सांसद बने लक्ष्मीकांत बोले मेरठ के मुददों की आवाज संसद में करेंगे बुलंद

मेरठ। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी राज्यसभा सांसद बनने से अब मेरठ की आवाज को संसद में धार मिलेगी। राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद अब डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी लखनऊ के बजाय नई दिल्ली की राजनीतिक पिच पर खेलते नजर आएंगे। राज्यसभा में पार्टी एवं मेरठ के मुददों की बुलंद आवाज बनेंगे। पार्टी आगामी चुनावों में भी उन्हें अहम जिम्मा देगी।
डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी की छवि जमीनी नेता की रही है। इन्हीं वजहों से मेरठ शहर सीट पर विपरीत जातीय समीकरण के बावजूद कई बार जीतकर विस पहुंचे। 2012 विस चुनाव में अतिम बार जीतकर लखनऊ पहुंचे, जिसमें उनका ज्यादातर कार्यकाल प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका निभाते हुए बीता। लेकिन 2017 विस चुनाव में शिकस्त से उनके सितारे गर्दिश में पहुंच गए। सियासत के पुराने खिलाड़ी रहे बाजपेयी वक्त का मिजाज भांपते हुए चलते रहे। अपने मलाल को कभी छलकने नहीं दिया, और पार्टी की लाइन लेंथ पर डटे रहे। बीच.बीच में उन्हें राज्यपाल बनाने की चर्चा उठती रही।
हालांकि वो राजनीतिक गलियारों में उठती हवाओं से दूर अपने अंदाज में बढ़ते गए। तमाम मंचों पर पार्टी का पक्ष मजबूती से रखते रहे। 2022 विस चुनाव में पार्टी की प्रचंड जीत के बाद उन्हें मंत्री बनाने के कयास तेज थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लेकिन पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 11 राज्यसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों में लक्ष्मीकांत का नाम पहले नंबर पर रखा।
मेरठ.हापुड़ सांसद राजेंद्र अग्रवाल 2009 से लगातार लोकसभा सदस्य हैं। वो संसद में मेरठ में हवाई अडडा, ट्रैफिक जाम, कैंट बोर्ड का मसला, काली नदी, प्रदूषण एवं इंफ्रास्ट्रक्चर का मुददा अक्सर उठाते रहे हैं, वहीं राज्यसभा में विजयपाल सिंह तोमर कई बार किसानों के मुददों को प्रभावी ढंग से उठा चुके हैं। कांता कर्दम भी राज्यसभा सदस्य हैं। अब डा. लक्ष्मीकांत भी उच्च सदन में पहुंचेंगे, जो मेरठ समेत यूपी के तमाम मुददों की धार तेज करेंगे।

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