हिंदी पत्रकारिता दिवसः आईआईएमटी विश्वविद्यालय में विचार गोष्ठी आयोजित

- जनसंचार, फिल्म एवं टेलीविजन स्टडीज विभाग में कार्यक्रम का आयोजन
मेरठ। 
आईआईएमटी विश्वविद्यालय के जनसंचार, फिल्म एवं टेलीविजन स्टडीज विभाग में सोमवार को हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में पत्रकारिता के भारतीय इतिहास से लेकर वर्तमान स्वरूप की चर्चा की गई। गोष्ठी में शिक्षकों और विद्यार्थियों ने पत्रकारिता के विभिन्न आयामों को विस्तार से जानने की कोशिश की। गोष्ठी में पत्रकारिता द्वारा समाज और राष्ट्र को नई दिशा देने व सबलता प्रदान करने की सराहना भी की गई।  
संकाय अधिष्ठाता डॉ. सुभाष थलेड़ी ने विद्यार्थियों को बताया कि इसी दिन सन् 1826 में हिन्दी भाषा का पहला अखबार उदन्त मार्तण्ड प्रकाशित होना शुरू हुआ था। उन्होंने बताया कि इसका प्रकाशन तत्कालीन कलकत्ता शहर से किया जाता था और पण्डित जुगुल किशोर शुक्ल इसके प्रकाशक और सम्पादक थे। यह साप्ताहिक समाचार पत्र हर मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था। उदण्त मार्तण्ड के पहले अंक की 500 प्रतियां छापी गई थीं। उन्होंने कहा कि नवोदित पत्रकारों को उत्तरदायित्व के साथ अपने कर्Ÿाव्यों का निर्वहन करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा।
विभागाध्यक्ष विशाल शर्मा ने बताया कि हिन्दी अखबार होने की वजह से कलकत्ता में इसके पाठक न के बराबर थे, इसलिए इसे डाक से अन्य राज्यों में भेजना पड़ता था। आर्थिक तंगी के चलते चार दिसम्बर 1826 को यह अखबार बंद हो गया। लेकन वर्तमान में हिन्दी पत्रकारिता ने जो अपनी साख बनाई है वह काबिलेतारीफ है। हिन्दी के सभी पत्र पाठकों को देश-दुनिया से जोड़े रखते हैं। हिन्दी भाषा के तमाम बड़े सम्पादकों ने भी विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ी है। असिस्टेंट प्रोफेसर सचिन गोस्वामी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वर्तमान पत्रकारिता चुनौतियों और जोखिमों से भरी है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से समाज में बढ़ रही कुरीतियों को आईना दिखाने का अवसर मिलता है। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पृथ्वी सेंगर ने कहा कि वर्तमान दौर में पत्रकारिता के सम्मान को बचाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विवेक सिंह ने सोशल मीडिया के आ जाने के बाद मुख्य मीडिया को और अधिक जिम्मेदारी और जवाबदेही से काम करने की बात कही। असिस्टेंट प्रोफेसर विभोर गौड़ ने विद्यार्थियों से रिपोर्टिंग के दौरान आने वाली चुनौतियों और उनसे निपटने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की। विचार गोष्ठी में असिस्टेंट प्रोफेसर कुंवर सिद्धार्थ दापे व अन्य शिक्षकों समेत पत्रकारिता के विभिन्न विद्यार्थियों ने भी अपने विचार रखे।

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