अमूल्य निधि हैं हमारी विरासत, संरक्षण जरूरीः प्रो. आनंद शंकर
वाराणसी। श्रीअग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज वाराणासी के प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग की ओर से "विश्व विरासत दिवस" का आयोजन परमानंदपुर परिसर में किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि प्रो आनंद शंकर चौधरी (प्राचार्य, बयालसी डिग्री कॉलेज जलालपुर, जौनपुर) ने कहा कि हमारी विरासत अमूल्य निधि हैं। इनके संरक्षण की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि यदि चीन जैसे देश मे विरासतों की संख्या इतनी अधिक हो सकती है तो हमारे भारतवर्ष में क्यों नहीं। हमारी संस्कृति अति प्राचीन है। उन्होंने कहा कि बस जरूरत है तो प्रयास करने की और सही तथ्यों को दुनियां के सामने लाने की।
कार्यक्रम की शुरुआत विभाग की छात्राओं दिव्या और दिव्यानी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई। इसके बाद प्राचीन इतिहास के विभागाध्यक्ष डॉ. दुष्यंत सिंह ने धरोहरों के विभिन्न प्रकारों को बताया और मूर्त के साथ साथ अमूर्त विरासत को भी सहेजने पर बल दिया।महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. मिथिलेश सिंह ने कहा कि यद्यपि हमारे भारत की 40 धरोहरें विश्व विरासत के रूप में दर्ज हैं परन्तु यह संख्या अभी भी बहुत कम है।
विश्व विरासत दिवस के अवसर पर डॉ. सरला सिंह व डॉ. नन्दिनी पटेल के निर्देशन में विभाग की छात्राओं द्वारा राज्यवार उन 40 पुरास्थलों को अत्यंत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया जो यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में विरासत स्थल के रूप में दर्ज हैं। डॉ. सरला सिंह ने संचालन के दौरान धरोहरों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ये किसी भी राष्ट्र की संस्कृति और सभ्यता के महत्वपूर्ण परिचायक माने जाते हैं।
कार्यक्रम में छात्रा कल्याण अधिष्ठाता डॉ सुमन मिश्र, डॉ. भावना शर्मा, डॉ. अनु श्रीवास्तव, डॉ. मनीषा सिन्हा, डॉ. कंचनमाला यादव, डॉ. अंजलि त्यागी, डॉ. सुधा यादव, डॉ. निशा पाठक, डॉ. पूनम श्रीवास्तव, सुश्री दिव्या पाल सहित अनेक शिक्षक, कर्मचारीगण और छात्रायें उपस्थित रहीं। धन्यवाद ज्ञापन कला, मानविकी व सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. ओपी चौधरी ने किया।
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