उज्बेकिस्तान के वैज्ञानिक कर रहे हैं शोभित विश्वविद्यालय में शोध

मेरठ। शोभित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ ए पी गर्ग ने बताया कि माइक्रोबायोलॉजी एवं बायोटेक्नोलॉजी में संचालित उत्कृष्ट शोध कार्य से प्रभावित होकर उज्बेकिस्तान की महिला वैज्ञानिक प्रोफेसर दिलफूजा जेब्रोनोवा ने विश्वविद्यालय में एक शोध वैज्ञानिक एवं विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में विश्वविद्यालय से जुड़ी है।
डॉ. दिलफुज़ा जेब्रोनोवा औषधीय पादप आनुवंशिकी और जैव प्रौद्योगिकी, आनुवंशिकी संस्थान और पादप प्रायोगिक जीव विज्ञान, उज्बेकिस्तान की विज्ञान अकादमी की प्रयोगशाला प्रमुख हैं। वह प्लांट माइक्रोब इंटरेक्शन, मेडिसिनल प्लांट रिसर्च, प्लांट फिजियोलॉजी, सॉइल बायोकैमिस्ट्री और सॉयल माइक्रोबियल इकोलॉजी की विशेषज्ञ हैं। उन्हें 2010 में चाइना ग्रेट वॉल फैलोशिप से सम्मानित किया गया था, 2014 में लिबनिज सेंटर फॉर एग्रीकल्चर लैंडस्केप रिसर्च (ZALF), मुन्चेबर्ग, जर्मनी में शोध करने के लिए साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, ग्वांगझू और DAAD (जर्मन एकेडमिक एक्सचेंज सर्विस) रिसर्च स्कॉलरशिप प्राप्त कर चुकी है। 2020 में उन्हें सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग, आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली, भारत में अनुसंधान करने के लिए डीबीटी-डब्ल्यूएएम पोस्टडॉक्टोरल फेलोशिप भी मिल चुकी है।
प्रो गर्ग ने बताया कि डॉ दिलफुजा विश्वविद्यालय में माइक्रोबायोलॉजी एवं बायोटेक्नोलॉजी लैब में पौधों पर बायोचार एवं सूक्ष्म जीवो का अध्ययन करेंगी और एक ऐसी विधि विकसित करेंगी जिससे कि रासायनिक खादों का उपयोग किए बिना पौधों की उपज बढ़ाई जा सके। जिसके लिए उन्होंने एक नई विधि इजाद की है जिसके द्वारा भिंडी से जैविक खाद उर्वरक बनाया जाता है जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस कार्बन, पोटेशियम व माइक्रो न्यूट्रिशंस की भरपूर मात्रा होती है जिससे अधिक पैदावार करने में मदद मिलती है।

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