बच्चों के प्रति कब होंगे संवेदनशील
समाज को बच्चों के प्रति जितना संवेदनशील होना चाहिए, उतना नहीं हो पाया है। इस संवेदहीनता को सिर्फ जघन्य अपराधों में ही नहीं देखा जाना चाहिए। कई ऐसे मौके हैं, जब समाज के संवेदनहीन व्यवहार का हमें अहसास भी नहीं होता। सोशल मीडिया पर बच्चों के बारे में की गई टिप्पणियों के आईने में समाज को अपना चेहरा देखना चाहिए। विडंबना यह भी है कि सरकारी एजेंसियों की सख्ती भी काम नहीं आ रही है और लगातार ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हंै। हालांकि अक्सर हम इसे नजरअंदाज कर देते हैं। मामला तभी तूल पकड़ता है, जब किसी सेलिब्रिटी के साथ ऐसी घटना हो जाए। ताजा मामला क्रिकेट जगत की दो हस्तियों महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली की बेटियों पर की गई अभद्र टिप्पणियों का है। इसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है। हालांकि दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने मामले पर संज्ञान लेते हुए पुलिस को कार्रवाई के लिए लिखा है। लेकिन, हमेशा की तरह ऐसे आदेश वही ढाक के तीन पात साबित नहीं हो जाएं, इसकी पुख्ता व्यवस्था कौन करेगा? क्योंकि नन्हीं बेटियों पर पहले भी ऐसे भद्दे कमेंट किए जा चुके हैं। किसी के खिलाफ भी ऐसी कार्रवाई नहीं हुई है, जिसे सबक माना जाए। सोशल मीडिया पर टिप्पणियों से इतर कई अन्य मौकों पर भी हम बच्चों के प्रति असामान्य व्यवहार की झलक देख सकते हैं। जैसे बच्चों के खिलौनों को ही लें। कभी ऐसे खिलौने मिटï्टी और काठ के बनते थे। उन पर रंग भी ऐसे लगाए जाते थे जिनसे बच्चों को कोई नुकसान न हो। लेकिन, ज्यादा से ज्यादा मुनाफाखोरी की प्रवृति ने ऐसे खिलौनों के बाजार का तेजी से विकास किया है, जिनसे बच्चों के स्वास्थ्य को नुकसान होता है। हानिकारक खिलौनों को बाजार से हटाने के लिए सरकार ने नियम बना दिए हैं, फिर भी वे धड़ल्लेे से बेचे जा रहे हैं। ई-कॉमर्स के वर्तमान दौर में तो ऐसे खिलौनों के लिए बाजार जाने की भी जरूरत नहीं है। मोबाइल के एक क्लिक पर ऐसे हानिकारक खिलौने घर पर ही पहुंच जाते हैं। भारतीय मानक ब्यूरो ने एक जनवरी 2021 से ही निर्दिष्ट सुरक्षा मानदंडों को अनिवार्य कर दिया है, लेकिन इसका पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नगण्य है। हालांकि, पिछले एक महीने में गुणवत्ता का पालन न करने वाले खिलौना कारोबारियों पर सरकार कार्रवाई कर रही है। ऐसी कार्रवाइयां लगातार होनी चाहिए।


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