जनपद के 2076 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर हुई स्वस्थ बालक-बालिका प्रतिस्पर्धा

महिलाओं ने स्वस्थ बच्चों के साथ लिया बढ़-चढ़कर हिस्सा

विजयी बच्चों को दो अक्टूबर को किया जाएगा पुरस्कृत


मेरठ, 23 सितम्बर 2022 ।  जिले में 2076आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्वस्थ बालक-बालिका प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों की सेहत परखी गयी।  इस दौरान 7465 बच्चों का वजन किया गया, जिसमें 4329 बालक व 3136 बालिकाएंथीं।
 जिला कार्यक्रम अधिकारी विनीत कुमार सिंह ने बताया-प्रतियोगिता में 3612बालक व 2616 बालिकाएं स्वस्थ्य पायी गयी। उन्होंने बताया- प्रतिस्पर्धा के एक दिन पूर्व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने स्वस्थ बच्चों के अभिभावकों के घर जाकर आकर्षक निमंत्रण पत्र दिए। यह निमंत्रण पत्र आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने स्वयं तैयार किये थे।  समस्त आंगनबाड़ी केंद्रों पर त्योहार के रूप में इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जनपद में दिनभर जमकर बारिश हुई, अत्याधिक बारिश भी महिलाओं के उत्साह को रोक नहीं पाई। महिलाओं ने अपने स्वस्थ बच्चों के साथ बढ़.चढ़कर आयोजन में हिस्सा लिया। सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं ने प्रतिस्पर्धा में अपना योगदान प्रदान किया।
  आगंनबाडी केन्द्र अब्दुल्लापुर में जिला कार्यक्रम अधिकारी  विनीत कुमार सिंह ने  स्वस्थ बच्चों के अभिभावकों का अभिनंदन करते हुए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा- इस प्रतिस्पर्धा का मुख्य उद्देश्य स्वस्थ प्रदेश की परिकल्पना को साकार करना है। स्वस्थ बच्चे को पुरस्कृत एवं सम्मानित होते देख कुपोषित बच्चों के अभिभावक भी प्रेरित होंगे। उन्होंने कहा विभाग की कोशिश है कि जनपद में कुपोषण को जड़ से खत्म कर दिया जाए, इसके लिए सभी के सहयोग की जरूरत है। गर्भवती को चाहिए कि वह गर्भकाल के शुरुआती दिनों से ही अपने पोषण पर ध्यान दे, एक स्वस्थ माँ ही स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। उन्होंने धात्री माताओं से अपील की कि वह अपने शिशुओं के पोषण पर ध्यान दें। उन्होंने बताया- जिले के सभी कुपोषित बच्चों को वजन ,स्वास्थ्य परीक्षण स्वास्थ्य विभाग के बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक, एवं आरबीएसके टीम के चिकित्सकों द्वारा किया गया। बच्चों का परीक्षण कर मौके पर ही कमजोर बच्चों को दवा प्रदान करते हुए समय से खान-पान एवं स्वच्छ पेयजल के लिये जागरूक किया।उन्होंने बताया - प्रतिस्पर्धा में विजयी बच्चों को दो अक्टूबर को पुरस्कृत किया जाएगा। मासिक वृद्धि निगरानी के लिए पांच अंक मिलेंगे।
 जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया- शिशु को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराया बहुत जरूरी है। मां का पहला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए टीके के समान होता है। मां के दूध में वह सभी आवश्यक तत्व होते हैं जो बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए जरूरी होते हैं। उन्होंने कहा शिशु को छह माह तक मां के दूध के सिवाय कुछ नहीं देना हैए यहां तक कि पानी भी नहीं। छह माह के उपरांत शिशु को मां के दूध के साथ-साथ ऊपरी आहार जरूर देना चाहिए। उन्होंने बताया इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लगातार गर्भवती और धात्री माताओं को जागरूक करती रहती हैं।

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