बिहार जाने से रोका गया , अनामिका अंबर

बोलीं.मुकद्दर तय करने वालों सुनलो मोहब्बत को भी देखूंगी मैं नफरत भी देखूंगी
मेरठ। मेरठ की कवयित्री डॉ.अनामिका अंबर को बिहार के सोनपुर मेले में कविता पाठ करने से रोक दिया गया। इसके बाद इस मुद्दे पर अब सियासी घमासान शुरू हो गया है। बिहार से लेकर यूपी तक यह मुद्दा गरमाया हुआ है। इसे लेकर कवियों ने भी एकजुटता दिखाई। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने उनके समर्थन में आकर बहिष्कार किया।
मेरठ की बहू और ललितपुर की बेटी कवयित्री डॉ. अनामिका अंबर ने बताया कि डेढ़ माह पहले मेरे पास सोनपुर से जिला प्रशासन की तरफ से फोन आया कि सोनपुर मेले में हमें काव्य पाठ करना है। 25 नवंबर को काव्य पाठ था। जब मैं पटना पहुंची तो मुझे कहा गया कि आपको सोनपुर नहीं आना है, पटना रुकना है। मैं अपने पति कवि सौरभ सुमन के साथ पटना रुकती हूं। लगभग 2 घंटे बाद मेरे पति के पास फोन आता है कि अनामिका को सोनपुर नहीं आना है। फिर कहा गया कि अनामिका को काव्य पाठ नहीं करना है।
मंत्रालय से आदेश है कि अनामिका को सोनपुर नहीं आना है। शाम को एक रास्ता निकालने के लिए मैं अन्य कवियों के साथ सोनपुर जाने को तैयार हुई, तो कहा गया कि अनामिका को सोनपुर नहीं आना हैए अन्य कवि आ जाएं। अनामिका को हम बाद में बुला लेंगे। अन्य कविगण सम्मेलन में पहुंचे।
जब काव्य पाठ शुरू होना थाए तब कवियों को कहा गया कि अनामिका सम्मेलन में नहीं आएंगीए वो काव्य पाठ नहीं करेंगी हमारे पास उनको न बुलाने का आदेश हैए लेकिन मैं अपने सभी कवियों का आभार करती हूंए उन्होंने प्रशासन की इस राजनीति को गलत ठहराते हुए सम्मेलन का बहिष्कार किया और मेरे समर्थन में आकर काव्य पाठ नहीं किया। तत्काल कवियों ने निर्णय लिया कि यह कवियों का अपमान है उन्होंने पढ़ने से मना कर दिया। हम वापस आ गए।
अनामिका ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों के डर को भी वह समझ रही थीं कि उन पर दबाव है, लेकिन जब अगले ही दिन यानी आज उन्होंने पढ़ा कि प्रचारित यह किया गया है कि अनामिका ही नहीं पहुंचीं तो उन्हें कष्ट हुआ, यह बेहद ही दु:खद था। अनामिका ने कहा कि उन्हें यह बहुत बुरा लगाए उनका उस धरती पर अपमान हुआ है जो कि दिनकर जी की धरती है।

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