शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान” पर आयोजित हुई पोषण पाठशाला


हापुड़, 26 मई, 2022। शासन के निर्देश पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सूबे के सभी जनपदों में बृहस्पतिवार को पोषण पाठशाला का आयोजन किया गया। जनपद स्तर पर एनआईसी के साथ ही सभी  आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला में पोषण प्रबंधन, कुपोषण से बचाव के उपाय और पोषण शिक्षा पर विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी। विशेषज्ञ पैनल की बात जिला स्तर पर ‌डीपीओ , सीडीपीओ और सुपरवाइजर्स ने सुनी तथा सभी केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्तााओं ने अपने स्मार्ट मोबाइल के जरिए विशेषज्ञ राय लाभार्थियों को भी सुनवाई। बृहस्पतिवार को अपराह्न 12 से दोपहर दो तक चली पोषण पाठशाला की थीम “शीघ्र स्तनपान-केवल स्तनपान” रही। प्रदेश स्तर पर हुई इस कार्यशाला को विशेष पैनल में  डा. आरएमएल आईएमएस (लोहिया अस्पताल) लखनऊ में सामुदायिक चिकित्सा विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डा. मनीष कुमार सिंह, वीरांगना अवंतीबाई महिला अस्पताल (डफरिन) लखनऊ के वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग डा. मो. सलमान खान, आईएचएटी-यूपीटीएसयू लखनऊ की निदेशक डा. रेनू श्रीवास्तव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया।


पोषण पाठशाला में महिलाओं को यह समझाने का प्रयास किया गया कि शिशु के लिए स्तनपान कितना जरूरी है। खासकर प्रसव के तुरंत बाद मां का पहला गाढ़ा और पीला दूध शिशु की तमाम बीमारियों से रक्षा करता है। विशेषज्ञों ने नवजात को स्तनपान कराने की जरूरत और इससे बच्चों के शारीरिक तथा मानसिक विकास के सकारात्मक परिणामों के बारे में जानकारी दी। पोषण पाठशाला के दौरान जिला स्तर पर एनआईसी के साथ ही शासन स्तर से निर्धारित वेब लिंक के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा और मुख्य सेविका के साथ-साथ स्थानीय गर्भवती  और धात्री महिलाएं भी मौजूद रहीं। 


जिला कार्यक्रम अधिकारी ज्ञानप्रकाश तिवारी ने बताया जनपद में सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर शासन स्तर से निर्धारित वेब लिंक के माध्यम पोषण पाठशाला का आयोजन किया गया। गर्भवती और धात्री महिला महिलाओं को उनके नवजात के लिए स्तनपान की जरूरतों के बारे में जागरूक किया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया विशेषज्ञों द्वारा महिलाओं की विभिन्न समस्याओं और शंकाओं का समाधान भी कराया गया। पोषण पाठशाला में विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी गई कि मॉ के दूध में सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में और सही अनुपात में पाये जाते हैं, जिससे केवल पोषण नहीं बल्कि विभिन्न हार्मोन्स, जीवाणु, जो बच्चे के सम्पूर्ण विकास के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सक्षम हैं, मां के दूध में होते हैं। हमें सुनिश्चित करना है कि बच्चों के प्रारम्भिक छह माह में उसको केवल स्तनपान कराया जाए, उसे पानी देने की भी जरूरत नहीं होती। छह माह के बाद ही शिशु को ऊपरी आहार की जरूरत होती है। 


पोषण पाठशाला में विशेषज्ञों ने बताया - शीघ्र स्तनपान और छह माह तक केवल स्तनपान, को लेकर जागरूकता बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा इस संबंध में महिलाओं के साथ परिवार के पुरुषों को भी जानकारी दी जाए ताकि जागरूकता बढ़ सके। डीपीओ ने बताया प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास एवं पुष्टाहार द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक माह पोषण पाठशाला का आयोजन किया जाएगा, जिसमें महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण एवं कुपोषण से बचाव की जानकारी दी जायेगी।

आईएमएस अधिनियम के बारे में भी जानें, कानून का पालन करें : डीपीओ


जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) ज्ञान प्रकाश तिवारी ने बताया भारत सरकार द्वारा 1992 में आईएमएस अधिनियम (शिशु दूध विकल्प, दूध पिलाने की बोतलें और शिशु आहार) को लागू किया गया था। इस अधिनियम में 2003 में संसोधन किया गया। यह अधिनियम शिशु दूध के विकल्प (डिब्बे वाले दूध), दूध पिलाने की बोतलें और शिशु आहार को बढ़ावा देने के सभी प्रकार, मीडिया के जरिए दूध के विकल्प, दूध पिलाने की बोतलें और शिशु आहार से संबंधित विज्ञापन तथा स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं और माताओं को उपरोक्त वस्तुओं के नमूने भेंट करना, इन वस्तुओं पर मां या बच्चे की तस्वीर लगाना और स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रदशर्न करना और मां के दूध के विकल्प की बिक्री को बढावा देने के लिए कंपनियों द्वारा कर्मचारियों को कमीशन का भुगतान पर प्रतिबंध लगाता है।

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