सुभारती विधि संस्थान में सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती


आयोजन का


 


भारत के एकीकरण के शिल्पकार’ विषय पर एक चित्र प्रदर्शनी का आयोजन


 


 


Meerut -स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के सरदार पटेल सुभारती विधि संस्थान द्वारा लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल की 147 वीं जन्म जयंती पर ‘भारत के एकीकरण के शिल्पकार’ विषय पर एक चित्र प्रदर्शनी का आयोजन प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय संकायाध्यक्ष सुभारती विधि संस्थान के मार्गदर्शन में विधि महाविद्यालय के प्रांगण में किया गया।


इस चित्र प्रदर्शनी का शुभारम्भ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मेजर जनरल डॉ. जी.के.थपलियाल, माननीय कुलपति स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा फीता काट कर किया गया। मुख्य अतिथि का स्वागत प्रो.(डॉ.) रीना बिश्नोई एवं रामेष्ठ धर द्विवेदी द्वारा संयुक्त रूप से पौंधा भेट करके किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय ने बताया कि भारतीय एकता के प्रतीक, महान स्वतंत्रता सेनानी, देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म जयंती है। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ। लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया।  स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। बारदोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहाँ की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की थी। भारत के लौहपुरुष सरदार पटेल का आजादी के बाद भारत के एकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण योगदान था, इसलिए उन्हें राष्ट्रीय एकता का प्रणेता माना जाता है। उनका जन्मदिन देश भर में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सरदार पटेल की जयंती पर देश भर में रन यूनिटी का भी आयोजन किया जाता है। कई तरह के कार्यक्रम जिसमें सरदार पटेल की जीवनी, उनके महान व्यक्तित्व, उनके सशक्त विचारों, आजादी, राष्ट्रनिर्माण व एकीकरण में उनके योगदान से जनता को रूबरू कराया जाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य पटेल द्वारा भारत के एकीकरण हेतु अथक एवं सफल प्रयासों का चित्रण विद्यार्थियों के ज्ञान वर्धन हेतु किया जा रहा है। उन्होनें कहा कि सरदार पटेल का कहना था कि “प्रत्येक नागरिक का मुख्य दायित्व यह है कि वह अपने देश को स्वतन्त्र महसूस करें और उसकी स्वतन्त्रता की रक्षा करना अपना कर्तव्य समझें”।


माननीय कुलपति द्वारा छात्रों को बताया गया कि भारत के बिस्मार्क और लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार पटेल 565 रियासतों के विलय के लिए जाने जाते हैं।  सरदार पटेल भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृहमंत्री थे। हिन्दुस्तान को आजादी मिलने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल की पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्ण भूमिका रही। यही कारण है कि वल्लभभाई पटेल की जयंती को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के तौर पर मनाया जाता है। पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस 2014 में मनाया गया था। उन्होंने कहा कि किस प्रकार स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात जूनागढ़, हैदराबाद एवं जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किये जिसके परिणाम स्वरूप जूनागढ़ एवं हैदराबाद भारत का अभिन्न अंग बन सके।  महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी। यह सरदार पटेल का ही विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एक रखने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर काफी जोर दिया, और उनका मानना था कि सिविल सेवाएं किसी भी देश का स्टील फ्रेम होती है।


अंजुम जहाँ द्वारा उपस्थित शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों को भारत की एकता एवं अखण्डता को अक्षुण बनाये रखने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर एकता शपथ दिलवाई गई। कार्यक्रम में डॉ. सारिका त्यागी, डॉ. प्रेमचन्द्र, प्रो. (डॉ.) संदीप चौहान, शारीरिक शिक्षा विभाग, डॉ. शशिराज तेवतिया, चीफ प्रॉक्टर, स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय, आफरीन अल्मास, एना सिसौदिया, प्राची गोयल, शालिनी गोयल, रवि सक्सेना आदि शिक्षकगण एवं विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।


 

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