासिक जीत हासिल की  


मेरठ
: एक उल्लेखनीय फैसले में बाॅम्बे हाई कोर्ट ने काॅपीराईट सोसाइटी के रूप में पंजीकरण की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए म्युज़िक लाइसेंसिंग के दिग्गजों फोनोग्राफिक परफोर्मेन्स लिमिटेड (पीपीएल) और नोवेक्स कम्युनिकेशन्सल प्रा. लिमिटेड (नोवेक्स) के द्वारा काॅपीराईट मालिकों के रूप में लाइसेंस जारी करने के अधिकारों को स्पष्ट रूप से बरक़रार रखा है। 24 जनवरी 2024 को सुनाया गया यह ऐतिहासिक फैसला साइउण्ड रिकाॅर्डिंग लाइसेंस के लिए मालिक के अधिकारों के दायरे पर लम्बे समय से चल रही बहस को हल करता है।

इस कानूनी लड़ाई में पीपीएल की जीत, न सिर्फ हमारी बल्कि पूरे संगीत उद्योग की जीत हैं। बाॅम्बे हाई कोर्ट का फैसला काॅपीराईट मालिकों एवं एक्सक्लुज़िव लाइसेंसियों के अधिकारों पर ज़ोर देते हुए पीपीएल को उल्लंघन से सुरक्षा के टूल्स प्रदान करता है जो असली म्युज़िक लेबल्स पर मेहनत से कमाए गए निवेश को कमज़ोर बनाते हैं। यह जीत संगीत उद्योग को संचालित करने वाले रचनात्मक प्रयासों के सम्मान और संरक्षण के महत्व को रेखांकित करती है, साथ ही ऐसे भविष्य के निर्माण को बढ़ावा देती है जहां काॅपीराईट्स में निवेशकों, कलाकारों और उनकी रचनाओं को महत्व दिया जाएगा और सुरक्षित रखा जाएगा।’’ जी.बी. अय्यर, एमडी एवं सीईओ, पीपीएल ने कहा।

1941 में स्थापित पीपीएल ने 200 से अधिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ़ कई मामलों में जीत हासिल की है, जिनमें जाने-माने नाम जैसे सोशल, फर्ज़ी कैफ़े तथा ओलिव बार एण्ड किचन शामिल हैं। कोर्ट के आदेश काॅपीराईट के क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव लाकर म्युज़िक उद्योग पर दूरगामी प्रभाव उत्पन्न करेंगे।

कोर्ट के फैसले में पीपीएल के लिए मालिक एवं एक्सक्लुज़िव लाइसेंसी के दर्जे की पुष्टि की गई है, जिसके पास धारा 30 के तहत लाइसेंस देने, असाइनमेन्ट डीड्स और एक्सक्लुज़िव लाइसेंस एग्रीमेन्ट्स को मान्य करने का अधिकार है। यह फैसला धारा 33(1) की व्याख्या मालिक के अधिकारों पर प्रतिबंध के रूप में नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा और सुविधा के साधनों के रूप में करता है।

यह कानूनी जीत पीपीएल को निर्बाध रूप से लाइसेंस संचालन जारी रखने, उल्लंघन को रोकने तथा विशाल कैटलाॅग (जिसमें जाने-माने लेबल्स जैसे आदित्य म्युज़िक, लहरी म्युज़िक, सोनी म्युज़िक और टी-सीरीज़ की ओर से 70 लाख से अधिक गीत शामिल हैं) के अनधिकृत इस्तेमाल के खिलाफ़ सशक्त बनाएगी।

यह फैसला न सिर्फ पीपीएल के वैद्य कारोबार संचालन में स्पष्टता लाएगा बल्कि भारतीय काॅपीराईट परिवेश में मिसाल भी क़ायम करेगा। यह इस धारणा की पुष्टि करेगा कि काॅपीराईट सोसाइटी प्रावधान को मालिक के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए लागू किया गया था नाकि उनमें कटौती करने के लिए।

यह जीत कलाकारों के अधिकारों के संरक्षक के रूप में पीपीएल की स्थिति को मजबूत बनाएगी और भारत में काॅपीराईट कानून के विकास में उल्लेखनीय साबित होगी।  

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