बाल दिवस और अध्यापक

- राजीव डोगरा
जैसे कि हम जानते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरु के जन्म दिवस 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह निर्णय नेहरू का बच्चों के प्रति लगाव को देखकर ही लिया गया था।
बाल दिवस के दिन स्कूलों में पढ़ाई की जगह खेलकूद या फिर अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमें बच्चों और अध्यापकों दोनों का योगदान समांतर रूप में देखने को मिलता है। डॉ. यास्मीन अली हक, यूनिसेफ इंडिया राष्ट्र प्रतिनिधि ने कहा है "विश्व बाल दिवस एक मनोरंजक दिन होने के साथ-साथ हमें संदेश भी देता है।"



एक अध्यापक एक बच्चे का सर्वांग विकास करता है कभी एक गुरु के रूप में, कभी एक मार्गदर्शक के रूप में, कभी एक दोस्त के रूप में,कभी बड़े भाई या बहन के रूप में और कभी माता-पिता के रूप में। बाल दिवस का अर्थ बस खेलना कूदना ही नहीं है बल्कि बाल दिवस का अर्थ स्कूल में रहते हुए अध्यापक के द्वारा बच्चे की गुणों अवगुणों को भी देखना तथा अपने छात्रों में विकासात्मक गुणों को भरना है। उनको बच्चों के प्रति नेहरू जी की तरह प्यार और लगाव भी रखना पड़ेगा, जिससे बच्चे अपनी हर समस्या को एक दोस्त की तरह अपने अध्यापक को बता सकें और अध्यापक भी एक अच्छे गुरु की तरह अच्छे दोस्त की तरह समस्या को सुने तथा उसका हल भी निकाल के दे।
जवाहरलाल नेहरू जी कहते थे "आज के बच्चे कल का भारत बनाएंगे. जिस तरह से हम उन्हें पालेंगे, वही देश का भविष्य तय करेगा।" बाल दिवस का उद्देश्य पंडित नेहरू को श्रद्धांजलि देने के अलावा बच्चों के अधिकारों, देखभाल और शिक्षा के प्रति जागरूकता को बढ़ाना भी है। आज के समय में बाल शोषण और बाल यौन शोषण सबसे ज्यादा होता इसलिए अध्यापक का कर्तव्य है उनको बाल अधिकारों का पूरी तरह पता होना चाहिए जिससे अपने छात्रों के साथ होने वाले किसी भी तरह के शोषण से उनको सुरक्षित रख सके।
इसके लिए भारतीय संविधान में सभी बच्चों के लिए कुछ खास अधिकार सुनिश्चित किये गये हैं-
अनुच्छेद 21-कः 6 से 14 साल की आयु वाले सभी बच्चों की अनिवार्य और निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा।
अनुच्छेद 24: 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को जोखिम वाले कार्य करने से सुरक्षा।
अनुच्छेद 39(घ): आर्थिक जरूरतों की वजह से जबरन ऐसे कामों में भेजना जो बच्चों की आयु या समता के उपयुक्त नहीं है, से सुरक्षा।
अनुच्छेद 39(च): बालकों को स्वतंत्र और गरिमामय माहौल में स्वस्थ विकास के अवसर और सुविधाएँ मुहैया कराना और शोषण से बचाना।
इसके अलावा भारतीय संविधान में बच्चों को वयस्क पुरुष और महिला के बराबर समान अधिकार भी प्राप्त है। अनुच्छेद 14 के तहत समानता का अधिकार, अनुच्छेद 15 के तहत भेदभाव के विरुद्ध अधिकार, अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 46 के तहत जबरन बंधुआ मजदूरी और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से कमजोर तबकों के बचाव का अधिकार आदि शामिल है।
अंत: मैं अपने शब्दों को विराम देते हुए यही कहूंगा कि आओ मिलकर हम बच्चों के साथ बाल दिवस मनाएं और साथ ही उनके भविष्य को उज्जवल तथा सुरक्षित भी बनाएं। तो जो आने वाला हमारा नव भारत उज्जवल तथा सुदृढ़ बन सके।
(भाषा अध्यापक, कांगड़ा हिमाचल प्रदेश)

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