राम से बड़ा राम का नाम"-प्रोफेसर बीरपाल सिंह
"श्री राम" की मोहर लगाकर सैकड़ो भक्तों ने भगवान के प्रति अपनी आस्था प्रकट की"
मेरठ। भगवान "राम" के नाम से समंदर में भी पत्थर तैर गए थे व्यक्ति अपने जीवन काल में राम का नाम लिखने य स्मरण करें तो सारे सुख पाता है। आज सारा भारत "राममय" है। ऐसे में ललित कला विभाग द्वारा "श्री राम उत्सव" की अद्भुत छठा बिखरी हुई है ललित कला विभाग द्वारा आयोजित इस उत्सव में विश्वविद्यालय परिसर से ही नहीं अपितु बाहर से आए हुए लोग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं हर कोई राम का नाम लिखने को आतुर दिखाई दिया। ऐसा "मुख्य अतिथि" प्रोफेसर संगीता शुक्ला
माननीय कुलपति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने कहा उन्होंने कहा कि ललित कला विभाग द्वारा इस प्रकार की गतिविधियां युवाओं को "श्री राम" की ओर आकर्षित ही नहीं कर रही अपितु उनको उनके आदर्शों पर चलने के लिए भी अवश्यक प्रेरित करेगी। इसके लिए विभाग की समन्वयक प्रोफेसर अलका तिवारी, समस्त शिक्षिकाएं और विद्यार्थी बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इतनी मेहनत कर इस सुंदर कार्यक्रम का आयोजन किया। बतौर अतिविशिष्ट अतिथि, प्रोफेसर बीर पाल सिंह, चीफ प्रॉक्टर, शोध निदेशक चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ तथा संयोजक भारतीय प्रज्ञान परिषद, पश्चिमी उत्तर प्रदेश ने कहा कि "राम" के अक्षर में पूरी"रामायण" है। "राम" नाम को वेदों का प्राण माना जाता है। भगवान राम के नाम से समंदर में पत्थर तैर गए थी। आज ललित कला विभाग द्वारा पीतांबर वस्त्र पर श्री राम की प्रतिमा स्थापित करते हुए श्री राम लिखने की परंपरा की पहल अत्यंत प्रशंसनीय व अनुकरणीय है कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर अलका तिवारी समन्वयक ललित कला विभाग ने बताया कि इतनी अधिक संख्या में विश्वविद्यालय परिसर के युवा विद्यार्थियों कर्मचारियों और शिक्षकों ने "जय श्री राम" लिखने में अपना उत्साह दिखाया जय श्री राम की "मोहर" लगाकर तथा जय श्री राम की नारों के साथ-साथ पृष्ठभूमि राम की धुन के संगीत पर उपस्थित समूह ने भक्तिभाव से नृत्य भी किया जिससे विश्वविद्यालय परिसर पूर्णतया 'राममय' में हो गया। विश्वविद्यालय परिसर से बाहर से भी महिला बुजुर्गों व बच्चों ने भी पीतांबर वस्त्र पर जय श्री राम के नारे के साथ जय श्री राम की लाल रंग से लगी मोहर लगाई । प्रोफेसर अलका तिवारी ने कहा कि कला सदैव से धर्म की अनुचारिणी रही है। तथा "सत्यम शिवम सुंदरम" को प्रस्तुत करती आई है। "श्री राम जी" के लिए कार्य करना हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य पूर्ण है। राम जी को समर्पित इस यज्ञ में विश्वविद्यालय परिसर एवं परिसर से बाहर सैकड़ो व्यक्तियों ने "राम नाम" लिखकर अपनी आस्था और विश्वास को व्यक्त किया है माननीय कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला जी के अतुलनीयसहयोग व दिशा निर्देशन में ललित कला विभाग इस प्रकार के सुंदर व आकर्षक आयोजन करने में समर्थ है मैं उनका हृदय से आभार व्यक्त करती हूं। आज की इस उत्सव में प्रोफेसर वीरपाल सिंह कुलसचिव श्री धीरेंद्र कुमार वर्मा प्रोफेसर भूपेंद्र राणा, प्रोफेसर प्रदीप चौधरी, प्रोफेसर जे ए सिद्दीकी, कर्मचारी प्रतिनिधि श्री अमित कुमार शर्मा, श्री प्रवीण कुमार शर्मा, डॉ मितेंद्र प्रेस प्रवक्ता एवं डॉ प्रवीन पवारअन्य सम्मानित कर्मचारी व अधिकारी गण ने राम नाम का पुण्य कमाया। आयोजन में डॉक्टर पूर्णिमा व डॉ शालिनी धाम सुश्री सलोनी त्यागी, आरुषि, आकाश, संजय कुमार आदि का सहयोग सराहनीय रहा छात्र स्तर पर दिवाकर, तेजस, गौरंगी, मनु,युगांशी, कशिश, मानू,पीयूष, राहुल, दिवाकर, जय श्री ,निशा, तेजस, गौरंगी, रिद्धिमा, सिद्धार्थ, अंश, शीतल, मानसी ,सलोनी, श्रेया, श्रद्धा, कहकशा ,रोजी, महजबीन प्रवीण आदि छात्र-छात्राओं का सहयोग रहा।
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