दस्तक अभियान के लिए एएनएम का संवेदीकरण
- 16 से शुरू होगा जनपद में घर-घर दस्तक अभियान
- टीबी और बुखार के लक्षणों वाले मरीज खोजे जाएंगे
हापुड़, 12 जुलाई, 2022। संचारी रोग नियंत्रण माह के दूसरे पखवाड़े में चलने वाले दस्तक अभियान के लिए गठित की गई टीमों का संवेदीकरण कार्यक्रम प्रगति पर है। पहले चरण में जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राजेश सिंह ने जहां ब्लॉक वार आशा कार्यकर्ताओं का संवेदीकरण किया वहीं मंगलवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हापुड़ पर एएनएम का संवेदीकरण किया। हापुड़ ब्लॉक की एएनएम को अभियान के उद्देश्य और उद्देश्य को हासिल करने के लिए काम करने के तरीके के बारे में विस्तार से बताया गया। खासकर टीबी के लक्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई और इस बात पर जोर दिया गया कि टीबी का एक भी मरीज चिन्हांकन से छूटने न पाए।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने कहा 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य हम तभी हासिल कर पाएंगे जब सभी रोगियों की पहचान कर तत्काल उनका उपचार शुरू किया जाए। हर स्वास्थ्य कर्मी ही नहीं जन सामान्य को भी इस बात का प्रण लेना होगा कि एक भी क्षय रोगी बिना उपचार के न रह जाए। उन्होंने एएनएम को संबोधित करते हुए कहा - दस्तक अभियान के दौरान क्षय रोग से जुड़े मिथक दूर करने के भी प्रयास करें, ताकि टीबी रोगियों के साथ भेदभाव बंद हो। यह भी बताएं कि फेफड़ों की टीबी कोरोना की ही तरह मुंह और नाक से निकलने वाले ड्रॉपलेट के जरिए फैलती है। यह छुआछूत का रोग नहीं है और नियमित उपचार के बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है।
टीबी के लक्षणों की जानकारी देते हुए डीटीओ ने बताया दो सप्ताह से अधिक खांसी रहने, खांसते समय कफ या खून आने, बुखार या हरारत के अलावा अचानक वजन गिरने और सीने में दर्द रहने की शिकायत हो तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं, ऐसे लक्षण वाले लोगों को चिन्हित कर एएनएम ब्लॉक स्तर पर सूचित करें। क्षय रोग विभाग टीबी से मिलते -जुलते लक्षण वालों की निशुल्क जांच करेगा और यदि जांच में क्षय रोग की पुष्टि होती है तो तत्काल निशुल्क उपचार भी शुरू कराएगा।
डीटीओ ने बताया क्षय रोगियों को उपचार जारी रहने तक विभाग की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान उसके बैंक खाते में किया जाता है। डीटीओ ने बताया क्षय रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उन्हें अन्य संक्रमण, जैसे कोविड आदि का भी खतरा ज्यादा रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर करने के लिए रोगी को उच्च प्रोटीन युक्त भोजन की जरूरत होती है।
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