स्त्री-वास्तुकरण: महिलाओं में मानसिक तनाव का प्रमुख कारण

“वाह! बहुत हॉट है।” स्त्री के लिए इस प्रकार के वाक्य कोई नए नहीं हैं। इक्कीसवीं सदी बड़ी-बड़ी बातें लेकिन कुछ बातें आज भी ज्यों की त्यों ही हैं।   

जब एक स्त्री किसी पुरुष से पहली बार मिलती है तो वो उसमें सभ्यता और सदाचार तलाशती है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण जब एक पुरुष किसी स्त्री से मिलता है तो वो उसमें सबसे पहले सिर्फ आकर्षण तलाशता है। स्त्री की योग्यता, बुद्धिमता, प्रतिष्ठा, संघर्ष, इन सबसे पहले आँका जाता है उसका शारीरिक सौन्दर्य। स्त्री और सुंदरता एक सिक्के के दो पहलू हैं लेकिन सुंदरता का अर्थ सिर्फ शारीरिक सुंदरता नहीं है। 

पुराने समय से ही नारी का मूल्यांकन उसके रंग-रूप के आधार पर किया जाता रहा है और उसका अस्तित्व सिर्फ पुरुष के लिए एक वस्तु समान ही रहा है। बढ़ते ज़माने ने इस सोच को कम जरूर किया है परंतु खत्म नहीं, सौन्दर्य का पुष्टीकरण आज भी पुरुष के हाथ में ही है। समाज ने तरह-तरह के सौन्दर्य मानक तय कर दिए हैं और महिलायेँ जाने-अनजाने इन मानकों के पीछे भाग रहीं हैं। टीवी, फिल्म, मीडिया, मेगज़ीन्स सभी जगह आइडियल बॉडी का दिखावा है। इस वस्तुकरण के बोझ ने नारी के अचेतन मन को सदियों से प्रभावित किया हुआ है, न चाहते हुए भी वह स्वयं की एक बॉडी इमेज बनाना चाहती है। 

आँकड़े बताते हैं की सौ में से तीस महिलायें अपनी शारीरिक संरचना से नाखुश हैं ये असंतोष महिलओं मे मानसिक अस्वास्थ्य का बड़ा कारण हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि ऐसा नहीं है कि जो महिलाएं अच्छी दिखती हैं उनमें ये समस्या नहीं है, लुक्स कान्शयसनस यानि अपने लुक्स को लेकर चिंतित रहना किसी की भी समस्या हो सकती है। अपनी बॉडी इमेज को पाने के लिए महिलाएं जरूरत से ज्यादा व्यायाम करने लगती हैं या फिर क्रैश डाइटिंग करने लगती हैं। जब भी महिलायें अपनी प्रकृति को स्वीकार नहीं करती हैं वह एक तनाव को आमंत्रण देती हैं, यह तनाव साथ लाता है डिप्रेशन, ऐंगज़ाइटी, चिड़चिढ़ापन और आत्म सम्मान में कमी जैसी अनेक और समस्याएं। इस तरह की महिलाएं अक्सर शक्की स्वभाव की हो जातीं हैं जिसका असर उनके घर परिवार पर पड़ता है, स्त्री अपने घर की रीड़ होती है एक गलत सोच बहुत हानिकारक हो सकती है इस तरह की सोच को शुरू होने से पहले ही खत्म करना होगा। आज की नारी अपना मूल्यांकन करने में खुद सक्षम है, वह एक शरीर से आगे और भी बहुत कुछ है अब उसको पुरुष या समाज की स्वीकृति से आगे बढ़कर सोचना होगा। 

कुछ बातें अवश्य ध्यान रखें: 

आकर्षक दिखना अच्छा है परंतु स्वयं की खुशी के लिए आकर्षक बने, दूसरों के लिए नहीं।  

नियमित व्यायाम करें और संतुलित आहार लें। शारीरिक स्वास्थय पर ध्यान दें; शारीरिक संरचना पर नहीं। 

साफ, इस्तरी (प्रेस) करे कपड़े पहने, इससे आत्मसम्मान बढ़ता है। 

स्वयं को प्यार करें, आप जैसी हैं वैसी ही परफेक्ट हैं; खूबसूरती को सूरत में नहीं सीरत में तलाशें।

जब दो लोग अलग हैं तो उनकी शारीरिक संरचना भी फर्क होगी, अपनी तुलना किसी और से न करें। 

सोशल मीडिया को अपना मानक न बनाएं, किसी के जैसा दिखने की कोशिश न करें। 

बॉडी शेमिंग करने वाले व्यक्तियों से दूर रहें। 

नारी रचनाकार की एक बहुत ही खूबसूरत रचना है, अपने आत्म-मूल्य को समझें बाहरी सुंदरता पर नहीं आत्मिक सुंदरता पर ध्यान दें। 

स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें। अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएँ!

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