सूरत के हरमीत देसाई ने राष्ट्रमंडल खेल में टेबल टेनिस में जीता गोल्ड

सूरत/अहमदाबाद। राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारत के लिए स्वर्ण पदक की बारिश हो रही है। जहां भारोत्तोलन में मीराबाई चानू ने भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया वहीं टेबल टेनिस खेल में सूरत के हरमीत देसाई ने भी टेबल टेनिस में स्वर्ण पदक जीता है। इस जीत के बाद सूरत में हरमीत के माता-पिता ने खुशी के आंसू बहाते हुए अपने बेटे हरमीत को जीत की बधाई दी।

जब मैच चल रहा था तब हरमीत की मां अर्चना देसाई मैच देखने से दूर रहीं। हरमीत के खेल और उसके चेहरे पर हार का क्या परिणाम होगा। उनकी बेचैनी साफ नजर आ रही थी। अर्चना देसाई ने बताया कि वे अपने बच्चे के हर खेल को देखती थीं पर जब मंगलवार को गोल्ड मेडल का मैच था तो वह नहीं देख सकीं लेकिन जीत के बाद उन्होंने बेहद खुशी जाहिर की।

हरमीत की मां अर्चना देसाई ने कहा कि मौजूदा स्थिति ऐसी है कि जीत की खुशी बयां नहीं की जा सकती। मुकाबला काफी कड़ा था। विरोधी टीम भी काफी मजबूत थी लेकिन आर्मिट का प्रदर्शन बहुत अच्छा था, जिसके कारण यह सफलता मिली। हरमीत के पिता राजुल देसाई ने कहा कि अभी यह सफलता हमें सातवें आसमान से भी ऊंची लगती है। हरमीत ने कड़ी मेहनत की जिसका उसको परिणाम मिला।

हरमीत के पिता राजुल पहले से ही खेलों में रुचि रखते हैं, इसलिए हरमीत ने 6 साल की उम्र से टेबल टेनिस खेलना शुरू कराया था। तब हर दिन और साल टीटी को समर्पित कर दिया था। हरमीत को टेबल टेनिस के अलावा फिल्में देखने, पढ़ने और संगीत सुनने का बहुत शौक है। उन्हें टेबल टेनिस के अलावा खेलों के बीच शतरंज और बैडमिंटन खेलना पसंद है। हरमीत ने टेबल टेनिस के साथ-साथ बीकॉम और एमबीए (एचआर) की पढ़ाई की है। हरमीत ने 6 साल की उम्र में टेबल टेनिस खेलना शुरू कर दिया था। ढाई साल में उन्होंने राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर पर खेलना शुरू किया। 14 साल तक उनके पिता उनके कोच रहे और बड़े भाई ने हरमीत को प्रैक्टिस पार्टनर के रूप में प्रोत्साहित किया।

हरमीत को पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका तब मिला जब वह 15 साल की उम्र में स्वीडन गया जिसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण प्राप्त करना शुरू किया। रफाल नडाल खेल में हरमीत के आदर्श हैं। बॉलीवुड में शाहरुख खान और राजनीति में नरेंद्र मोदी उनकी पसंदीदा शख्सियत हैं।

हरमीत की जिद थी कि टेबल टेनिस में विश्व ख्याति प्राप्त की जाए। हरमीत ने संघर्ष किया और सफलता हासिल करने में सफल रहे। हरमीत ने 8 साल की उम्र में अंडर-10 राज्य स्तरीय खिताब जीता था। वे अब तक 150 से ज्यादा मेडल जीत चुके हैं। अब परिवारों ने मेडल गिनना भी बंद कर दिया। इस बीच उन्होंने कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीतकर सूरत, गुजरात समेत देश का नाम बनाया।


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