बच्चों को बनायें हेल्थ कांशियस

घर में बच्चों को आजादी से चलने दें

पहले बच्चों के लिये लक्कड़ हजम पत्थर हजम वाली कहावत चरितार्थ होती थी पर अब तो डाक्टर बचपन से बच्चों की सेहत का ध्यान रखने के लिए माता-पिता को समझाते हैं क्योंकि अब बड़ी बड़ी बीमारियां बच्चों को  बचपन से ही लग जाती हैं। इसका मुख्य कारण आधुनिक जीवन शैली और प्रदूषित वातावरण हैं।

गर्भावस्था के समय माता भी इतने तनावों से गुजरती है कि उसका प्रभाव बच्चे पर भी  आ जाता है। इसलिए डाक्टर शिशु के जन्म के बाद माता-पिता को बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सजग करते रहते हैं ताकि वे छोटी उम्र में किसी बड़ी परेशानी से न जूझें।

घर में बच्चों को आजादी से चलने दें

जब बच्चे पांव चलना प्रारम्भ कर दें तो उन्हें घर में इधर उधर आजादी से चलने दें। बस ध्यान दें कि रास्ते में कोई रूकावट उन्हें गिरने न देें। बार बार गोद में न लें बल्कि खुला छोड़ें ताकि वे प्राकृतिक तरीके से बड़़े हों।

पार्क में खेलने के लिए भेजें

थोड़ा बड़ा होने पर उन्हें घर के साथ वाले पार्क में दौडऩे, खेलने के लिए ले जाएं ताकि वे प्रकृति का आनन्द उठा सकें। पार्क में कभी आया या नौकर की जिम्मेदारी पर न भेजें। प्रयास करें कि वे अपने बड़े बहन, भाई, दादा, चाचा, बुआ के साथ जाएं या स्वयं लेकर जाएं। यदि पार्क में पक्का टैंक हो तो साइकिल के लिए भी बच्चे को ले जा सकते हैं। कुछ पार्कों में स्केटिंग एरिया भी बना होता है। उन्हें स्केटिंग करने के लिए प्रेरित करें। इससे बच्चों की मस्ती भी हो जाएगी और उनकी काफी ऊर्जा सही तरीके से खर्च हो जाएगी और वे थककर घर आयेंगे। फालतू की शैतानियों में उनका दिमाग भी नहीं लगेगा। बच्चों के साथ पार्क में फ्रिजबी, रिंग, बड़ी बाल लेकर जाएं। उनके साथ कैच एंड थ्रो खेलें। यदि पार्क में उनकी उम्र के और बच्चे हों तो उनकी दोस्ती करवाएं ताकि वे मिलजुल कर खेल सकें।  

इनडोर गेम्स भी दें

पार्क के अलावा बच्चों को कुछ इनडोर गेम्स सिखाएं ताकि पार्क न जाने की मजबूरी में वे घर पर खेल सकें। इससे बच्चे व्यस्त भी रहते हैं और सक्रिय भी। घर पर बच्चों से स्किपिंग भी करवा सकते हैं। यदि आप ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं तो बास्केटबाल का रिंग बाहर लगवा दें।

तैराकी सिखाएं

तैरना एक अच्छा व्यायाम है। बच्चे एक्टिव भी रहते हैं। बच्चों को छोटी उम्र से ही तैरना सिखाएं। छुट्टियों में या वीकएंडस पर बच्चों को स्विमिंग के लिए ले जा सकते हैं। इससे बच्चे खुश भी रहेंगे और उनकी एकाग्रता भी बढ़ेगी।

पैदल चलने के लिए प्रेरित करें

आस पास मॉल्स पर या मार्केटिंग के लिए जा रहे हैं तो उन्हें अपने साथ पैदल ले जाएं। कार को उस दिन आराम दें और बच्चों को पैदल चलने का लाभ भी बताएं। घर के आस पास कोई सामान लेने जा रहे हों तो भी बच्चों को साथ पैदल ले जाएं। उससे बचपन से ही उनमें पैदल चलने की आदत बनेगी।

स्पोर्ट्स और दूसरी एक्टिविटीज से जोड़

स्कूल जाने वाले बच्चों को स्कूल स्पोर्ट्स या दूसरी एक्टिविटीज से जोड़ें। आजकल तो कई स्कूलों ने ईवनिंग टाइम में फिजिकल एक्टीविटीज की क्लासेस भी शुरू की हैं। यदि सुविधा हो तो बच्चों को उन गतिविधियों से जुड़े जैसे फुटबाल, टेनिस, वालीबॉल, एथलेटिक्स आदि। कई जगह डांस क्लासेस भी उपलब्ध हैं। जानकारी लेकर बच्चों की और अपनी सुविधानुसार उन्हें डालें ताकि घर पर रहकर बच्चे कंप्यूटर, टीवी एडिक्ट न बन जाएं।

बच्चे बाहर निकलेंगे तो अनुशासन भी सीखेंगे और वर्कआउट करके स्वयं को स्वस्थ भी रखेंगे। ऐसे बच्चे चुस्त दुरूस्त रहेंगे, उनमें चिड़चिड़ापन नहीं आएगा और बचपन से ही वे 'हेल्थ कांशियस भी हो जाएंगे।

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