113 सिजेरियन डिलीवरी के साथ बडी-बडी एफआरयू में मुरादनगर तीसरे पायदान पर
पहले नंबर पर रही मेरठ की मवाना एफआरयू, दूसरा नंबर गोरखपुर को मिला
मातृ-शिशु मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश के लिए बनाई गई है बडी-बडी एफआरयू
गाजियाबाद, 11 अप्रैल, 2023। शासन से जारी की गई बडी-बडी (Buddy-Buddy) डॉक्टर्स डायरी रिपोर्ट - 2022-23 के मुताबिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), मुरादनगर को सिजेरियन डिलीवरी के मामले में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। दरअसल सीएचसी मुरादनगर पूरे सूबे में चिन्हित की गईं 96 बडी-बडी एफआरयू (फर्स्ट रेफरल यूनिट) में से एक है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया - मुरादनगर बडी-बडी एफआरयू में वर्ष 2022-23 के दौरान कुल 113 सिजेरियन डिलीवरी हुई हैं। पूरे सूबे में सबसे अधिक 614 सिजेरियन डिलीवरी करके मेरठ जनपद की मवाना बडी-बडी एफआरयू ने पहला और गोरखपुर जनपद की सहजनवा बडी-बडी एफआरयू 190 सिजेरियन डिलीवरी कर दूसरे स्थान पर रही है।
सीएमओ डा. भवतोष शंखधर ने बताया - सूबे में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहता। इसी क्रम में शासन के आदेश पर ग्रामीण क्षेत्र की फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) को बडी-बडी एफआरयू बनाया गया है। बडी-बडी अंग्रेजी भाषा का शब्द है, हिंदी में तर्जुमा किया जाए तो यह दोस्त-दोस्त होता है। दो दोस्तों को एक साथ उनकी मर्जी माफिक जगह पर तैनाती दी जाए तो वह बेहतर काम कर सकेंगे, इसी परिकल्पना पर एफआरयू को सक्रिय करने के लिए दो अलग-अलग विशेषज्ञताओं वाले डा. दंपत्ति को खुद उनके द्वारा चुनी गई ग्रामीण एफआरयू पर तैनाती दी गई।
जनपद में चार एफआरयू हैं। ग्रामीण क्षेत्र में लोनी और मुरादनरगर सीएचसी के अलावा जिला महिला चिकित्सालय और संजय नगर स्थित संयुक्त जिला चिकित्सालय समेत चार जनपद में एफआरयू हैं। ग्रामीण क्षेत्र की मुरादनगर सीएचसी को बडी-बडी एफआरयू बनाया गया और गायनोकोलॉजिस्ट डा. रितु कुमार व उनके पति एनस्थेटिस्ट डा. दिनेश कुमार को यहां तैनाती दी गई। सीएमओ ने डा. दंपत्ति को इस कामयाबी के लिए शुभकामनाएं दी हैं और साथ ही और बेहतर काम करने के लिए प्रेरित किया है।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) डा. अनुराग भारती ने बताया - बडी-बडी एफआरयू बनाने का उद्देश्य यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में एफआरयू को सक्रिय करते हुए आवश्यक सिजेरियन सुविधाएं उपलब्ध कराकर मातृ-शिशु मृत्य दर पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सके। शासन की ओर से उत्साह वर्धन के लिए सिजेरियन डिलीवरी में काम करने वाली पूरी टीम को विशेष इंसेटिव भी दिया जाता है।
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