सभी समझें जिम्मेदारी
दिल्ली में पटाखों के उत्पादन और बेचने पर एक जनवरी तक प्रतिबंध लगा दिया है। दरअसल यह निर्णय हवा प्रदूषण और ठंढ के दिनों में स्माग के मद्देनजर लिया गया है। चिंता इस बात की भी है कि वायु प्रदूषण भारतीयों की औसतन आयु पांच साल और दिल्ली - एनसीआर वासियों की करीब दस साल घटा रहा है। ऐसे में 7 सितम्बर, 2022 को साफ हवा नीले आसमान के लिए- तीसरा वैश्विक दिवस के दिन दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का यह सूचित करना कि 7 सितम्बर, 2022 से 1 जनवरी, 2023 तक दिल्ली में पटाखों के उत्पादन, बेचने व उपयोग पर प्रतिबंध पूर्ण लागू कर दिया गया है, आम-खास के लिये अच्छा संदेश है। किन्तु जमीनी यथार्थ यह है कि अभी जब पराली जलाना भी शुरू नहीं हुआ है 20 सितम्बर, 2022 को आनन्द विहार दिल्ली का एक्यूआई 419 यानी गंभीर वायु प्रदूषण के स्तर पर था। पूरी दिल्ली में ही एक्यूआई सौ से ऊपर है। यह भी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। दुनिया के 15 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से 10 भारत में हैं। 2030 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल पाने के लिए भी वायु प्रदूषण कम करना जरूरी है। अक्तूबर माह के आखिर से दिल्ली में पड़ोसी राज्यों से जलती पराली का धुआं भी पहुंचने लगता है। जाड़ों तक स्मॉग की स्थिति बन जाती है। खुले में घूमना, व्यायाम करना स्वास्थ्यवर्द्धक न रहकर स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ाने लगता है। दिल्ली को गैस चेम्बर नाम मिल जाता है। तब न्यायालयों से ऐसा सुनने को भी मिलता है कि इस शहर में रहने के लिए कोई भी घर सुरक्षित नहीं है। सभ्य देशों में ऐसा नहीं होता है। जीने का अधिकार सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। परन्तु दिल्ली सरकार का सालों से न्यायालयों में यही कहना रहा है कि कुल वायु प्रदूषण में दिल्ली जनित प्रदूषण केवल तीस-चालीस प्रतिशत ही है बाकि अन्य राज्यों का दिल्ली पहुंचा प्रदूषण है। पाकिस्तान से भी प्रदूषण पहुंचने की बात हो चुकी है। इसी बात पर तीसरा वैश्विक दिवस 7 सितम्बर, 2022 को साफ हवा नीले आसमान के लिए का थीम ‘द एयर वी शेयर’ यही जताता है कि प्रदूषण लदी हवाएं देशों, राज्यों या किसी भी भौगोलिक या प्रशासकीय सीमा के बंधनों में नहीं हैं। हमारे वायुमंडल साझे हैं, इससे आने वाली मार भी सब पर साझा पड़ेगी। अतः प्रदूषण कटौती के प्रयास में भी एकजुटता होनी चाहिए। साझे वायुमंडल में आज नब्बे प्रतिशत से ज्यादा वैश्विक जनसंख्या प्रदूषित हवा में सांस लेने को विवश है, चाहे उस प्रदूषण के लिये जिम्मेदार हो या नहीं। प्रदूषकों से फेफड़ों का कैंसर, दिल व सांस संबंधी बीमारियां व आर्थिक, खाद्य एवं पर्यावरण असुरक्षा भी बढ़ी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अप्रैल, 2022 में कहना था कि नये मानकों के अनुसार आप दुनिया में जहां भी सांस लेंगे वहीं ज्यादा संभावना है कि आप प्रदूषित हवा ही सांसों में ले रहे होंगे। साझा वायुमंडल जमीन के प्रदूषण सागर-महासागरों में भी पहुंचाते हैं। कार्बन कण हिमालय के ग्लेशियरों व ध्रुवीय बर्फ सतहों पर हजारों किलोमीटर की यात्रा कर जम जाते हैं। घरों का प्रदूषण बाहर भी पहुंचता है। करीब 25-26 प्रतिशत हवा में बना रहने वाला प्रदूषण घरों के ठोस ईंधन प्रदूषण कणों का ही होता है। दरअसल, प्रदूषण कणों की वायुमंडल में भारी उपस्थिति आसमान को नीला नहीं रहने देती है। दिन का नीला आसमान वायुमंडल में कम प्रदूषण का द्योतक है। वायु प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य के जोखिम तभी कम होंगे जब गैसीय प्रदूषणों के साथ-साथ हवा में 2‍‍.5 माइक्रोमीटर व्यास से कम के कणीय प्रदूषकों का स्तर नीचे लाया जाये। वायु प्रदूषण से मानव के ही नहीं बल्कि पृथ्वी के संताप भी बढ़े हैं। उसकी जैव विविधता, पारिस्थितिकीय प्रणालियां और जलवायु चक्र इससे प्रभावित हो रहे हैं। स्वस्थ पृथ्वी से ही हम अच्छी इकोसिस्टम सर्विसेज की आशा कर सकते हैं। वैश्विक आधार पर भी सर्वाधिक वायु प्रदूषणों के लिए परिवहन व ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र जिम्मेदार हैं। प्रदूषण अवशोषक व अवरोधकों के रूप में वृक्षों की बहुत महत्ता है। मरुस्थलों के प्रसार रोकने में, नदी तट-पाटों के कम सूखने में व उनसे धूल, रेत, हवा का उड़ना कम करने में पेड़ जितने मददगार होंगे, हवा उतनी ज्यादा साफ होगी। आसमान उतना ज्यादा नीला होगा। साझे वायुमंडल में वायु प्रदूषण के कुप्रभावों को सबने झेलना है। अतः आपने समस्या न भी बढ़ाई हो फिर भी समाधान में योगदान करें।

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