महिलाओं का आर्थिक रूप से सक्षम होना जरूरी

- माधुरी घोष
संपादक: 'संगिनी' मासिक, बड़ौदा।
महिलाएँ केवल घर की ज़िम्मेदारियों को ही नहीं बल्कि बाहरी ज़िम्मेदारियों को भी बखूबी निभा रही है। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलनेवाली, नौकरी या व्यवसाय करनेवाली महिलाओं को अगर छोड दें तो आज भी भारत की 50 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाएं आर्थिक रूप से दूसरे सदस्यों पर निर्भर होती है। पैसा कमानेवाली महिलाएँ तो गिनती के बारबर ही होती है।
ज्यादातर गृहिणियाँ अभी भी अपनी पारिवारीक ज़िम्मेदारियों को ही निभा रही है। ऐसे में जब भी उसे किसी वस्तु की आवश्यकता होती है तो उसे घर के कमाऊ सदस्य के आगे पैसे मांगने के साथ बहुत कुछ सुनने के लिए भी मज़बूर होना पड़ता है। छोटी-छोटी ज़रूरतें, इच्छाएँ पूरी करने तक की उनकी स्थिति नहीं होती। शहरी भागों के उन परिवारों की महिलाएँ जिन्हें बाहर जाकर काम करने की अनुमति तो होती ही नहीं, वहीं उन्हें अपनी मर्ज़ी से कुछ भी खरीदने से पहले काफी बार सोचना पड़ता है। गिनती के  रुपये जिस काम के लिए दिए जाते हैं उनमें से बचाकर वह अपनी एकआध ज़रूरत कभी-कभी पूरी कर लेती है, पर क्या जहाँ हम महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हैं यह उसके बिलकुल विपरीत नहीं है?


 महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम होना बहुत ज़रूरी है। उनके अपने अस्तित्व एवं आत्मसम्मान के लिए ज़रूरी है कि वह हर बार केवल पेसौं के लिए अपनों से ही अपमानित न हो और गर्व से अपना जीवन जी पाएं। इसके लिए अपने संस्कार, परम्पओं या परिवार के विपरीत न जाकर भी महिलाएँ कुछ ऐसा करके भी अपनी आर्थिक आय  का ज़रिया ढूँढ़ सकती है। महिलाओं में कई गुण होते है। परिवार संभालने के अलावा वह अपने अनेक गुणों में निपूण होती है। उनका उपयोग करके वह अतिरिक्त कमाई कर आर्थिक रूप सक्षम हो सकती है। आइए, जानते है कि ऐसे कौन से काम वह कर सकती हैं।
टिफिन सर्विस
खाना पकाना तो हर महिला को आता ही है पर इसे वह अपना व्यवसाय भी बना सकती है। काफी ऐसे लोग जो अकेले रहते हैं, उन्हें खाने की ज़रूरत होती है। उनका खाना बनाकर वे यह काम आसानी से कम लागत से शुरू करें। टिफिन पहुंचाने -लाने के लिए घर के ही किसी व्यक्ति की मदद लें या फिर किसी को वेतन पर भी रख सकती है। कई ऐसे उदाहरण है, जो महिलाएँ व्यवसाय से कई गुना आय कर रही है। आप भी इसे चून सकती है।
गारमेंट बिज़नेस
सिलाई करना कई महिलाओं के गुणों का ही हिस्सा है। घर पर ही कपड़े आदि वस्त्र सिलकर दें या फिर रेडिमेड वस्त्र बेचने का काम घर से ही करें और चाहें तो अब आप ऑनलाईन भी उन्हें बेच सकती है। अभी यह काम बहुत आसान हो गया है। सलवार सुट हो या साड़ी सभी तरह के कपड़े आप ऑनलाईन या अपने आसपास के सोसायटी, मुहल्ले में घर बैठे बेच सकती हैं।
ब्यूटीपार्लर
- ब्यूटी पार्लर का काम सभी जगह चल सकता है। यह अब ऐसा काम हो गया है जिसकी ज़रूरत हर घर-घर में होती है। बड़ी कंपनियाँ भी इसमें शामिल हो गई है, पर घरेलू पार्लर आज भी बड़ी तेज़ी से फल - फूल रहे है। आमदनी ज़्यादा है और लागत भी कम, तो अगर आप ब्यूटी पार्लर का बेसिक कोर्स करके घर से ही यह काम शुरू करें तो यह एक महत्त्वपूर्ण जरिया साबित हो सकता है। आर्थिक रूप से सक्षम होने के लिए।
आचार-पापड़ काम
परंपरागत रूप से हर घर में खाने में आचार और पापड़ की रोज आवश्यकता होती ही है। ऐसे में जो महिलाएँ इसे बना नहीं सकती या बाहर काम करने की वजह से समय नहीं मिल पाता वह इन्हें खरीद लेती है। आप भी अगर इस काम में निपूण है और आपके आचार-पापड़ का स्वाद लाजवाब है तो आप यह व्यवसाय के तौर पर कर सकती है। इनका मार्केट काफी बड़ा है और मांग भी। गृहउद्योग के तौर पर यह कार्य आसानी से महिलाओं द्वारा शुरू किया जा सकता है।
कढ़ाई काम
महिलाएँ इन कामों में निपुण होती हैं। घर बैठे-बैठे कपड़ों पर कढ़ाई काम करके कमाई का माध्यम बना सकती है। जो कि बड़े-बड़े ब्यूटीक भी कपड़ों पर कढ़ाई करवाने का काम उपलब्ध करवाते है। सरकारी विभाग भी हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करती हैं और इसके लिए ऋण भी देती हैं। इनका पता करें। साथ ही अपना सम्पर्क बढ़ा कर बड़ी दुकानों से, ब्यूटिक से घर पर काम लाकर कर सकती है।
गृह उद्योग को अपनाएं जिनमें पापड़, मसाले, घाणी का तेल, मीठाई, फरसाण आदि आप महिलाएं समूह बनाकर निर्मित कर सकती है।
कोशिश करें कि घर से बाहर जाकर  काम करने की भी अनुमती मिले।  अवश्य करें। सकारात्मक सोच, लगन के साथ काम अवश्य करें। इससे आप व्यस्त भी रहेंगी और आर्थिक रूप से सुदृढ भी बनेंगी।
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