दास्तान एक परंपरा, एक से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचती है: हुदा फरीदी

-उर्दू विभाग में हुआ 'दास्तान की अहमियत' विषय पर विशेष व्याख्यान

मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में 'दास्तान की अहमियत' विषय पर उर्दू अकैडमी एएमयू अलीगढ़ की डायरेक्टर प्रोफेसर कमरुल हुदा फरीदी द्वारा विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा, दास्तान लफ्जों का एक जखीरा है। लफ्ज हमेशा एक चिराग की तरह हैं, जो सदैव रोशन रहते हैं। वे सदा वक्त के साथ चलते-जलते हैं और आदमी को रास्ता दिखाते हैं। दास्तान एक परंपरा का नाम है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचती रहती है।

प्रो. असलम जमशेदपुरी ने कहा कि दास्तान हमारी बहुत पुरानी परंपरा है। जब आज की तरह मनोरंजन के भौतिक साधन नहीं थे, तब दास्तान ही वह साधन था जो लोगों का मनोरंजन भी करता था और दिशा निर्देश भी देता था। समाज में रहने का तरीका भी सिखाता था। दास्तान कभी खत्म नहीं होती, हमेशा चलती रहती है। डॉ. हुमा मसूद ने कहा कि दास्ताने अपने समय की उन्नत विधा है, दास्तान से हम आज भी लाभ ले रहे हैं। इस अवसर पर पधारे शायर अजहर इकबाल ने कहा, जो बादशाहत मिले तो करना फकीर होकर, साथ कुछ भी ना ले जा सकोगे अमीर होकर।। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शादाब अलीम एवं उजमा परवीन ने संयुक्त रूप से किया। डॉ.अलका वशिष्ठ ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अनेक छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहें। डॉ. आसिफ अली, मोहम्मद शमशाद, सईद सहारनपुरी, ताबिश फरीदी, शबिस्ता परवीन, फराह नाज आदि का सहयोग रहा।

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