भ्रष्टाचार की जड़ें


भ्रष्‍टाचार की वैतरणी में दिन-रात डुबकी लगाने वाले अभी से होशियार हो जाएं तो अच्‍छा, क्‍योंकि झारखंड में ईडी का जोर-शोर से स्‍वच्‍छता अभियान चल रहा है। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ छेड़े गए इस खास अभियान में पहली गिरफ्तारी एक आईएएस अधिकारी की हुई है। ईडी ने आइएएस पूजा सिंघल को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया है। उन पर भ्रष्‍टाचार के संगीन आरोप लगे हैं।
हर राजनीतिक दल और हर सरकार दावा करती है कि वह भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर यह संदेश देने का भी प्रयास करती हैं कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती बरत रही हैं। मगर आज तक किसी भी सरकार के समय ऐसा उल्लेखनीय उदाहरण नहीं मिलता, जिसमें भ्रष्टाचार न हुए हों। हर सरकार के समय छापे पड़ते हैं, भारी मात्रा में नगदी और गैरकानूनी रूप से जमा संपत्ति जब्त की जाती है, कुछ दोषियों को सलाखों के पीछे भी डाला जाता है, मगर उनसे शायद सबक कोई नहीं लेता। यही वजह है कि हर बार भ्रष्टाचार के आंकड़े कुछ बढ़े हुए ही दर्ज होते हैं। भ्रष्टाचार किसी भी देश की तरक्की में सबसे बड़ा बाधक है, यह बात हर राजनेता, अधिकारी जानता है, मगर इसे रोकने की इच्छाशक्ति किसी में नजर नहीं आती। जो रोकने का प्रयास करता है, उसकी जान का खतरा बना रहता है। इस तरह हमारे देश में भ्रष्टाचार अब प्रकट है। अब सरकारें भी भ्रष्टाचार रोकने के नाम पर अपने विरोधियों को सबक सिखाने की ही कोशिश करती देखी जाती हैं। इस तरह भ्रष्टाचार एक स्वाभाविक प्रक्रिया की तरह स्वीकृत हो चला है। ऐसे में थोड़े-थोड़ समय पर अधिकारियों, नेताओं, व्यापारियों आदि के ठिकानों पर छापे मारने भर से इस नासूर का इलाज संभव नहीं है। इसके लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है।

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