खुद को देखे पाकिस्तान
इलमा अजीम
पाकिस्तान की समस्या यह है कि जब भी वह भारत के खिलाफ अपने किसी एजंडे को हकीकत में तब्दील करने में नाकाम होता है या फिर खुद को गंभीर आरोपों के कठघरे में पाता है, तब भारत की ओर अंगुली उठा कर खड़ा हो जाता है। हालांकि ऐसा करने से खुद उसके ही कमजोर होने का एक संदेश निकलता है, लेकिन ऐसा लगता है कि बार-बार शर्मिंदगी उठाने के बावजूद उसे भारत पर आरोप लगाने में कोई असहजता नहीं महसूस होती। सवाल है कि क्या अब इस तरह की गतिविधियां पाकिस्तान की आदत में तब्दील हो गई हैं कि अपनी सीमा में मुश्किलों का हल निकालने के बजाय वह किसी भी मामले में भारत का नाम लेकर दुनिया और पाकिस्तानी अवाम को गुमराह करना प्राथमिक समझता है! दरअसल, गुरुवार को पाकिस्तान ने दावा किया कि उसके पास पिछले वर्ष सियालकोट और रावलकोट में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े दो पाकिस्तानी आतंकवादियों की हत्या और ‘भारतीय एजंट’ के बीच संबंध होने के ‘ठोस सबूत’ हैं। अब वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को जिस रूप में देखा-समझा जाता है, उसमें इस आरोप को लेकर शायद ही कोई देश गंभीर होता हो। मगर इससे पाकिस्तान की मंशा एक बार फिर सामने आई है। इस तरह के उथले और निराधार आरोपों की सच्चाई यह है कि जिन आतंकवादियों के मारे जाने के बारे में पाकिस्तान ने भारत पर अंगुली उठाई है, उनसे संबंधित आतंकी संगठनों को पालने के लिए कठघरे में वह खुद खड़ा है। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान स्थित ठिकानों से अपनी आतंकी गतिविधियां संचालित करने के मसले पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग सम्मेलनों में भी सवाल उठ चुके हैं। ऐसे में भारत का यह जवाब बिल्कुल उचित है कि पाकिस्तान की ओर से इस मामले में जो भी कहा गया है, वह भारत विरोधी झूठा और दुर्भावना से भरे प्रचार का उसका नवीनतम प्रयास है; पाकिस्तान जो बोएगा, वही काटेगा और उसकी अपनी करतूतों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराना न तो न्यायोचित हो सकता है, न ही समाधान।
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