नारियों का सम्मान ही महिला दिवस

- अशोक पटेल "आशु"
"नारी तुम शक्ति स्वरूपा हो
नारी तुम श्रद्धा समर्पण हो,
नारी तुम आस विश्वास हो
नारी तुम सृष्टी का विकास हो।"
ऐसे महान नारी शक्ति को नमन है, जिनके मात्र उपस्थिति से शक्ति, सामर्थ्य, और समृद्धि की श्री वृद्धि हो जाती है।इसीलिए इनको शक्ति स्वरूपा कहा जाता है। मानव जाति के लिए नारी ही एक ऐसा आधार है,जो मानव को सामर्थ्यवान बनाती है,मानव का प्रेरणाश्रोत बनती है।मानव का मार्गदर्शक बनती है। यह भी कहा जाना अतिश्योक्ति नहीं होगी की-
"एक नारी सभी पर भारी,
नारी के बिना जग अंधियारी।
नारी है तो जग उजियारी
नारी से ही उपजी सृष्टी सारी।"



"नारियों के सम्बन्ध में यह कहा जाता है की जहाँ नारियों की प्रतिष्ठा होती हैं, सम्मान होता है,जहाँ नारियाँ पूजी जाती है,वहीं देवताओं का वास होता है।" अक्षरशः सत्य बात है, बिना नारियों के सम्मान के,नारियों के प्रतिष्ठा के, घर नहीं बनता, परिवार,मानव समाज में सुखद जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। मानव समाज को  जोड़ने, मानव समाज को समृद्ध और संस्कारवान बनाने का यदि किसी ने सार्थक काम किया है तो वह है नारी शक्ति।
नारी को शक्ति स्वरूपा कहा गया है, तो इनको यूँ नहीं कहा गया है।इनके पास शक्ति के साथ क्षमा भी है। पीड़ा के साथ धैर्यता भी है।सर्जक  के साथ संहारक भी हैं। माता के साथ सम्पूर्ण नाता भी है।तभी तो कहा गया है-
"नारी तुम मात्र,जग में महान हो
सृष्टि के विकास की,पहचान हो।
तुम ही आदि-अंत की,विधान हो
तुम ही  ईश्वर की बड़ी,वरदान हो।
उपरोक्त शक्तियों के श्रोत माता शक्ति के बारे
मे जितना भी कहा जाय कम है।यदि हम कोई विशेष बात करें तो वह है नारी सम्मान की, नारी अस्मिता की, नारी सशक्तिकरण की, नारी के अधिकार की। और इस पर मानव समाज को शासन, प्रशासन को, विशेष पहल करने की  आवश्यकता है। और इन सब बातों पर जब विशेष पहल होगी तो निश्चित ही नारी जाति का सम्मान होगा।हमारा सामाज भी गौरवान्वित होगा।
हम आए दिन  नारी सशक्तिकरण की  बात करते हैं,मात्र बात करने से कुछ नहीं होगा, उस पर हमें जमीनी स्तर पर काम करना होगा। उनके अधिकार के लिए हमे आगे आना होगा। हमें उनके लिए समर्पित होना होगा।
"नारी से सारा जहान है
नारी ही जग मे महान है,
तू  ही शक्ति की खान है
तू ही ऊर्जा,क्षमतावान है।"
(व्याख्याता, तुस्मा- शिवरीनारायण, छग)

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