मानव सेवा में नजीर बनी ग्रामीण समाज विकास केंद्र

टीबी मरीजों को इलाज में मदद कर रही ग्रामीण समाज विकास केंद्र, रजपुरा ब्लॉक को टीबी मुक्त करने का आह्वान

मेरठ -जमीनी स्तर पर जाकर लोगों की सेवा करना, उनके सुख दुख में भागी बन जाना तथा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के तमा किस्से तो आपने देखे और सुने होंगे, लेकिन इस बार कुछ ऐसा पहलू हमारे सामने आए है जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगे। जी हां हम बात कर रहे है सामाजिक संस्ता ग्रामीण समाज विकास केंद्र की। जिसने सन 1989 से ना सिर्फ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया बल्कि महिलाओं व बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर भी विबाग व सरकारी तंत्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। ग्रामीण समाज विकास केंद्र ने ताजा नजीर उस वक्त पेश की जब कुछ टीबी से ग्रसित मरीजों को संस्था द्वारा इलाज मुहैया कराया गया, जिसकी ना सिर्फ विभाग ने तारीफ की बल्कि समाज में भी ग्रामीण समाज विकास केंद्र ने जमकर वाह वाही लूटी।

इन क्षेत्रों मे काम कर रही संस्था

मेरठ में संस्था ने सन 1989 से अपना सफर तय किया था। इस दौरान महिलाओं को आत्मनिर्भर करने हेतू सिलाई, कढ़ाई, शिक्षा, स्वास्थ्य को लेकर किया। इसके साथ ही संस्था मेरठ के समस्त ब्लॉक व शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित गर्भ समापन को लेकर काम कर रही है। जिसके अब 2022 में संस्था द्वारा ब्लॉक रजपुरा में टीबी मरीजों को सरकारी सेवा से जोड़ने तथा सरकारी स्तर पर इलाज मुहैया करने के साथ-साथ 20 टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेने का बीड़ा उठाया। जिसके लिए संस्था के 5 मोबिलाइजर दो प्रोग्राम कॉर्डिनेटर काम कर रहे है। संस्था के मोबालाइजरद्वारा ब्लॉक रजपुरा में टीबी मरीजों को खोजने का काम किया जा रहा है और जांच में टीबी पॉजिटिव मिलने पर स्वास्थ्य विभाग से समन्वय स्थापित कर उहें इलाज मुहैया करवाना है। 

संस्था के सचिव मेहरचंद का कहना है कि सरकार की मंशा के अनुरुप 2025 तक टीबी को जड़ से खत्म करना हमारी संस्था का उद्देश्य है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने बताया कि जब किसी व्यक्ति को पता चलता है कि वह टीबी से ग्रसित है तो वह सामान्य तौर पर हीन भावना का शिकार हो जोता है और बीमारी को छुपाने का प्रयास करता है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। बीमारी पर खुलकर बात होनी चाहिए, ताकि समय रहते उचित उपचार किया जा सके।इसके लिए समाज में प्रत्येक व्यक्ति को जागरुक रहने की आवश्कता है। रजपुरा ब्लॉक को टीबी मुक्त करने का आह्वान करते हुए कहा कि यदि किसी व्यक्ति के संपर्क में ऐसा व्यक्ति आता है जिसे खांसी, बुखार या टीबी के लक्षण हो, तो वह तुरंत जांच करवाए, यहा संस्था के मोबिलाइजर संपर्क करें।

लाभार्थी (सुनील) काल्पनिक नाम ने बताया कि कुछ दिन पहले खांसी और बुखार के लक्षण दिखाई दिए थे जिसके बाद उन्होंने मामूली तौर पर स्थानीय डॉक्टर से दवाई ली, केकिन कोई राहत नही मिली। जिसके बाद उनके गांव में ग्रामीण समाज विकास केंद्र के मोबिलाइजर देंवेंद्र द्वारा टीबी जागरुकता कैंप के बारे में पता चला तो उन्होंने वहां जाकर देवेंद्र से मुलाकात की। देवेंद्र ने उन्हें टीबी के शुरुआती लक्षणों के बारे में बताया और जांच कराने के आग्रह किया। जिसपर देवेंद्र ने उन्हें संस्था द्वारा एक पर्ची जारी की गई जिसमें रजपुरा ब्लॉक के सिनियर ट्रिटमेंट का रेफरेंस दिया और उनकी बात करवाकर रजपुरा ब्लॉक में पीएचसी पर भेजा। जहां उनकी मुख्त में जांच की गई तो पता चला कि सुनील को टीबी है। जिसके बाद देंवेंद्र ने पीएचसी पर सुनील का इलाज शुरु करवाया और आज करीब 4 महीने बाद वह टीबी से राहत महसूस करते है। उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा ना सिर्फ उनका इलाज करवाया गया बल्कि उनको गोद लेकर प्रतति माह पोषण देने का काम भी किया जा रहा है ताकि दवाईयों के साथ-साथ सही पोषण भी उनको मिल सके।

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