निक्षय मित्र व टीबी चैम्पियन किये गये सम्मानित

 वर्ष 2025 तक  भारत को टीबी मुक्त करने की दिलाई शपथ

 मेरठ, 22 मार्च 2023। मवाना रोड स्थित शांति निकेतन विद्यापीठ में बुधवार को स्वास्थ्य विभाग,रेडियो नगीन व शांति निकेतन विद्यापीठ के तत्वावधान में टीबी मुक्त भारत अभियान में सहयोग करने वाले निक्षय  मित्रों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान 11 निक्षय मित्रों व तीन टीबी चैम्पियन (जो टीबी से ठीक होने के बाद अब दूसरों को जागरूक कर रहे हैं) को सम्मानित किया गया। इस दौरान सभी को टीबी मुक्त भारत की शपथ दिलाई गयी।


  कार्यक्रम में जिला क्षय रोग अधिकारी डा. गुलशन राय ने कहा - रेडियो नगीन का यह सराहनीय कदम है। इससे अन्य निक्षय मित्रों व सामाजिक संगठनों को प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के लिए मात्र इक्कीस माह रहे गये हैं। इसमें विभाग तो अपने स्तर से कार्य कर ही रहा है। लेकिन लोगों की सहभागिता अहम है। तभी हम देश को टीबी मुक्त कर पाएंगे। उन्होंने ऐसे सामाजिक संगठनों को आगे आने का आह्वान किया जो निक्षय मित्र बन कर टीबी रोगियों को गोद लें। विश्व टीबी दिवस मनाने का उद्देश्य टीबी के प्रति समाज में जागरूकता पैदा करना, टीबी के प्रति भ्रांतियों को दूर करना और सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को एक साथ मिलकर टीबी मुक्त भारत अभियान को जन आंदोलन के रूप में लाना है, ताकि वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य हासिल किया जा सके। उन्होंने कहा जिस तरह पोलियो व चेचक को मिलकर समाप्त किया है, उसी तरह देश से टीबी को मुक्त कराना है। यह हम सब का दायित्व है।


उप जिला क्षय रोग अधिकारी डा. विपुल कुमार ने कहा - टीबी के लिए जागरूकता होना जरूरी है। उन्होंने कहा जिले में तीन हजार केस निकले हैं। इसका कारण लोगो का टीबी के प्रति जागरूक होना है। लोग अब स्वयं जांच के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने बताया टीबी मुक्त भारत अभियान में पंचायती राज को भी जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी घोषणा विश्व टीबी दिवस पर करेंगे। उन्होंने बताया वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने के लिये सभी लोगों को आगे आना होगा। तभी हम इस लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे।
 विश्व स्वास्थ्य संगठन की कंसलटेंट रेनू डोफे ने कहा- टीबी होने से पहले ही बचाव किस प्रकार किया जाए, इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा नयी गाइडलाइन जारी की जाएगी। उन्होंने कहा - टीबी के लक्षण शुरुआत में मिलने पर अगर उपचार मिल जाए तो टीबी को काबू किया जा सकता है, लेकिन देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे।
पीपीएम कोऑर्डिनेटर ने टीबी मुक्त भारत की दिलाई शपथ
  पीपीएम कोऑर्डिनेटर शबाना बेगम ने सम्मानित होने वाले सभी निक्षय मित्रों, टीबी चैंपियन, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत की शपथ दिलायी।
 इनको मिला सम्मान  
 वीरीना फाउंडेशन से धीरेन्द्र सिंह , ग्रामीण समाज विकास केन्द्र अमित कुमार ,मेरठ ड्रग्स एंड केमिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री रजनीश कौशल, बेटियां फाउंडेशन से अंजू पांडे, सारथी वेलफेयर से कल्पना पांडे, नीलम मिश्रा, अभिलाषा, निस्वार्थ वेलफेयर सेवा संस्थान, जगदीश नारायण सेवा ट्रस्ट, फहीमुद्दीन सोशल वर्कर सोसाइटी व रोटरी क्लब।
 इस मौके पर रजपुरा की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. प्रीत गिल, जिला समन्वयक नेहा सक्सेना, अजय सक्सेना, अंजू गुप्ता, रेडियो नगीन 107 एफएम रेडियो से आरजे राहुल व जीशान आदि मौजूद रहे।
कर रहे हैं लोगों को जागरूक
हर्रा  निवासी दिलशाद ने बताया – मुझे 18  पहले टीबी हो गयी थी। उस समय टीबी को लेकर बहुत भ्रांतियां थीं, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। स्वास्थ्य विभाग से सम्पर्क कर अपना उपचार कर शुरू किया। चिकित्सक के परामर्श अनुसार नियमित दवा का सेवन किया और टीबी की बीमारी से पूरी ठीक हो गया। उसके बाद से मैंने कसम ली कि अन्य लोग टीबी की चपेट में न आयें। मैंने जब इस दिशा में प्रयास शुरू किया तो शुरुआत में लोगों के तानों का सामना करना पड़ा लेकिन हिम्मत नहीं हारी। धीरे-धीरे लोगों को मेरी बात समझ में आने लगी। अब मैं स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर शहर व देहात में टीबी मुक्त भारत जागरूकता अभियान चला रहा हूं।”
  खिवाई निवासी मोहम्मद ईशा ने बताया - उन्हें टीबी हो गयी थी, जैसे ही गांव के लोगों को इस बात का पता चला तो उन्होंने उनसे दूरी बना ली। लेकिन वह घबराये नहीं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से अपना उपचार कराया। उन्होंने कहा नियमित दवा का सेवन करने पर उनकी बीमारी पूरी तरह ठीक हो गयी। किसी अन्य को टीबी की बीमारी न हो। इसके लिए अब वह गांव -गांव में टोली बनाकर टीबी जागरूकता अभियान चला रहे हैं। इसमें जिला क्षय रोग विभाग उनकी पूरी मदद कर रहा है। लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता दिखाई देने लगी है, जो पहले टीबी की बीमारी को छुपाते थे अब वह खुल कर सामने आने लगे हैं।

 

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