इमरान का दांव-पेच
पाकिस्तान में इमरान खान की बिसात के आगे विपक्ष चारोखाने चित है। फिलहाल मामला सुप्रीमकोर्ट पर निर्भर है। लेकिन पाकिस्तान में अबतक बनी स्थितियों पर गौर करें तो इस पूरे मामले में सेना अपने को अलग-थलग रखी दिख रही है। हाल की परिस्थितियों में अगर तीन महीने के भीतर देश में चुनाव हुए तो देखना होगा कि सेना किस पर हाथ रखती है और पाकिस्तान की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है? फिलहाल नेशनल असेंबली भंग करने का दांव खेल कर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने विपक्ष को तगड़ा झटका दे दिया। विपक्ष मान कर चल रहा था कि सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में चर्चा होगी और संख्या बल में इमरान खान हार जाएंगे। पर इमरान खान ने न तो इस्तीफा दिया और न ही अविश्वास प्रस्ताव चर्चा के लिए स्वीकार हुआ। नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को संविधान और नियमों के मुताबिक नहीं पाने और इसकी अवधि निकल जाने की बात कहते हुए इसे खारिज कर दिया। उनके इस फैसले को विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली भंग कर दी। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट क्या कदम उठाता है, यह देखना होगा। अगर चुनाव हुए तो पाकिस्तान में सारी राजनीतिक पार्टियां जनता के बीच जाएंगी और वही फैसला करेगी कि अब सत्ता किसे सौंपी जाए। वैसे तो पाकिस्तान में चुनाव अगले साल होने थे। देखा जाए तो पाकिस्तान में वैसा कुछ नहीं हुआ जैसे कि कयास लगाए जा रहे थे। माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री इमरान खान देश में आपातकाल लगा सकते हैं। लेकिन उन्होंने ऐसा कोई कदम उठाने से परहेज किया, जिससे जनता में उनके और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआइ) को लेकर कोई नकारात्मक संदेश जाए। गौर करने वाली एक बात यह भी है कि जितनी भीड़ विपक्ष की रैलियों में जुटती है, उतनी ही इमरान की रैलियों में भी आती है। दरअसल, पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है, उसके कारण भी कोई तात्कालिक नहीं हैं। आतंकवाद, महंगाई, आर्थिक संकट जैसे कारण तो पहले से चले आ रहे हैं। हां, इतना जरूर है कि जो लंबे-चौड़े वादे कर इमरान सत्ता में आए थे, उन पर वे रत्तीभर खरे नहीं उतरे। सवाल तो यह है कि करें भी तो क्या? जहां तक बात है भ्रष्टाचार की, तो वह हर सत्ता में चरम पर ही रहा है और आज भी है। याद किया जाना चाहिए कि जब बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री थीं, तब उनके पति आसिफ अली जरदारी ‘मिस्टर टैन परसेंट’ के तौर पर मशहूर थे! जहां तक सवाल है आतंकवाद से निपटने का, तो आतंकवाद पाकिस्तान सरकार की अघोषित नीति कही जाती है। कौन नहीं जानता कि सरकार, सेना और आईएसआई आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं! ऐसे में इमरान खान कोई करिश्मा कर भी कैसे सकते हैं? फिलहाल यह कोई छिपी बात नहीं है कि सेना और इमरान खान के बीच रिश्ते अब पहले जैसे नहीं रह गए हैं। हालांकि इमरान को सत्ता में लाने में सेना की भूमिका भी जगजाहिर रही है। फिलहाल आने वाला समय पाकिस्तान की राजनीति के लिए बेहद रोचक होगा।

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