गर्भावस्था में मधुमेह होने पर ध्यान रखने की जरूरत : डा. मीरा पाठक
नोएडा, 13 नवम्बर 2022। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भंगेल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मीरा पाठक कहती हैं गर्भावस्था के दौरान महिला को कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं, जिसमें से गर्भावस्थाजन्य मधुमेह भी है। मधुमेह का यह प्रकार केवल गर्भवती महिलाओं को होता है। ऐसा उस समय होता है जब इन्सुलिन बनना कम हो जाता है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है। कम सक्रिय होना, एक जगह बैठे रहना, चिंता, ज्यादा मीठा खाना, दवा का ज्यादा सेवन आदि। ऐसी स्थित महिला के साथ-साथ उसके होने वाले बच्चे को भी प्रभावित कर सकती है, लेकिन समय पर उचित उपचार से कुछ ही दिनों में इससे छुटकारा पा लिया जाता है।
डा. पाठक का कहना है कुछ मामलों में उम्र बढ़ने के साथ मां या बच्चे को बाद में टाइप 2 मधुमेह होने की आशंका बनी रहती है। कई मामलों में इसकी वजह से समय से पहले बच्चे का जन्म भी हो सकता है, हालांकि समय से पहले बच्चे के जन्म होने के और भी कई कारण हो सकते हैं। उन्होंने बताया गर्भावस्था में मां को मधुमेह होने की स्थिति में या तो बच्चा कम वजन का 2.50 किलोग्राम से कम का पैदा होता है या अत्यधिक वजन चार किलोग्राम से से ज्यादा वजन वाला। दोनों ही स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे बच्चों को जन्म के बाद अचानक ब्लड शुगर कम होने की वजह से दिक्कत हो सकती है। उन्होंने बताया गर्भावस्था में मधुमेह होने से गर्भपात, शिशु में विकृति, आखिरी तीन महीनों में गर्भस्थ शिशु की मृत्यु तक होने का खतरा रहता है। शुरुआत में मधुमेह का उपचार केवल खानपान पर ध्यान रख कर हो सकता है, लेकिन ज्यादा दिन होने पर इंसुलिन तक की जरूरत पड़ सकती है।
डा. मीरा पाठक ने बताया सीएचसी पर आने वाले इस तरह की गर्भवती, जिनकी पिछली गर्भावस्था में गर्भपात हुआ हो, बच्चा विकृत पैदा हुआ हो, या ज्यादा वजन वाला हुआ हो, उनकी ब्लड शुगर की स्क्रीनिंग की जाती है। उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं को नियमित जांच करानी चाहिए और प्रसव भी संस्थागत ही कराना चाहिए।
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