अपॉर्चुनिटीज एंड साइकोलॉजी' विषय पर एक अतिथि व्याख्यान आयोजित
मेरठ। मनोविज्ञान विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग से आए प्रो0 नवरत्न शर्मा द्वारा 'अपॉर्चुनिटीज फंड साइकोलॉजी' विषय पर एक अतिथि व्याख्यान आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो0 संजय कुमार ने सबका स्वागत करके किया। अपने व्याख्यान में प्रो0 शर्मा ने बताया कि हम मनोविज्ञान पढ़ते तो हैं पर उसके फायदे दिखाने और बेचने में हम शर्मीले हैं। जिसे समझने की जरूरत है। एक सफल इंसान बनने के लिए हमारी पहली जिम्मेदारी है कि हम पहले खुद खुश रहें और फिर दूसरों को भी खुश रखें। आज हम किसी परेशानी या घटना के समय हम किसी और से बात करने या पूछने के बजाय गूगल करके जानकारी जुटाते हैं जो हमें अकेला और स्वार्थी बना रहा है।
इसे ही जीवन का मनोविज्ञान कहते हैं। आज हमें खुद भी खुशी से जीना है और दूसरों के जीवन को भी सकारात्मकता की ओर बदलना है। इसके लिए पॉजिटिव साइकोलॉजी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है ।
आज हमे जहां अपने काम पे फोकस बनाये रखना है वहीं मल्टीटास्कर भी बनने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि हमे आज के बच्चे हर काम पहले टेस्ट करते हैं फिर बात मानते हैं जोकि एक साइंटिफिक एटीट्यूड है और हमारे लिए रिसर्चर बनने का रास्ता खोलता है। मनोविज्ञान का तीसरा क्षेत्र सहायता प्राप्त करना है जिसमें हम गाइडेंस और काउंसलर बन कर दूसरों के जीवन को सकारात्मकता की ओर ले जा सकते है। मनोवैज्ञानिकों के लिए काउंसलिंग का क्षेत्र उनका अपना क्षेत्र तो है ही उनकी ये जिम्मेदारी भी है कि वे लोगों की मनोवैज्ञानिक सहायता करें। जिसे चौ0च0सिंह विश्वविद्यालय का मनोविज्ञान विभाग, काउंसलिंग सेंटर के माध्यम से विश्वविद्यालय के छात्रों, अधिकारियों और शिक्षकों के लिए यह भूमिका निभा रहा है। काउंसिलिंग से जुड़े मनोवैज्ञानिक करियर काउंसलिंग भी करते हैं। कार्यक्षेत्र में लोगों के व्यवहार को समझने और बदलने के लिए हम ऑर्गनाइजेशन साइकोलॉजिस्ट बन सकते हैं।
आज के मनोवैज्ञानिकों को सकारात्मक सोच रखने के साथ लोगों के दिमाग से मानसिक स्वास्थ्य के प्रति स्टिग्मा दूर करने की जरूरत है जिसके लिए हम मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक सेवाओं से जुडें स्टार्टअप खोल सकते हैं। जिसकी आज बहुत आवश्यकता है। इसके लिए हम जिस विषय को पढ़ रहे हैं उसका सम्मान करें और मनोवैज्ञानिक छात्र होने के नाते मनोविज्ञान को जिएं जिसमें अपार संभावनाएं हैं।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन स्नेहलता जसवाल ने किया एव॔ स॔चालन एमए की छात्रा जानकी नें किया। इस दौरान एम.ए. द्वितीय व चतुर्थ सेमेस्टर एव॔ बी.ए. द्वितीय तथा चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो0 संजय कुमार ने सबका स्वागत करके किया। अपने व्याख्यान में प्रो0 शर्मा ने बताया कि हम मनोविज्ञान पढ़ते तो हैं पर उसके फायदे दिखाने और बेचने में हम शर्मीले हैं। जिसे समझने की जरूरत है। एक सफल इंसान बनने के लिए हमारी पहली जिम्मेदारी है कि हम पहले खुद खुश रहें और फिर दूसरों को भी खुश रखें। आज हम किसी परेशानी या घटना के समय हम किसी और से बात करने या पूछने के बजाय गूगल करके जानकारी जुटाते हैं जो हमें अकेला और स्वार्थी बना रहा है।
इसे ही जीवन का मनोविज्ञान कहते हैं। आज हमें खुद भी खुशी से जीना है और दूसरों के जीवन को भी सकारात्मकता की ओर बदलना है। इसके लिए पॉजिटिव साइकोलॉजी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है ।
आज हमे जहां अपने काम पे फोकस बनाये रखना है वहीं मल्टीटास्कर भी बनने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि हमे आज के बच्चे हर काम पहले टेस्ट करते हैं फिर बात मानते हैं जोकि एक साइंटिफिक एटीट्यूड है और हमारे लिए रिसर्चर बनने का रास्ता खोलता है। मनोविज्ञान का तीसरा क्षेत्र सहायता प्राप्त करना है जिसमें हम गाइडेंस और काउंसलर बन कर दूसरों के जीवन को सकारात्मकता की ओर ले जा सकते है। मनोवैज्ञानिकों के लिए काउंसलिंग का क्षेत्र उनका अपना क्षेत्र तो है ही उनकी ये जिम्मेदारी भी है कि वे लोगों की मनोवैज्ञानिक सहायता करें। जिसे चौ0च0सिंह विश्वविद्यालय का मनोविज्ञान विभाग, काउंसलिंग सेंटर के माध्यम से विश्वविद्यालय के छात्रों, अधिकारियों और शिक्षकों के लिए यह भूमिका निभा रहा है। काउंसिलिंग से जुड़े मनोवैज्ञानिक करियर काउंसलिंग भी करते हैं। कार्यक्षेत्र में लोगों के व्यवहार को समझने और बदलने के लिए हम ऑर्गनाइजेशन साइकोलॉजिस्ट बन सकते हैं।
आज के मनोवैज्ञानिकों को सकारात्मक सोच रखने के साथ लोगों के दिमाग से मानसिक स्वास्थ्य के प्रति स्टिग्मा दूर करने की जरूरत है जिसके लिए हम मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक सेवाओं से जुडें स्टार्टअप खोल सकते हैं। जिसकी आज बहुत आवश्यकता है। इसके लिए हम जिस विषय को पढ़ रहे हैं उसका सम्मान करें और मनोवैज्ञानिक छात्र होने के नाते मनोविज्ञान को जिएं जिसमें अपार संभावनाएं हैं।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन स्नेहलता जसवाल ने किया एव॔ स॔चालन एमए की छात्रा जानकी नें किया। इस दौरान एम.ए. द्वितीय व चतुर्थ सेमेस्टर एव॔ बी.ए. द्वितीय तथा चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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