भगवान को पांडुकशिला पर विराजमान कर किया अभिषेक
-दिगंबर जैन मंदिर में भक्तांबर विधान धूमधाम से कराया गया संपन्नमेरठ। दिगंबर जैन मंदिर आनंदपुरी में भक्तांबर विधान बड़ी धूमधाम से संपन्न कराया गया। सर्वप्रथम इंद्रों द्वारा भगवान को पांडुकशिला पर विराजमान कर अभिषेक किया। शांति धारा का सौभाग्य सुनील प्रवक्ता को प्राप्त हुआ।
पंच परमेष्ठी भगवान, महावीर भगवान, पार्श्वनाथ भगवान की पूजा की गई। उसके पश्चात भक्तांबर विधान किया गया। भगवान के समक्ष स्वास्तिक मांडले पर 48 अर्घ चढ़ाए गए। राजा भोज द्वारा आचार्य मानतुंग को कैद कर लिया गया था। मानतुंग आचार्य ने कैद में ही इस विधान की रचना की थी, जिससे 48 ताले स्वयं टूट गए थे तथा राजा ने आकर आचार्य श्री से माफी मांगी थी। शाम को ताम्र के मांडले पर भक्तांबर स्तोत्र के श्लोकों के साथ 48 रत्नमय दीपों को अर्पित करते हुए आरती की गई। इन क्रियाओं में अनंत वीर जैन, सतेंद्र जैन का सहयोग रहा। सभी धार्मिक क्रियाएं अरुण जैन द्वारा संपन्न कराई गई।


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