एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर : 

85 फीसदी से अधिक गर्भवती और धात्री महिलाओं की जांच कर सूबे में चौथे नंबर पर रहा जिला

-          मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश के लिए एक से 30 सितंबर तक चला था अभियान

-          आयरन, कैल्शियम, फॉलिक एसिड और एल्बेंडाजोल का किया गया था निशुल्क वितरण

गाजियाबाद, 12 अक्टूबर, 2022। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए शासन के निर्देश पर सभी जिलों के साथ गाजियाबाद में भी “एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर” अभियान चलाया गया। अभियान का उद्देश्य गर्भवती और धात्री महिलाओं के पोषण पर फोकस करना था। अभियान एक से 30 सितंबर तक चलाया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया- हाथरस, पीलीभीत और श्रावस्ती के बाद जनपद अभियान में चौथे नंबर पर रहा। जिले में लक्ष्य के सापेक्ष 85 प्रतिशत से अधिक गर्भवती और धात्री महिलाओं की जांच कर निशुल्क आयरन कैल्शियम, फॉलिक एसिड और एल्बेंडाजोल की गोली वितरित की गईं।


सीएमओ डा. शंखधर ने बताया - अभियान के लिए शासन से जनपद को कुल 47 हजार, 252 गर्भवती और 42 हजार, 422 धात्री महिलाओं की सेहत की जांच आयरन, कैल्शियम, फॉलिक एसिड और एल्बेंडाजोल की गोली वितरित करने का लक्ष्य दिया गया था। जनपद में अभियान के दौरान 42 हजार, 531 गर्भवती और 33 हजार, 814 धात्री महिलाओं की जांच की गई। जो लक्ष्य के सापेक्ष 85.14 प्रतिशत रही। इन सभी गर्भवती और धात्री महिलाओं को आयरन, कैल्शियम फॉलिक एसिड और एल्बेंडाजोल की गोली भी वितरित की गईं। सीएमओ ने बताया - एल्बेंडाजोल की गोली पेट के कीड़े निकालने के लिए दी जाती है। पेट में कीड़े होने पर खाय - पीया शरीर को नहीं लगता और एनीमिक होने का खतरा रहता है।


मातृत्व स्वास्थ्य सलाहकार जितेंद्र राव ने बताया - अभियान के दौरान पोषण को लेकर गर्भवती और धात्री महिलाओं की काउंसलिंग भी की गई। उन्हें बताया गया कि गर्भावस्था और स्तनपान कराने के दौरान महिलाओं को अतिरिक्त पोषण की जरूरत होती है। इसलिए आयरन, कैल्शियम और फॉलिक एसिड की गोलियां लेने के अलावा खानपान पर भी विशेष ध्यान रखा जाए। मां स्वस्थ होगी तो बच्चा भी स्वस्थ होगा। उन्होंने बताया गर्भवती के पोषण को लेकर जागरूकता बढ़ी है, उसी का परिणाम है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) -चार के मुताबिक जहां जनपद में मात्र 17.6 प्रतिशत महिलाएं गर्भ के दौरान 100 दिन तक आयरन और फॉलिक एसिड की गोलियां लेती थीं वहीं एनएफएचएस - पांच में यह आंकड़ा बढकर 47.8 प्रतिशत हो गया।

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