मलियाना नरसंहार  

जस्टिस श्रीवास्तव की रिपोर्ट हो सार्वजनिक 

एक ऐसा शक्स से जो  35 साल में न्याय की उम्मीद में हर तारीख पर पहुंचा कोर्ट 

मेरठ। मलियाना नरसंहार मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 40 हिंसा के आरोपियों को बरी कर दिया है। ऐसे में अब मलियाना  देशभर में फिर एक बार चर्चा में है। 23 मई 1987 को हुए इस कांड के बाद अगले दिन 93 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराने वाले याकूब सिद्दीकी की मांग है कि अब जस्टिस श्रीवास्तव आयोग की रिपोर्ट सरकार सार्वजनिक करें ताकि दुनिया जान सके कि क्या रिपोर्ट उस वक्त तैयार की गई थी जो कि कभी सामने ही नहीं आई। हिंसा मामले में मुकदमा लिखाने वाले याकूब ने कई बड़े खुलासे किए है। 



  याकूब सिद्दीकी वह शक्स हैं जिन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा न्याय पाने के लिए कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने में ही लगा दिया। हिंसा में मारे गए लोगों और पीड़ितों व उनके परिवारों के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़ी। याकूब उस वक्त जवान थे अब बुजुर्ग हो चुके हैं। जानेंगे तमाम सबूत हाथ में और कोर्ट का फैंसला जो आया उसके बाद वह दुखी हैं।  एफआईआर दर्ज कराने वाले मोहम्मद याकूब अली  ने  बताया कि उन्होंने 93 हिंदुओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था वहीं कुछ अज्ञात में भी थे।


 याकूब का कहना हैकि पहले तो जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को देने में तब 10 वर्ष गुजार दिए थे। उसके बावजूद भी वह रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई। याकूब कहते हैं कि इस नरसंहार के बाद देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी तब यहां आए थे और उन्होंने निर्देश दिया था कि एक कमेटी का सरकार गठन करे।

 सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीएल श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुआ था जांच आयोग का गठन

 तब उत्तर प्रदेश सरकार के  द्वारा मलियाना की घटनाओं पर न्यायिक जांच की घोषणा किए जाने के बाद, उसी महीने में जांच आयोग अधिनियम 1952 के तहत, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीएल श्रीवास्तव की अध्यक्षता में  एक जांच आयोग का गठन हुआ था। आयोग ने  जनवरी 1988 में सरकार को पीएसी को  मलियाना से हटाने को कहा था जिसके बाद गांव से  तब पीएसी हटाई गई थी। तब आयोग द्वारा कुल मिलाकर 84 सार्वजनिक गवाहों समेत 14 हिंदुओं, 70 मुस्लिमों से पूछताछ की गई थी। इसके अलावा पांच आधिकारिक गवाहों से भी पूछताछ की गई थी। लेकिन इसे कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।

मेरठ कचहरी में एक महीने तक रिटायर्ड जस्टिस श्रीवास्तव ने लगाई थी अदालत

याकूब का कहना है कि उस वक्त 106 मकान मलियाना में जले थे,  कचहरी में पूरे 1 महीने तक जस्टिस श्रीवास्तव ने न्यायालय लगाई थी, जिसमें तमाम गवाहों को पेश किया गया, तमाम लोगों से उन्होंने बयान दर्ज किए थे।   बोले  आयोग की रिपोर्ट तो आज तक सामने आई ही नहीं। वहीं  उसके बाद जब वह न्याय के लिए इस मामले मे कोर्ट गए तो  प्राथमिकी रिपोर्ट ही गायब कर दी गई। करीब दस वर्षों तक ऐसे ही भागदौड़ होती रही। उनका कहना है  उस वक्त उनकी उम्र 31 साल थी और आज उनकी उम्र 66 साल है, लेकिन जिस न्याय के लिए उन्होंने अपनी उम्र गुजार दी वह इंसाफ उन्हें नहीं मिला है।

मृतकों के परिवारीजनों और जख्मी हुए लोगों को सरकार ने तब दिया था मुआवजा, की थी मदद.

 मुकदमे के वादी याकूब ने बताया कि उन्हें कानून पर भरोसा है और था ,उम्मीद थी कि इंसाफ होगा लेकिन जो कोर्ट का फैसला आया है वह उससे दुखी हैं । वह कहते हैं तब 106 मकान जले थे।  पीएसी लगाई गई ,सेना को लगाया गया, कर्फ्यू लगा । प्रधानमंत्री स्वयं दौरा करने आए। 1987 में ही मरने वालों के परिवार वालों को भी 20 -20 हजार रुपये का मुआवजा भी दिया गया।  कुल 36 मरने वाले लोगों के परिजनों को उस वक्त मुआवजा दिया गया था। वहीं जो लोग जख्मी हुए थे उन्हें प्रत्येक  को 500-500 रुपये का मुआवजा सरकार ने दिया था। वह भी ज़ख्मी हुए थे उन्हें भी 500 रुपये मिले थ उसके अलावा सरकार ने सभी के घर बनवाने के लिए आर्थिक मदद दी, लोगों के घर बनवाए गए ।

 याकूब बोले आख़िर हमें कौन मार गया था..

 याकूब का कहना है कि जैसा कि निर्णय आया है  जब आरोपियों ने हमें मारा नहीं, पुलिस ने हमें छेड़ा नहीं तो आखिर यह जो मौतें हुई हैं, यह मौतें हुई कैसे हैं।क्या हमनर खुद अपनी गर्दन काट लीं ,खुद हम झलके मर गए खुद हमने अपने घर तोड़े क्या, आखिर हमें मार कर कौन गया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर पीड़ितों के बयान भी हुए थे दर्ज

याकूब कहते हैं कि  38 मरने वाले लोगों के पोस्टमार्टम रिपोर्ट लगी थीं, 36 ऐसे लोगों की रिपोर्ट लगी थी जो कि गम्भीर जख्मी हालत में लोग थे। लोगों ने गवाही भी दी हैं। वह कहते हैं कि उन्हें लगता है कि सबूत तो  पर्याप्त हैं।

लड़ाई जारी रहेगी

याकूब ने कहा जो भी पीड़ित परिवार हैं सभी मेहनत मजदूरी करने वाले लोग हैं , उन्हें एकजुट करके बीते 35 साल से न्याय की आस में मुकदमा लड़ रहे हैं , कभी तकलीफें झेली हैं। लोगों ने अपनी दिन की मज़दूरियाँ तक इस मुक़दमें में इंसाफ के लिए छोड़ी हैं । हम अभी भी रुकेंगे नहीं।वह  बोले कि अब हम हाईकोर्ट जाएंगे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, लेकिन लड़ाई जारी रहेगी हम हार नहीं मानेंगे हमें देश के कानून पर भरोसा है, हम निचली अदालत के फैंसले को चुनौती देंगे।

राजनेताओं पर लगाया अनसुनी का आरोप

किसी भी सरकार ने किसी भी प्रदेश के बड़े राजनेता ने उनका साथ नहीं दिया ,जबकि हर किसी की चौखट पर भी जाकर मदद के लिए गुहार लगाई गई। उन्होंने कहा कि वह  पूर्व में मुलायम सिंह यादव ,मायावती, समेत बीजेपी कांग्रेस के नेताओं से भी गुहार लगाई है,चिठ्ठी लिखी हैं, खूब गुहार लगाई है, अखिलेश यादव से भी मिले हैं। किसी ने मदद नहीं कि उनकी बात नहीं सुनी।

जस्टिस श्रीवास्तव की रिपोर्ट हो सार्वजनिक 

ह कहते हैं फिर एक बार वह इन नेताओं से कहना चाहते हैं कि अब जो आगे की कार्रवाई होगी उसमें उनका साथ दें।फिलहाल अब याकूब की मांग है कि जो रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई उसे सार्वजनिक सरकार करे ।

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