जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा : 

परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों में आईयूसीडी बनी पहली पसंद, दूसरे नंबर पर “अंतरा”
 
हापुड़, 25 जुलाई, 2023। जिले में संचालित जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े में अब तक परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों में आईयूसीडी (इंट्रा यूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस) निवेशन टॉप पर है। सबसे ज्यादा 1247 महिलाओं ने आईयूसीडी पर भरोसा जताया है। आईयूसीडी निवेशन के मामले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, हापुड़ सबसे आगे है, पखवाड़े के दौरान 24 जुलाई तक यहां 367 महिलाएं परिवार नियोजन के लिए आईयूसीडी निवेशन करा चुकीं हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी ने बताया - आईयूसीडी परिवार नियोजन का एक दीर्घकालिक, अस्थाई और भरोसेमंद साधन है। इसका उपयोग रोककर लाभार्थी जब चाहे गर्भधारण कर सकती है।
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी (एसीएमओ) डा. प्रवीण शर्मा ने बताया - पखवाड़े के दौरान आईयूसीडी के अलावा अब तक 200 महिलाएं पीपीआईयूसीडी (पोस्ट पार्टम इंट्रा यूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस) और छह महिलाएं (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पिलखुवा पर) पीएआईयूसीडी अपना चुकी हैं। पीपीआईयूसीडी निवेशन के मामले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, हापुड़ टॉप पर है, यहां 44 महिलाओं को पीपीआईयूसीडी लगाई जा चुकी हैं। 
नोडल अधिकारी ने बताया - अस्थाई साधनों में तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन “अंतरा” दूसरे नंबर पर है। 11 जुलाई से शुरू हुए पखवाड़े के दौरान अब तक 594 महिलाएं “अंतरा” अपना चुकी हैं। “अंतरा” के मामले में भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, हापुड़ सबसे आगे है। हापुड़ सीएचसी पर “अंतरा” अपनाने वाली महिलाओं की संख्या 153 पहुंच गई है। जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा 31 जुलाई तक चलेगा।
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126 महिलाएं और 21 पुरुष करा चुके हैं नसबंदी
 
परिवार नियोजन के स्थाई साधन यानि नसबंदी की बात करें तो पखवाड़े के दौरान 24 जुलाई तक परिवार पूरा कर चुकीं 126 महिलाएं और 21 पुरुष स्वेच्छा से अपना चुके ह‌ैं। जिला कार्यक्रम प्रबंधक ( डीपीएम) सतीश कुमार ने बताया- सबसे अधिक 42 महिला नसबंदी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गढ़ मुक्तेश्वर पर हुई हैं। पुरुष नसबंदी के मामले में सिंभावली ब्लॉक सबसे आगे है, यहां सीएचसी सिखेड़ा पर आठ पुरुष नसबंदी हो चुकी हैं। 

 
आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी क्या है ?
इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (आईयूसीडी) लंबे समय तक काम करने वाली, अत्यधिक प्रभावी परिवार  नियोजन विधि है। आईयूसीडी दो प्रकार की होती है। आईयूसीडी-380ए 10 वर्षों तक और आईयूसीडी - 375 पांच वर्षों तक कारगर रहती है। इच्छानुसार बीच में भी इसका प्रयोग रोककर गर्भधारण किया जा सकता है। दूध पिलाने वाली महिलाओं या शिशु के स्वास्थ्य पर इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता। परिवार नियोजन विशेषज्ञ ने बृजभान यादव ने बताया - न तो इसके प्रयोग से इसके प्रयोग से वजन बढ़ता है और न ही बांझपन, संक्रमण, संभोग में असुविधा या कैंसर का खतरा होता है। प्रसव के तुरंत बाद (48 घंटों में ) पीपीआईयूसीडी (पोस्ट पार्टम इंट्रा यूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस) का प्रयोग किया जाता है।
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